ऽ संजय गाॅधी का एहसान चुकाने के लिए आधे से अधिक कांग्रेसी करेंगे प्रचार
ऽ क्या जनता अब काॅग्रेस के नाम पर वोट नहीं देगी
जनपद की राजनैतिक सियासत पुनः जोर पकड़ने जा रहा है। कारण यह कि गली व चैराहों पर सुलतानपुर संसछीय ़ोत्र से भाजपा पार्टी से चुनाव लड़ने वरुण गाॅधी आ रहे हैं। कुछ वरिष्ठ काॅग्रेसियों ने चर्चा के दौरान बताया कि कहीं यदि सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र से वरुण गाॅधी चुनाव मैदान में आ जायंेगे तो जिले के ही नहीं रायबरेली, अमेठी व सुलतानपुर, फैजाबाद, आजमगढ़, जौनपुर तथा प्रतापगढ़ आदि जनपद से लगे क्ष्ेात्र भी प्रभावित होंगे। वैसे भी कांग्रेस को की लुटिया डुबोने में किषोरी लाल काफी अहम अपनी योगदान दे रहे हैं ऐसा वरिष्ठ काग्रेयिों का कहना हैं । इस तथ्य को जब जानने के लिए क्षेत्रों की जनता से सम्पर्क किया गया तो और भी बातें खुल कर सामने आयी। कांग्रेस में जातिगत समीकरण बैठाने में गड़बड़ा गई है। अभी रायबरेली, अमेठी तथा सुलतानपुर में किषारेी लाल षर्मा ने कार्यवाहक जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राम्हणों को ही बैठा दिया। ऐसे में मुष्लिम तथा बैकवर्ड काफी नारज हो गया है। कांगेसी लोगों का कहना है कि यदि रायबरेली से ब्राम्हण को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है तो अमेठी से मुस्लिम व सुलतानपुर से बैकवर्ड को जिलाध्यक्षी सौंपना चाहिए था। परन्तु किषोरी लाल ष्षर्मा ने ब्रम्हणों को ही जिलाध्यक्षी की कुर्सी पर बैठाया। यदि कांग्रेसी पार्टी पर दाॅव ही लगाना है तो युवाओं पर दाॅव लगाये न कि घिसे-पिटे लोेगों पर। काॅग्रेस पार्टी से नाराज व एक ही व्यक्ति पर उपरोक्त तीनों सीटों पर अपना एकाधिकार समझना ही कोॅग्रेस की लुटिया डुबोने में काफी हैं इसका सीधा असर पिछले दिनों विधानसथा व नगर निकाय के चुनाव में देखने को मिला। कांग्रेसियों का मानना है कि कंग्रेस की मटियामेट करने में किषोरी लाल षर्मा की अहम भूमिका, रही है। अगर हम विधानसभा के चुनाव से समीक्षा करें तो सारी बाते सपष्ट नजर आयेगा। काुग्रेस पार्टी के कार्यकताओं का मानना है कि सोनिया व राहुल गाॅधी को सत्य का ज्ञान नहीं,, मान रहे हैं वरिष्ठ कांग्रेसी कि विधान सभा के चुुनाव में राहुल व प्रियंका ने झोकी थी पूरी ताकत, फिर भी नतीजा षून्य रहां । नगर पालिका के चुनाव में भी हुई सियासत, परिणाम ढाक के तीन पात रहा पुराने कांग्रेसी नेता को बेज्जत किया गया और उनको मिला हुआ टिकट काट कर बिना किसी छवि वाले नेता को दिया गया जिसका जिला व पार्टी में कोई वजूद नही था। विधान सभा में कांगेस की मिली हार को गाॅधी व नेहरु का नाम जपने वाले, विधायकी हार जाने के बाद लाॅछन लगाना षुरु कर दिया था । अब तक जो गाॅधी नेहरु के नाम का गुणगान करते नहीं थकते थे, वही अब चुनाव हार जाने के बाद यह कहना षुरु कर दिया कि जनता अब जागरुक हो गई है। वह अब गाॅधी नेहरु के नाम पर वोट नहीं करती है। ऐसी हालत में पुरानी कोग्रेसी जो संजय गाॅधी के साथ थे वे पूरी तरह वरुण गाॅधी के साथ जाने की तैयारी मैं है जिसकी चर्चा चैराहों व चाय की दुकानों पर प्रारम्भ हो चुकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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