समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा सरकार के कार्यकाल में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लेने का निर्देश देकर समाजवादी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं के संघर्ष और समर्पण को सम्मान दिया है। डीएम और पुलिस कप्तानों को इस सम्बन्ध में कार्यवाही में तेजी लाने के लिए कहा गया है। अभी तीन हजार ऐसे मामले चिन्हित किए गए हैं।
पिछली बसपा सरकार के पंाच साल में बदले की भावना से प्रेरित होकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का बहुत उत्पीड़न किया गया। कार्यकर्ताओं और उनके करीबियों को जबरन अपराधी बनाया गया। उनके खिलाफ बलवा, मारपीट, आम्र्सएक्ट में मुकदमे दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा दुरूपयोग एससी-एसटी ऐक्ट का हुआ। जानबूझकर अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों से प्राथमिकी दर्ज कराई गई ताकि सपाईयों को सबक सिखाया जा सके।
बसपाराज में मुख्य विपक्षी दल होते हुए भी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक को अपमानित किया गया। देश के सम्माननीय एवं वरिष्ठ नेता श्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बसपा मुख्यमंत्री ने शपथ लेते ही डेढ़ सौ से ज्यादा मुकदमे विभिन्न जनपदो में दर्ज करा दिए थे। निकाय के चुनाव में प्रशासनतंत्र का भीषण दुरूपयोग कर अपनी मनमर्जी के अध्यक्ष एवं सदस्य बनवाए गए। प्रत्याशियों और उनके निकट संबंधियों पर दबाव डाले गए। धमकियां दी गई। सेवा नियमावली के विरूद्ध डीजी से लेकर दरोगा तक और आईएएस से लेकर लेखपाल तक का उपयोग बसपा के पक्ष में प्रचार तथा मत जुटाने के लिए किया गया।
श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने बसपा के दमनात्मक तौर तरीको का पांच वर्ष तक सामना किया। उन पर पुलिस जुल्म की इंतहा हो गई। तभी नेताजी ने कहा था कि अपनी सरकार बनने पर कार्यकर्ताओं पर लगे सभी फर्जी केस वापस होगें। प्रदेश की जनता ने बसपा कुशासन को उखाड़ फेंका और श्री अखिलेश यादव के ऊर्जावान नेतृत्व में समाजवादी पार्टी को सरकार बनाने का बहुमत दिया। श्री अखिलेश यादव ने भी कार्यकर्ताओं के प्रति मान सम्मान के वायदे को याद रखा और उन पर लगे फर्जी मुकदमे वापस लेने के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री जी ने बिना किसी रागद्वेष के फर्जी ढंग से लगाए गए आरोपों की वापसी का आदेश देकर फिर साबित कर दिया है कि समाजवादी जो कहते है वही करते हैं और जो करते हैं, वही कहते हैं। उनकी कथनी करनी में अंतर नहीं है। उनके शासनकाल में कही भी विपक्ष के प्रति दमनात्मक कार्यवाही की खबर या शिकायत नहीं सुनाई पड़ी है। उन्होने बल्कि विधान भवन के सामने धरना स्थल बहाल कर अपनी सरकार के विरोध में भी धरना प्रदर्शन की अनुमति दे दी है। लोकतंत्र के प्रति यह श्री अखिलेश यादव की दृढ़ आस्था एवं जनता के प्रति उनकी सम्मान भावना का द्योतक है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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