भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री मुकुल वासनिक ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी सिर पर मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों का संचालन चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि निर्मल भारत अभियान को उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए अधिकारी पूरी मुस्तैदी से कार्य करें। उन्होंने कहा कि इनसेनेटरी लैट्रिन एवं स्वच्छकारों के चिन्हीकरण के लिए प्रदेश भर में व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता अभियान चलाये। उन्होंने मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों के चिन्हीकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा तीन माह से चलाये जा रहे अभियान के लिए प्रदेश सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब तक इस कार्य को उत्तर प्रदेश में पूरा नहीं किया जायेगा तब तक देश भर में मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों को समाप्त करने का कार्य पूरा नहीं हो सकता। अस्वच्छकार पेशे में लगे लोगों के पुनर्वासन के लिए ऋण व सब्सिडी को बढ़ाने के लिए भारत सरकार विचार कर रही है।
श्री वासनिक ने आज यहां योजना भवन में सिर पर मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों को समाप्त करने के लिए चलाये जा रहे सर्वे अभियान की समीक्षा के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि अस्वच्छकार पेशे में लगे लोगों के पुनर्वासन के लिए पूर्व में भी कई योजनाएं चालाई गयी, लेकिन उनके सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाये। उन्होंने कहा कि मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों को समाप्त करने के लिए प्रभावित लोगों को जागरूक करने के लिए अधिकारी पूरी मुस्तैदी से अभियान चलायंे। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में चिन्हीत लोगों को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होंने कहा कि इस सर्वे में पंचायतीराज संस्थाओं की पूरी सहभागिता सुनिशचत की जाये तथा पूरे सिस्टम में पारदर्शिता लाई जाये।
समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि खुले में शौच करने वाले लोगों की आदत बदलने की दिशा में प्रभावी कार्ययोजना बनाये जाने की जरूरत है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार पहल कर गंगा-जमुनी सभ्यता और अपनी विशालता का परिचय दे। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अस्वच्छकार पेशे से जुड़े लोगों के बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता के लिए पिछले तीन वर्षों से प्रदेश सरकार द्वारा कोई धन की मांग नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए धन की मांग की जाये जिससे इसका लाभ समाज के इस वंचित वर्ग को मिल सके। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय अभियान को सफल बनाने के लिए भारत सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है। उन्होंने गृह विभाग के अधिकारियों से कहा कि सिर पर मैला ढ़ोने में पुनर्वासन के बाद पुनः लगे तथा जबरन लगाये गये लोगों के विरूद्ध प्रचलित कानून के अंतर्गत प्रभावी कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि नये कानून के अंतर्गत 2 साल की सजा व 5 लाख रूपये तक के दण्ड़ का प्राविधान है। उन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान आंकड़ेबाजी से अधिकारी बाज आये।
प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री श्री अवधेश प्रसाद ने कहा कि प्रदेश सरकार सिर पर मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इनसेनेटरी लैट्रिन एवं स्वच्छकारों का चिन्हीकरण त्वरित गति से कराये जाने के लिए प्रदेश सरकार ने समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को पूर्व में ही निर्देश जारी किये हुए हैं। उन्होंने कहा कि 22 जनपदों में से 17 जनपदों से प्रारम्भिक सर्वेक्षण के विवरण प्राप्त हुए हैं, जिसके सम्बन्ध में प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव समाज के कमजोर तबकों को ऊपर उठाकर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाये जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री प्रसाद ने कहा कि सिर पर मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों के सम्बन्ध में बने कानून में वर्तमान परिस्थिति के अनुसार बदलाव की जरूरत है। इस लिए कानून में आवश्यक संशसोधन कर प्रभावी कार्यवाही की जाये। उन्होंने मैला ढ़ोने और शुष्क शौचालयों में लगे लोगों की पुनर्वासन योजना के अंतर्गत ऋण की राशि को बढ़ाये जाने तथा सब्सिडी को 50 फीसदी तक करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सिर पर मैला ढ़ोने जैसी कुप्रथा को समाप्त करने में बेहतर पुनर्वासन कार्ययोजना बनाया जाना जरूरी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इस आमानुषिक कृत्य को समाप्त करने का जो सपना था, वह बेहतर पुनर्वासन से ही पूरा हो सकेगा।
समाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री श्री मुकुल वासनिक ने जिलेवार सर्वे के कार्यों की समीक्षा करते हुए बदायूं और बिजनौर जनपदों के जिलाधिकारियों के कार्यों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे इन जनपदों के पुर्नवासन कार्यों को स्वयं देखने के लिए इन जिलों का भ्रमण करेंगे। इस अवसर पर प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह वर्मा, सचिव, भारत सरकार, समाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय सहित प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, प्रमुख सचिव नगर विकास, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव पंचायतीराज, निदेशक समाज कल्याण, निदेशक पंचायतीराज, निदेशक राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) सहित शासन व 22 जनपदों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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