हिन्दी दिवस के अवसर पर आज हिन्दी हितकारिणी सभा के तत्वावधान में हिन्दी साहित्यानुरागियों ने हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर चार सूत्रीय मांगों को लेकर मौन व्रत सत्याग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि 63 वर्षों का लम्बा अन्तराल बीतने के अनन्तर हिन्दी ने अपना वह स्थान नहीं प्राप्त किया है जिसकी वह अधिकारिणी है।
संगठन के सभापति रवीन्द्र शुक्ल ने कहा कि सरकारी विभागों और शासन के स्तर पर केवल राजभाषा के संरक्षण-संवर्द्धन की कागजी पूर्ति की जाती है और हिन्दी से वेतनमान पाने वाले 14 सितम्बर को आनुष्ठानिक कर्मकाण्ड करके अपने दायित्व का निर्वहन सम्पन्न कर लेते हैं। यह स्थिति भयावह है। सभा इस पाखंडी भ्रमजाल को भेदने के लिये संकल्पित है।
मौनव्रत सत्याग्रह पर बैठे हिन्दी हितकारिणी सभा के सचिव शशिकान्त गोपाल ने बताया कि विदेशी भाषाओं ने हिन्दी के दामन को कालिमायुक्त करने की व्यूह रचना कर डाली है और हिन्दीजन जाने-अनजाने इस दाग को लिये भटक रहे हैं। हिन्दी दिवस पर उक्त कालिमा से मुक्ति के लिये एक दृढ़ संकल्प और अदम्य इच्छा शक्ति की आवश्यकता है।
इस अवसर पर सभा द्वारा राज्यपाल को सम्बोधित चार सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भेजा गया जिसमें सभी प्रतियोगी परीक्षायें हिन्दी में कराने, हिन्दी को न्यायालय की मान्य भाषा बनाने, सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग करने तथा शासन के सभी पट्ट केवल हिन्दी में किये जाने की मांग सम्मिलित है। मौनव्रत स्थल पर हिन्दी हितकारिणी सभा के सभापति रवीन्द्र शुक्ल, सचिव शशिकान्त गोपाल के अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार देवी प्रसाद गुप्ता, दिलीप साहू, महेश प्रसाद साहू ‘दद्दू’, विजय त्रिपाठी, आशुतोष गुप्ता, आशीष श्रीवास्तव, अखिलेश त्रिवेदी, सर्वेश गुप्ता, सतीश चन्द्र गुप्ता, गिरिजाशंकर जायसवाल, होमेन्द्र कुमार मिश्र, सत्यम शिवम सुन्दरम, मानस मुकुल त्रिपाठी, प्रदीप कुमार आदि लोग उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com