उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री श्री अम्बिका चैधरी ने प्रदेश के आदिवासी तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ‘फास्ट ट्रैक रेवेन्यू कोर्ट’ स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। इन न्यायालयों की स्थापना से राजस्व और भूमि विवाद से संबंधित मामलों के निस्तारण में तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था प्रदेश में शीघ्र लागू की जायेगी। श्री चैधरी आज नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के राजस्व मंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नक्लस प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों के स्वामित्व में किस प्रकार आ गयी जब कि कानून में इसका प्राविधान नहीं है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार सक्रिय है और आदिवासियों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए हर सम्भव कदम उठायेगी। श्री चैधरी के फास्ट ट्रैक रेवेन्यू कोर्ट की स्थापना के विचार की सम्मेलन में उपस्थित समस्त मंत्रियों और विशेष रूप से केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने प्रशंसा की।
सम्मेलन में राजस्व मंत्री कहा कि उत्तर प्रदेश में भूमि से जुड़े लगभग 39 अधिनियम क्रियाशील हैं। नियमों की अज्ञानता के कारण किसानों को न्यायालय तथा न्यायिक कार्य से जुड़े लोगों के पास बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। प्रदेश की वर्तमान सरकार किसान तथा गरीब वर्ग से ताल्लुक रखती है। इस कारण सरकार ने भूमि से जुड़े लगभग 39 अधिनियमों को आमेलित करते हुए एक आदर्श राजस्व संहित विधेयक विधान मण्डल से पारित कराकर राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेज दिया है। श्री चैधरी ने कहा कि वर्तमान सरकार समस्त भू-अधिनियमों को एक सूत्र में पिरोकर आम आदमी के समक्ष एक मिसाल पेश करना चाहती है ताकि उन्हें न्याय मिलता ही नहीं न्याय होता हुआ भी दिये।
श्री चैधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदार से लेकर राजस्व परिषद तक राजस्व न्यायालयों के रूप में चिन्हित हैं। इन न्यायालयों में विभिन्न अधिनियमों के अन्तर्गत विवादों का निपटारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार का यह मानना है कि राजस्व संहिता लागू होने से राजस्व वादों के निस्तारण में प्रक्रिया गत सुविधा प्राप्त होगी तथा न्यायालयों पर अनावश्यक बोझ कम होगा। राष्ट्रीय भूमि प्रलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के विषय में नीतिगत चर्चा करते हुए राजस्व मंत्री ने कहा कि इस मद में मिलने वाली धनराशि को व्यय करने की व्यवस्था को लचीला बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में प्राप्त धनराशि की एक मद से दूसरे मद में व्यय करने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस राशि में केन्द्रांश अधिक और राज्यांश कम होना चाहिए ताकि इस कार्यक्रम को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सके। इस सम्बन्ध में राजस्व मंत्री को अवगत कराया गया कि इस विषय पर निर्णय ले किया गया है और तत्सम्बन्धी कार्रवाई तेजी से चल रही है।
आंध्र प्रदेश के राजस्व मंत्री द्वारा ’पैरालीगल वर्कर’ को प्रशिक्षित कर उन्हें भू-विवादों को सुलझाने का काम दिये जाने की योजना की श्री चैधरी ने प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत है और इसे उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जायेगा।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश को काफी महत्व दिया गया जिस पर राजस्व मंत्री ने अपना संतोष व्यक्त किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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