ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में वर्तमान शैक्षिक सत्र 2012-13 में पढ़ाई की शुरूआत नवम्बर से की जायेगी। यह निर्णय आज यहां डा0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के मीटिंग हाल में आयोजित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-फारसी विश्विविद्यालय की कार्य परिषद की दूसरी बैठक में लिया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 अनीस अंसारी आई0ए0एस0 (से0नि0) ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए प्रोफेसर के दस एसोशिएट प्रोफेसर के 20 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 44 कुल मिलाकर 74 पद स्वीकृत किये हैं। इनमें से 50 प्रतिशत पदों अर्थात प्रोफेसर के 5, एसोशिएट प्रोफेसर के 10 और एसिस्टेंट प्रोफेसर के 22 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया आगामी नवम्बर तक पूर्ण हो जायेगी। इसके बाद पढ़ाई शुरू की जायेगी। उन्होंने बताया कि कार्य परिषद ने निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने का जो निर्णय राज्य सरकार ने लिया था, उसी के अनुसार इस विश्वविद्यालय में भी यथा सम्भव पाठ्यक्रम लागू किया जायेगा, परन्तु जहां इस विश्वविद्यालय की विशेष आवश्यकताआंे के दृष्टिगत पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता होगी, उसे एकेडमिक काउन्सिल संशोधित कर सकेगी अथवा नया पाठ्यक्रम लागू कर सकेगी।
डा0 अंसारी ने बताया कि कार्य परिषद द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि एम0बी0ए0 में प्रवेश के लिये विश्वविद्यालय स्वयं पारीक्षा करायेगी। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं और उनकी संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाये। पाठ्यक्रम का चयन करते समय ऐसे पाठ्यक्रमों को वरीयता दी गयी है, जिनसे छात्र-छात्राओं को आसानी से रोजगार मिल सके। उन्होंने बताया कि इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुय यह निर्णय लिया गया कि छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों और अध्यापकों का चयन करते समय ऐसे अभ्यर्थियों को वरीयता दी जाये जो उर्दू, अरबी या फारसी और कम्प्यूटर का व्यवहारिक ज्ञान रखते हों। उन्होंने बताया कि सभी पाठ्यक्रमों में उर्दू, अरबी या फारसी को विद्यार्थियों की इच्छानुसार अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जायेगा और इन विषयों के प्राप्तांकों को अंक-तालिका में जोड़ा जायेगा। यही कार्य पद्धति एम0बी0ए0 के अतिरिक्त अन्य पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों और अध्यापकों व कर्मचारियों के चयन के समय लागू की जायेगी। उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से गैर भाषायी विषयों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से होगी परन्तु विद्यार्थियों की इच्छा पर उर्दू में भी पढ़ाये जाने का प्रबन्ध किया जायेगा।
कार्य परिषद में यह निर्णय भी लिया गया कि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत उर्दू रिसर्च इन्स्टीट्यूट और अरबी-फारसी रिसर्च इन्स्टीट्यूट स्थापित किये जायेंगे। कार्य परिषद ने डा0 अनीस अंसारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का निर्णय लिया जो उर्दू, अरबी और फारसी के मदरसों की उपाधियों को विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता दिये जाने का प्रस्ताव देगी। कामिल व फाजि़ल की उपाधियों के अतिरिक्त दूसरी उपाधियों और मदरसों की सम्बद्धता व उन्हें मान्यता दिये जाने पर भी विचार किया जायेगा। छात्राओं को प्राइवेट परीक्षा दिलाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा विशेष व्याख्यानों को प्रकाशित कराने की भी व्यवस्था की जायेगी।
डा0 अंसारी ने बताया कि कार्य परिषद ने मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का शुक्रिया अदा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अध्यापकों के 74 पदों के अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये वार्षिक बजट के द्वारा उपलब्ध कराने का प्रबन्ध किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का नाम प्रसिद्ध सूफी संत और लेखक ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रखने के राज्य सरकार के निर्णय के लिए भी कार्य परिषद ने श्री अखिलेश यादव को धन्यवाद दिया।
डा0 अंसारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के पास इस समय 30 एकड़ भूमि है जो अपर्याप्त है। इसलिए इस समय की कठिनाइयों और भविष्य की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए सीतापुर-हरदोई बाईपास रोड और परिसर के मध्य पड़ने वाली 36 एकड़ भूमि को अर्जित करने और सड़क के दूसरी ओर लगभग 120 एकड़ भूमि लखनऊ विकास प्राधिकरण के माध्यम से क्रय करने का निर्णय लिया गया है।
डा0 अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार से विश्वविद्यालय को अब तक 174.25 करोड़ रुपये प्राप्त हुये हैं जिसे निर्माण निगम द्वारा निर्माण कार्यों पर व्यय किया जा चुका है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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