उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा की दृष्टि से स्कूली बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बसों की फिटनेस के सम्बन्ध में निर्धारित मानकों तथा इस सम्बन्ध में प्रदेश के विभिन्न संभागीय परिवहन प्राधिकरणों द्वारा तय शर्तों एवं पूर्व में जारी मानकों तथा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य मानकों को समेकित कर विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये हंै।
प्रदेश के परिवहन मंत्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सड़क सुरक्षा के मानको में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। सड़कों व स्कूली बच्चों को सुरक्षित रखने तथा घटनाओं पर रोक लगाने के लिए आवश्यक जरूरी कदम उठाये जायें। नियमों का पालन न करने वाले स्कूली वाहनों को किसी भी दशा में सड़क पर नहीं चलने दिया जाये। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी जो दिशा-निर्देश पूर्व में जारी किये हंै, उनका भी पालन सुनिश्चित किया जाये।
परिवहन आयुक्त श्री आलोक कुमार ने आज इस सम्बन्ध में प्रदेश के सभी सम्भागीय परिवहन अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिये हंै। दिशा निर्देशों के अनुसार में प्रत्येक स्कूल बस के आगे व पीछे मोटे अक्षरांे में ‘स्कूल बस’ लिखा होना चाहिए। स्कूल में अनुबंधित बसों पर आगे व पीछे बड़े अक्षरों में ‘‘ आन स्कूल ड्यूटी’’ लिखा होना चाहिए। स्कूल बस का रंग गोल्डेन यलो विथ ब्राउन/ब्लू लाइनिंग होनी चाहिए। वाहन का शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना आवश्यक है। निजी आपरेटर भी अपने वाहन को स्कूल मानक के अनुसार पंजीकरण कराकर स्कूल बस के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। प्रत्येक स्कूल बस पर स्कूल का नाम तथा टेलीफोन नम्बर लिखा होना चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस में बच्चों की सूची, नाम व पता, कक्षा, ब्लड ग्रुप तथा रूटचार्ट उपलब्ध रहना चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस में चालक के अलावा यथास्थिति अनुभवी पुरूष अथवा महिला सहायक तैनात रहेंगे, जो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे। स्कूल बस के चालक तथा सहायक को ड्यूटी के समय निर्धारित ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा।
श्री आलोक कुमार ने बताया सुरक्षा से सम्बंधित मानकों के अंतर्गत प्रत्येक स्कूल बस में फसर््ट-एड बाक्स रखना अनिवार्य होगा। प्रत्येक स्कूल बस की अधिकतम गति सीमा 40 किमी.प्रति घंटा होगी, जिसके निर्धारण हेतु स्पीड कन्ट्रोल यंत्र/स्पीड गवर्नर लगवाना अनिवार्य होगा, जो अलार्मयुक्त होगा। स्कूल बस की बाडी स्टील की होगी तथा यह पूर्ण रूप से बंद/क्लोज्ड होगी। प्रत्येक स्कूल बस में गेट/दरवाजा इस प्रकार फिट होगा, जिसे ठीक ढंग से बंद किया जा सके। सी.एन.जी. स्कूल वाहनों का अनिवार्य त्रैमासिक चेकिंग अधिकृत केन्द्र से कराया जायेगा। आपातकालीन परिस्थितियों में बस का चालक अथवा सहायक स्कूल आथरिटी को सूचित करेगा। वाहनों में प्रेशर होर्न अथवा टोनल साउण्ड सिस्टम प्रतिबन्धित होगा।
परिवहन आयुक्त ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का भी सख्ती से पालन कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी स्कूल बस पंजीकृत सीटिंग क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक बच्चों को बस में नहीं बैठाएगा। स्कूल बस चालक का ड्राईविंग लाइसेंस व्यवसायिक होगा, जो कम से कम 05 साल पुराना हो तथा उस पर स्कूल बस चलाने का बैज अंकित हो। इसी प्रकार इन चालकों के लाइसेंस के नवीनीकरण के समय चालक के पुराने अपराधों के इतिहास को भी देखा जाये तथा गहनतापूर्वक टेस्ट लेकर ही लाइसेंस नवीनीकरण किया जाये। उन्होंने बताया बस कि सीटंे आरामदेह होनी चाहिए तथा आर्मरेस्ट एक साइड में होना चाहिए। सेफ्टी बेल्ट, आर्मरेस्ट या बाडी के बीच में साधरण हुक द्वारा लगाई जा सकती हो। सीट के नीचे स्कूल बैग (बच्चों की किताबों इत्यादि से सम्बंधित) रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। नेकरेस्ट/हेडरेस्ट स्पंजी या साॅफ्ट होना चाहिए। बस में चढ़ने के लिए फुटबोर्ड के अतिरिक्त दरवाजे में कोलैप्सबिल फुट स्टैप की व्यवस्था होनी चाहिए। सीट्स की खिड़की के शीशे और चैनल इस प्रकार से लगे हो कि बच्चा अपनी गर्दन या सिर खिड़की से बाहर न निकाल सके, किन्तु हवा से वंचित भी न रहें। बस में आपदा की स्थिति में दो इमरजेंसी गेट की व्यवस्था रहे। एक दूसरे के सामने की दिशा में लगायी गयी सीटें गेट के पास स्थापित की जानी चाहिए। चालक की सीट के पास स्पीड-अलार्म की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि गति अधिक होने पर टीचर/बस इंचार्ज द्वारा गति नियंत्रित करने के सम्बन्ध में चालक को निर्देश दिये जा सकें। आलोेक कुमार ने बताया कि सभी अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि इन निर्देशों एवं मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये। इन दिशा-निर्देशों को अपने-अपने संभाग के संभागीय परिवहन प्राधिकरणों की बैठक में अनुमोदित कराकर अधीनस्थ जनपदों में संचालित सभी स्कूल बसों की परमिट शर्तों में कड़ाई से लागू कराया जाना सुनिश्चित किया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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