जनपद में इन दिनों नकली नोटों का धन्धा जोरांे पर है इसे चलाने वाले सक्रिय हैं। नकली नोटों केा लेकर अक्सर दुकानदारों व ग्राहको में में तू-तू,मैं- मैं होते कभी भी देखा जा सकता हैं ।नकली नोटों के कारोबारियों का निषाना ष्षहर की भीड़-भाड़ वाली दुकानें होती है। क्यों कि यहाॅ पर इन्हें नोट चलाने में आसानी होती हैं। कारोबारी दुकानदार को नकली नोट पकड़ा कर आगे बढ़ जाता है। उसे इसकी जानकारी तभी होती है जब वह उसे जमा करवाने बैंक जाता हैं। बाजार व बैंक में नकली नोटों को लेकर ग्राहकों व दुकानदार में अक्सर नोक-झोंक होती रहती है। कभी-कभी ग्राहकों व बैंक कर्मचारियों में तू-तू, मैं-मैं ज्यादा बढ़ जाती है। नकली नोटों का प्रचलन ष्षहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला होने के कारण छोटे दुकानदारों को नकली नोट पहचानने में काफी परेषानी का सामना करना पड़ता है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 ए से 489 ई के अन्तर्गत जाली नोटों की छपाई करना, असली नोटों की तरह उपयोग करना, अपने पास जाली नोट रखना दण्डनीय अपराध है। न्यायालय की ओर से भारी जुर्माने के साथ ही सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। जनपद मुख्यालय व बाजारों में इन दिनों नकली नोटों को धड़ल्ले से चलाया जा रहा है। जिला प्रषासन जानकर भी अन्जान बना हुआ है। नागरिकों ने नकली नोटों के प्रचलन को जड़ से खात्म करने तथा षामिल लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग जिाधिकारी से की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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