भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र की प्रेस वार्ता में कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। आखिर भ्रष्टाचार से जुडे़ मामले उजागर तो होते पर जब कार्यवाही की बात आती है तो सरकार क्यों कोई ठोस पहल करती हुई नहीं दिखती ?भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही के आश्वासन के साथ सत्ता में आयी सपा विगत 6 महीनों में भ्रष्टाचार के किसी मामले में कोई ठोस कार्यवाही की क्या ?
आरोप प्रत्यारोपों के दौर के बीच भ्रष्टाचार से जुड़े मामले समाप्त होते नजर आ रहे है। सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने नेता विरोधी दल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये। लेकिन जब नेता विरोधी दल ने जांच की मांग की तो मामला ठंडे बस्ते में चला गया। आखिर सच कहां विलोपित हो रहा है।
अब नोयडा में जमीन हस्तान्तरण का ही मामला ले लिया जाए। अभी पिछली कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने 895.63 एकड़ जमीन नोयडा अथारिटी से वापस लेकर सिंचाई विभाग को दे दिया और कहाकि इस जमीनों को सिंचाई विभाग से छीनकर नोयडा अथारिटी को देने वाले और अनियमिता करने वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी ?
मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से पूंछना चाहता हँू कि क्या आखिर इसकी जांच के लिए कोई जांच कमेटी बनायी गई ? उसकी कोई समय सीमा निर्धारित की गई ? कार्यवाही की बात तो मुख्यमंत्री ने की है पर कार्यवाही कब तब होगी ? विधान परिषद में नेता विरोधी दल का अभी मैं अखबारों में व्यक्तव्य पढ़ रहा था जिसमें उन्होंने पिछले सपा शासन में दी गई जमीनों का ब्यौरा दिया और कहा कि आरोप लागने वाले पहले अपने गिरेबान में देखें।
अब स्थिति यह बनती है कि बसपा नेता ही सिंचाई मंत्री थे यदि ये जमीनें सपा ने अनियमित तरीके से दी तो उन्होंने कार्यवाही क्यों नहीं की ?
मेरा यह मानना है कि पिछले वर्षों में दिल्ली के आस-पास के इलाकों में भूमि हस्तान्तरण के मामलों की जांच कराई जानी चाहिए।
पिछली सरकार ने अतिरिक्त करों की दरों में आधी फीसदी की बढ़ोत्तरी करके आम जनता पर मंहगाई का बोझ लाद दिया पहले तो कर रहित बजट पेश करते हैं और बाद में अचानक अतिरिक्त करों की वृद्धि का फैसला इस लोकतंत्र के हित में नहीं है ?
बिजली को लेकर सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है। लखनऊ में इन्दिरानगर/गोमतीनगर जैसे पाॅशइलाकों में बिजली नहीं आ रही है। बिजली लेकर हाहाकार मचा है। आज मैं इन्दिरानगर गया तो कई लोगांे ने शिकायत की बिजली नहीं आ रही है। विद्युत करों में इजाफा करके जनता पर दोहरी मांग कर दी है। मार्ग प्रकाश के बिन्दु खराब है जिसकी बजह से ही घटनाएं भी घट रही है।लखनऊ नगर निगम में नगर आयुक्त का पद रिक्त है।
मेरा यह मानना है कि प्रोन्नति पर आरक्षण पर अभी हाल ही में आये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार ही कार्यवाही की जानी चाहिए ? जहां तक इस सम्बन्ध में आये संविधान संशोधन बिल का प्रश्न है तो उस सम्बन्ध में जब चर्चा होगी तो फैसला लिया जाए ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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