भारत सरकार के सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ इण्डियन लैंग्वेजेज़ और उर्दू टीचिंग एण्ड रिसर्च सेन्टर, सोलन (हिमाचल प्रदेश) तथा ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, लखनऊ के सहयोग से आगामी 25 सितम्बर से 29 सितम्बर तक सीतापुर-हरदोई बाईपास रोड स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के परिसर में उर्दू शायरी के विश्वकोष की तैयारी के लिए तृतीय पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है। इसका प्रारम्भिक सत्र आगामी 25 सितम्बर (मंगलवार) को पूर्वाह्न 10.30 बजे से शुरू होगा, जिसका शुभारम्भ ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 अनीस अंसारी करेंगे।
कार्यशाला के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए डा0 अनीस अंसारी ने बताया कि इसमें लखनऊ विचारधारा के शायरों पर विशेष रूप से व्याख्यात्मक टिप्पणी तैयार की जाएगी, जिसके लिए स्थानीय और बाहर के विद्वान, बुद्धिजीवी, प्रोफेसर और शोधकर्ता शामिल होंगे। लगभग 15 विद्वान पांच दिन तक इस काम में व्यस्त रहेंगे। उन्होंने बताया कि उर्दू शायरी के विश्वकोष को तैयार करने के मामले में यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जिसके अन्तर्गत विद्वानगण विचार विमर्श के बाद शायरों के बारे में प्रविष्टियों को अन्तिम रूप देंगे। इसमें अमीर ख़ुसरो से लेकर वर्तमान युग के लगभग 600 शायरों को शामिल किया जायेगा।
डा0 अंसारी ने बताया कि इस विश्वकोष में शायरी को छः काल में विभक्त किया गया है- प्रारम्भिक शायरी व प्राचीन शायरी (दक्खिनी), प्राचीन शायरी (दिल्ली), क्लासिकी शायरी (लखनऊ), क्लासिकी शायरी (दिल्ली), आधुनिक शायरी (दिल्ली और लखनऊ) व आधुनिक शायरी (स्वतंत्रता के बाद)। उन्हांेने बताया कि इसमंे शायरों की जीवनी, उनके कारनामे, उनकी शैली और शायरी के नमूने इत्यादि शामिल किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की पहली कार्यशाला सोलन में और दूसरी दिल्ली में आयोजित हो चुकी है तथा चैथी कार्यशाला हैदराबाद में होगी। इस प्रकार उर्दू की दिल्ली और लखनऊ विचाराधारा के शायरों के साथ दक्खिनी और दूसरे क्षेत्रों के शायरों से संबंधित उनके क्षेत्रों के विद्वानों के सहयोग से सम्पूर्ण जानकारी उभर कर सामने आयेगी।
श्री अंसारी ने प्रारम्भिक सत्र में इस विषय मंे रूचि रखने वाले सभी व्यक्तियांे को आमंत्रित किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com