उत्तर प्रदेष सरकार ने उच्चतम/उच्च न्यायालय में दायर विषेष अनुज्ञा याचिकाओं/रिट याचिकाओं में समयबद्ध रूप से प्रतिषपथ पत्र दाखिल न किये जाने एवं न्यायालय के आदेषों के अनुक्रम में समय से कार्यवाही न किये जाने के फलस्वरूप अवमानना याचिका दायर होने की दषा में इसे विभाग की षिथिलता अथवा अकर्मण्यता मानते हुए अत्यन्त गम्भीरता से लेने दोषी पाये जाने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने के निर्देंष दिये हैं। प्रमुख सचिव नगर विकास प्रवीर कुमार ने निदेषक स्थानीय निकाय, प्रबन्ध निदेषक उ. प्र. जल निगम तथा निदेषक सी. एण्ड डी. एस. को एक परिपत्र जारी करते हुए निर्देष दिये हैं कि यदि किसी प्रकरण में न्यायालय के आदेषों का समयान्तर्गत अनुपालन न होने के कारण न्यायालय द्वारा मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव के स्वयं उपस्थित होने के आदेष दिये जाते हैं अथवा अवमानना नोटिस जारी की जाती है, तो ऐसी स्थिति को विभागीय षिथिलता अथवा अकर्मण्यता मानते हुए अत्यन्त गम्भीरता से लिया जायेगा और दोषी पाये जाने वाले अधिकारियों के विरूद्ध यथानियम दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। परिपत्र में कहा गया है कि न्यायालयों के आदेष प्राप्त होने की तिथि से विलम्बतम एक सप्ताह में प्रकरण का परीक्षण कर सक्षम स्तर पर आदेष का अनुपालन करने अथवा आदेष के विरूद्ध विषेष अपील/विषेष अनुज्ञा याचिका दायर किये जाने के संबंध में विभागीय मत कायम कर आवष्यक कार्यवाही करते हुए समय से न्यायालय को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय अथवा असमंजस की स्थिति वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष न आने पाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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