सार्वजनिक वितरण प्रणाली से राषन प्राप्त करने के लिए सभी ब्लाॅकों के ग्रामीण क्षेत्रों में साढ़े पांच लाख राषन कार्ड जारी किए जा चुके हैं, लेकिन ब्लाॅकों में केवल तीन लाख 90 हजार 907 राषन कार्ड धारकों का ही प्रमाण मिलता है। एक लाख राषन कार्ड किस व्यक्ति को जारी किए गए इसका लेखा जोखा किसी के पास नहीं है। यही राषन कार्डों का 34 हजार रूपए षुल्क भी बकाया है। राषन कार्ड के वितरण में सबसे अधिक अनियमितता जयसिंहपुर व कादीपुर तहसील में होने की जानकारी मिली हेै। इस बाबत जब सम्बन्धित पुर्ति अधिकारी से दूरभाष पर सत्यता की जानकारी चाही गई तो उनका मोबाईल नहीं उठा।
षासन की ओर से गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वितरित होने वाली राषन व अन्य सामाग्री का लाभ पहुंचाने के लिए राषन कार्ड जारी किया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्ड बनाने की जिम्मेदारी ब्लाॅक कर्मचारियों की होती है। षहरी क्षेत्र में पूर्ति कार्यालय से राषन कार्ड जारी किया जाता है अब तक तहसीलदार सदर, जयसिंहपुर, कादीपुर लम्भुआ के सभी ब्लाॅकों को लगभग साढ़े पांच लाख सादा राषन कार्ड गया था। ब्लाॅक कर्मियों ने कहने के लिए तो पूरा राषन कार्ड जारी कर दिया किन्तु उनके पास सभी राषन कार्डों को जारी करने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। ऐसे में इस बात का पता नहीं चल पा रहा है कि किसको राषन कार्ड जारी किया गया है। डीएसओ कार्यालय पर भेजी गई रिपोर्ट पर नजर डाली जाय तो एक लाख कार्डों का लेखा जोखा ही नहीं है। ब्लाॅक के अधिकारी मात्र तीन लाख 90 हजार 907 राषन कार्ड किस व्यक्ति को जारी किया गया है इतने का ही प्रमाण दे पा रहे हैं। ब्लाॅकों पर जिन राषन कार्डों का प्रमाण नहीं है। उनके नाम तो राषन कार्ड आवंटन नहीं होता है। किन्तु उसके दुरूपयोग होने की आषंका बनी रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तीन लाख 86 हजार 241 कार्ड धारकों को ही राषन का आवंटन किया गया है। षासन की ओर से फर्जी राषन कार्डों की जांच के लिए कई बार अभियान चलाया गया फिर भी इस गड़बड़ी का खुलासा नहीं हो सका। वर्ष 2010-11 में राषन कार्डों का भौतिक सत्यापन कराया गया था जिसमें 4112 राषन कार्ड निरस्त किए गए थे। ये सत्यापन जिले के बंटवारे से पहले हुआ था। कुछ ब्लाॅक ऐसे हैं जिनके पास सादे राषन कार्डों का लगभग 34 हजार रूपय ेषुल्क बकाया है। डीएसओ कर्यालय से कई बार पत्र जारी किया गया किन्तु राषन कार्डों का प्रमाण व षुल्क की धनराषि नहीं भेजी गई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com