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आयोग की जनसुनवाई में प्रस्तावित बिजली दर का व्यापक विरोध

Posted on 11 September 2012 by admin

किसी भी हाल में ना बढ़ायी जाए बिजली दरे
उपभोक्ता परिशद ने जनसुनवाई में प्रस्तावित दर का किया कड़ विरोध
आगामी बिजली दर पर उ0प्र0 विद्युत नियामक आयोग के किसान मण्डी भवन सभागार में आज एक जन सुनवाई श्री राजेष अवस्थी अध्यक्ष उ0प्र0 विद्युत नियामक आयोग की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जन सुनवाई में आयोग के सदस्य श्री श्रीराम व सदस्य श्रीमती मीनाक्षी सिंह सहित आयोग के सचिव ए0के0 श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। पावर कारपोरेषन द्वारा सर्वप्रथम बिजली दर पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया इसके बाद आपत्तियों का दौर षुरू हुआ।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिशद के अध्यक्ष अवधेष कुमार वर्मा द्वारा प्रस्तावित बिजली दर पर व्यापक आपत्तिया दर्ज कराते हुए किसी भी सूरत में बिजली दर को ना बढ़ाने हेतु अपना तर्क रखा गया अध्यक्ष उपभोक्ता परिशद ने सुनवाई में कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा फिक्स चार्ज प्रति किलोवाट की जगह प्रति कनेक्षन किया जाय व कृशि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को वर्तमान में मिल रही कम बिजली के एवेज में उनकी दरों में कमी की जाय। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को सरकार द्वारा बढ़ाये जाने के निर्णय को जनविरोधी बताते हुए यह तर्क रखा गया कि बढ़ी ड्यूटी के अनुपात में घरेलू उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज में कमी लायी जाये। वर्तमान में बिजली विभाग का घाटा लगभग 24 हजार करोड़ है और बिजली कंपनियों का विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं पर कुल बकाया लगभग 26 हजार करोड़ है ऐसे में यदि बकाये को कंपनिया वसूल ले तो किसी भी श्रेणी के उपभोक्ताओं की दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं करना पड़ेगा साथ ही बिजली कंपनिया फायदे में भी आ जाएंगी। केवल मार्च 2012 तक सरकारी विभागों पर बिजली विभाग का लगभग 3500-4000 हजार करोड़ रूपये बकाया है जो सत्यापित हो चुका है की वसूली क्यों नहीं हो रही है नियमानुसार विभाग को बजेट्री प्रोविजन में ही सरकार से यह धनराषि ले लेना चाहिए। बिजली कंपनियों द्वारा कागजो में कहा जाता है कि उसकी राजस्व वसूली 90-99 प्रतिषत है पर सच्चाई 85 प्रतिषत के ऊपर नहीं है। इसकी भरपाई आम जनता क्यों करेगा।
उपभोक्ता परिशद द्वारा आयोग के सामने यह बात रखी गयी कि बिजली आपूर्ति समान रूप से पूरे प्रदेष में होनी चाहिए क्योंकि सभी उपभोक्ता समान रूप से बिजली बिल का भुगतान करते है। माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ  खण्ड पीठ में एक जनहित याचिका विद्युत आपूर्ति को लेकर लगी है जब तक आयोग मा0 उच्च न्यायालय के आदेष का व्यापक अध्ययन जनहित में ना कर ले बिजली दर को अन्तिम रूप ना दिया जाये। नियमानुसार नियामक आयोग का कार्य है कि वह विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 23 के तहत सभी उपभोक्ताओं को समान रूप से बिजली का वितरण कराये। उपभोक्ता परिशद द्वारा लाईन हानियों के मुद्दे पर भी अपनी बात रखते हुए यह कहा गया कि आर0ए0पी0डी0आर0पी0 योजना सहित पूरे प्रदेष में एबीसी कन्डेक्टर बड़े पैमाने पर लगाये गये पर लाईन हानिया नहीं कम हुई इसके लिए कौन जिम्मेदार है। केवल कागजी कार्यवाही पर अब काम चलने वाला नहीं है। उपभोक्ता परिशद ने टोरेन्ट पावर आगरा पर ऊॅगली उठाते हुए कहा कि टोरेन्ट पावर द्वारा बिजली दर प्रस्ताव में सभी सूचनाए छुपाई गयी है। कम दरों पर उसको फ्रेन्चाईजी कैसे दे दी गयी उसकी भरपाई कही ना कही आम जनता को ही करना होगा जो अपने आप में जाॅंच का विशय है। परिशद अध्यक्ष ने यह भी मुद्दा उठाया कि हर साल बिजली दर बढ़ाने की बात होती है पर जब बिजली दर बढ़ जाती है, उसके अनुपात में विभाग की उदासीनता के चलते राजस्व की वसूली नहीं हो पाती है इसके लिए विभाग जिम्मेदार है फिर उस पर कार्यवाही क्यों नहीं होती। आयोग को यह भी देखना होगा कि आदर्ष उपभोक्ताओं के लिए कोई भी छूट की योजना कभी भी नहीं आती पर डिफाल्टर उपभोक्ताओं के लिए अनेको योजना लायी जाती है, जिससे आदर्ष उपभोक्ताओं की संख्या घट रही है पर भी आयोग को गम्भीरता से सोचना होगा और अच्छे उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन देना होगा।
उपभोक्ता परिशद द्वारा जन सुनवाई में भारत के दूसरे राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन दिखाते हुए यह कहा गया बिना बढ़ोत्तरी के ही उ0प्र0 में वर्तमान में लागू घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली  दरे बहुत ज्यादा है ऐसे में घरेलू उपभोक्ताओं की बिद्युत दरों में कमी पर विचार होना चाहिए।
उपभोक्ता परिशद द्वारा ट्रान्समिषन की जन सुनवाई में यह बात उठाई गयी कि पारेशण व वितरण के नेटवर्क में बड़े पैमाने पर मिसमैच है, जिसकी वजह से आम जनमानस को बिजली उपलब्ध होते हुए भी बिजली नहीं मिल पा रही है जो अपने आप में घोर चिंता का विशय है। इसलिए पारेशण के सिस्टम में अविलम्ब सुधार होना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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