पाकिस्तान के लाहौर में शादमान चैक को भगतसिंह चैक बनाने की घोषणा स्थानीय सरकार द्वारा की गई है। यह वहीं जगह है जहां भगतसिंह को फांसी दी गई थी जो कि पहले लाहौर जेल का फांसी घर था। अब से इस जगह को भगतसिंह चौक के नाम से जाना जाएगा। पाकिस्तान के प्रगतिशील और मज़दूर आंदोलनों व साथ साथ करोड़ों भारतवासीयों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलिब्ध है। पाकिस्तान के विभिन्न संगठन व पार्टी खासतौर पर लेबर पार्टी पिछले कई वर्षो से इस मांग को उठाते रहे हैं। क्योंकि उनका मानना है कि भगतसिंह पाकिस्तान का सबसे बड़े शहीद हैं। भगतसिंह लाहौर शहर में ही पले-बढ़े व उन्होंने अपना राजनैतिक संघर्ष वहीं शुरू किया व उसी शहर में ही उनकी शहादत हुई। वे इस पूरे उपमहाद्वीप के साझी विरासत के प्रतीक है जिसे दोनों ही मुल्क हिन्दुस्तान व पाकिस्तान काफी शिद्दत से मानते हैं। ज्ञातव्य रहे कि इस वर्ष मई में राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मंड़ल आया था उन्होंने तय किया था कि लाहौर में शादमान चैक पर भगतसिंह के जन्मदिन पर इस चैक को भगतसिंह के नाम से बनाने के लिए दोनों देशों के लोगों द्वारा एक मुहिम शुरू की जाएगी। इस मुहिम की शुरूआत लेबर पार्टी द्वारा शुरू की गई। इसी मांग को पूरा करने के लिए 28 सितम्बर 2012 को लाहौर के सर दयाल सिंह लाईब्रेरी हाल में भगतसिंह का जन्मदिन बनाने का व्यापक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसका आयोजन वहां के 40 संगठनों द्वारा किया गया था। उसी समारोह में भारत से भी 32 लोगों को शिष्ट मंड़ल जाना था लेकिन पाकिस्तान की फैडरल केन्द्रीय सरकार ने वीज़ा नहीं दिया। इस के कारण यह शिष्ट मंड़ल वहां नहीं पहुंच पाया। वीज़ा न दिए जाने पर दोनों देशों के जनसंगठनों में काफी रोष था। भारत से इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए शिष्ट मंड़ल तो नहीं पहुंच पाया लेकिन शहीदे आज़म भगतसिंह चैक की घोषणा ने उनके उत्साह को और भी बढ़ा दिया है। इस कार्यक्रम को पाकिस्तान के प्रगतिशील संगठनों ने सफल कार्यक्रम बनाया व भगतसिंह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में केक भी काटा गया। इस कार्यक्रम का पाकिस्तान की मीडिया ने भी सराहना की, द डाॅन ने शादमान चैक को शहीदे आज़म भगतसिंह चैक के नाम की घोषणा को प्रमुखता से प्रकाशित किया है । इसी की वजह से लाहौर के स्थानीय प्रशासन व पंजाब के प्रांतीय सरकार के निर्देश पर चैक का नामकरण शहीदे आज़म भगतसिंह के नाम से किया गया। सरहद के दोनों पार के आम लोगों के लिए यह बेहद ही खुशी का मौका है और संजयगर्ग (पूर्व राज्य मंत्री), अशोक चौधरी, किरणजीत संधु (भगतसिंह के भतीजे) व रोमा ने पाकिस्तान की पंजाब की प्रोविन्शियल सरकार एवं लाहौर जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
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