समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि भारतीय राजनीति में कुछ तत्व भ्रम और अनर्गल प्रचार कर अपनी रोटियां सेंकने में लग गए है। ये वे तत्व हैं जो अवसर के अनुकूल रंग बदलते हैं, उनके विचारों में निरंतरता नहीं रहती है और जो अपने स्वार्थ पर सिद्धान्तों की बलि देते रहते हैं। जनता ऐसे तत्वों की नस-नस से वाकिफ है इसीलिए चुनावों में इन्हें करारी शिकस्त मिली है, फिर भी इन्होने सबक नहीं सीखा है।
समाजवादी पार्टी हमेशा सिद्धान्त और विचारधारा की राजनीति करती रही है। उसके सरोकार जनसामान्य से जुड़े हैं इस कारण जब भी जनहित के विरूद्व कोई निर्णय किसी स्तर पर होता है समाजवादी पार्टी उसके विरोध में खड़ी दिखाई देती है। केन्द्र में जब कभी कोई ऐसा मुद्दा उठा जिससे आम जनता प्रभावित होती दिखी तो समाजवादी पार्टी ने उसका विरोध किया। महिला आरक्षण, जातीयगणना, मंहगाई, एफडीआई, डीजल मूल्य वृद्धि पर समाजवादी पार्टी ने संसद और बाहर एक सा रूख दिखाया। उत्तर प्रदेश में बसपा राज में कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ विधानमंडल से लेकर सड़क तक संघर्ष की अगुवाई समाजवादी पार्टी ने ही की।
समाजवादी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है। सांप्रदायिक ताकतों को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने ही रोके रखा है। आज अगर केन्द्र में सांप्रदायिक तत्व सत्ता से बाहर हैं तो उसका श्रेय समाजवादी पार्टी को ही जाता है। आज भी समाजवादी पार्टी का यही रूख है कि वह केन्द्र में सांप्रदायिक तत्वों को कब्जा नहीं करने देगी। इसीलिए संप्रग में न रहते हुए भी वह केन्द्र में संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। समाजवादी पार्टी का सांप्रदायिकता विरोधी संघर्ष का इतिहास दशकों पुराना है। देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए श्री मुलायम सिंह यादव ने अपनी सरकार को भी खतरे में डाल दिया था। जब हाईकोर्ट के निर्णय से मुस्लिम जगत हताश और आघात में था तब उसकी आवाज बनकर नेताजी ने ही घोषणा की थी कि देश आस्था से नहीं, संविधान से चलेगा।
समाजवादी पार्टी अपनी कथनी और करनी में एक है, इसे प्रमाणित करने की जरूरत नहीं। जहाॅ किसान, अल्पसंख्यक और गरीब-नौजवान के हितो का सवाल हों, समाजवादी पार्टी उनके साथ है। जहाॅ सिद्धान्त का सवाल हो वहां समाजवादी पार्टी किसी से समझौता नहीं करती है। इसीलिए उत्तर प्रदेश की जनता ने समाजवादी पार्टी को बहुमत देकर सरकार बनाई है। जबकि दूसरे दल जो एफडीआई का समर्थन अपने विजन डाक्यूमेंट 2004में कर चुके हैं अब भारत के व्यापारियों के प्रति घडि़याली आंसू बहा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती है क्योंकि उसका बोझ आम जनता पर पडेगा। केन्द्र सरकार को गिराने का पाप भी वह अपने सिर नहीं लेना चाहती है क्योंकि संप्रग सरकार गिराने पर सांप्रदायिक शक्तियों को सिर उठाने का मौका मिल जाएगा। लेकिन यह भी श्री मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धर्मनिरपेक्षता और जनहित के सवालों पर कोई समझौता नहीं करेगें। इनके लिए वे सतत संघर्ष करते रहेगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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