भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि एफ0डी0आई0 के विरोध में भारत बंद पूर्ण रूप से सफल हुआ है। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान स्वतः बंद रखकर बंद का सर्मथन किया और केन्द्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। विदेशी पूॅजी निवेश के मुद्दे पर कांग्रेस की नीयत संदेह के घेरे में है। अंग्रेज भारत को देश नही उपनिवेश मानते थे। कांग्रेस भी अंग्रेजो की तर्ज पर उपनिवेश वाली सोच रखती है। इसीलिए 2जी स्पेक्ट्रम, कोल ब्लाॅक आवंटन सहित कई अन्य नीतिगत फैसले हुए। जिनमें बाद में बड़े भ्रष्टाचार व घोटालों का खुलासा हुआ। कांग्रेस सरकार कह रही है कि राजकोषिय घाटे को कम करने के लिए विदेशी पूॅजी निवेश को छूट दी गई है।यदि सरकार से राजकोषिय घाटा कम करना था तो केन्द्र सरकार विदेशी बैंको में जमा लाखों करोड़ो रूपये का काला धन की वापसी हेतु कोई प्रयास क्यों नही करती ?खुदरा बाजार में विदेशी पूॅजी निवेश को लेकर सरकार ने संसद में आश्वासन दिया था कि विदेशी पूॅजी निवेश को लेकर सहयोगी दलों और सभी राजनैतिक दलों को विश्वास में लेकर सर्वसम्मति से फैसला किया जायेगा। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। विदेशी पूंजी निवेश (एफ0डी0आई0) को लागू कर यूपीए सरकार ने संसद में दिये गये भरोसे को तोड़ा है और संसद की अवमानना भी की है। भाजपा यू0पी0ए0 सरकार को देश को आर्थिक गुलामी की ओर ले जाने की छूट नही दे सकती। देश में राजकोषिय घाटा यू0पी0ए0 सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार व घोटालों के कारण बढ़ा है।यू0पी0ए0 सरकार को देश का सरकारी खजाना लूटने की छूट नहीं दी जा सकती। हम विपक्ष में रहकर एक सजग प्रहरी के रूप में काम कर रहे है। भ्रष्टाचार व घपले घोटालों को लेकर हर मुद्दे पर संसद में और बाहर हमने प्रभावी भूमिका का निर्वहन किया है। केन्द्र सरकार यह दावा कर रही है कि विदेशी पूॅजी निवेश के जरिये 1 करोड़ लोगों के रोजगार मिलेगा। लेकिन यू0पी0ए0 सरकार यह नही बता रही है कि उक्त निवेश के बाद बेरोजगार होने वाले 4 करोड़ लोगों का क्या होगा ? प्रधानमंत्री को अपने हित की चिन्ता है देश की चिन्ता नही। विदेशी पूॅजी निवेश का फैसला विदेशी ताकतों के दबाव में लिया गया फैसला है। पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आश्वासन दिया था कि सारे राजनैतिक दलों मे सहमति से विदेशी पूॅजी निवेश की अनुमति प्रदान की जायेगी लेकिन सरकार ने संसद की अवमानना की। केन्द्र में सरकार बनने पर इस बात की जांच करायेंगे कि किसके दबाव में और किन परिस्थितियों में देश में विदेशी पूॅजी निवेश को छूट प्रदान की गई।यू0पी0ए0 सरकार देश की अर्थव्यवस्था को नीलाम करने पर अमादा है। विदेशी पूॅजी निवेश के सरकार के फैसले से किसान तबाह हो जायेगा। किसान को उपज की कीमत नहीं मिलेंगी। किसान बिचैलियों के माध्यम से अपनी उपज कम कीमत पर बेचने को मजबूर होगा।खुदरा बाजार में विदेशी पूॅजी निवेश से देश की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जायेगी। वाॅलमार्ट में बिकने वाले सामान में 80 प्रतिशत सामान की आपूर्ति चाइन से होती है। चाइना की अप्रत्यक्ष भागीदारी वाॅलमार्ट के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में होगी। देश में सुरक्षा का भी संकट बढ़ेगा।यू0पी0ए0 सरकार ने विश्व के 82 देशों के साथ अनुबंध किया है। जिसके अनुसार भारत सरकार इस बात के लिए मजबूर होगी कि जैसा व्यवहार व नीति वह देशी राष्ट्रीय निवेशकों के साथ अपनायेगी वही नीति वह विदेशी निवेशकों के साथ भी अपनायेगी। तृणमूल कांग्रेस द्वारा यू0पी0ए0 सरकार से सर्मथन वापसी का हम स्वागत करते है। समाजवादी पार्टी कहती है कि हम विदेशी पूॅजी निवेश का विरोध कर रहे है। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार का लिखित सर्मथन भी जारी है। सपा-बसपा का मंहगाई व भ्रष्टाचार सहित अन्य मुुद्दो पर यू0पी0ए0 सरकार का विरोध दिखावा है। छलावा है। विरोध सर्थक होना चाहिए। सपा-बसपा के नेता यदि वाकई में सरकार की नीतियों के खिलाफ है तो ममता बनर्जी की तरह समर्थन वापसी का फैसला क्यों नही लेते ? मध्यावधि चुनाव को नकारा नहीं जा सकता। भाजपा लाभ-हानि की नही बल्कि देशहित की राजनीति करती है। देशहित में सपा-बसपा को सरकार से समर्थन वापस लेना चाहिए।एफ0डी0आई0 के मुद्दे पर यू0पी0ए0 अध्यक्ष सोनिया गांधी मौन क्यों है ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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