राश्ट्रीय साक्षरता मिषन प्राधिकरण, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज एक तीन दिवसीय ;7 सितम्बर से 9 सितम्बर, 2012द्ध भव्य आयोजन, साक्षर भारत महोत्सव की षुरुआत की। महोत्सव का आरम्भ उत्तर प्रदेष के राज्यपाल महामहिम श्री बी.एल. जोषी द्वारा कृति प्रदर्षनी का उद्घाटन करके किया गया, जिसके बाद षिक्षा के महत्व पर एक पैनल चर्चा हुई। इस महोत्सव की अवधारणा देष में वयस्क षिक्षा को संवर्द्धन तथा मज़बूती प्रदान करने के उद्धेष्य से स्कूली षिक्षा तथा साक्षरता विभाग द्वारा तैयार की गई है।
कृति प्रदर्षनीः
कृति जन षिक्षण संस्थान द्वारा लगाई गई एक प्रदर्षनी है। जन षिक्षण संस्थान निरक्षर, नये-नये साक्षर हुये तथा प्राथमिक स्तर तक षिक्षित लोगों को व्यसायिक प्रषिक्षण प्रदान करने वाला एक संस्थान है। यह प्रदर्षनी साक्षरता स्तर बढ़ाने तथा परिणामस्वरूप नये साक्षर हुये लोगों के लिये आजीविका कमाने के अवसर बढ़ाने के सरकार के प्रयासों के विशय में जागरूकता पैदा करने के उद्धेष्य को पूरा करती है। इस प्रदर्षनी में 35 स्टाॅल लगेे, जिनमें जूट षिल्प, कालीन बुनाई, पेंटिंग, कागज़ से बने उत्पाद, आदिवासी उत्पाद, कृत्रिम आभूशण इत्यादि जैसे उत्पादों की उत्कृश्ट रेंज रखी गई थी। प्रदर्षनी में अपने स्टाॅल लगाने वाले अन्य भागीदारों में खादी तथा ग्रामोद्योग, हस्तषिल्पकार, राश्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान षामिल थे। आईसीटी आधारित साक्षरता प्रदर्षित करने के उद्धेष्य से टीसीएस तथा तारा अक्षर ने भी स्टाॅल लगाये हैं। इस प्रदर्षनी को देखने 3000 से भी अधिक लोग आये।
सम्मिलित विकास में साक्षरता की केंद्रीयता - उत्तर प्रदेष का पारिस्थितिक विष्लेशण:
महोत्सव के तहत एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिश्ठित पैनल सदस्यों ने हिस्सा लिया। पैनल चर्चा की मध्यस्थता आदरणीय प्रो0 राकेष बसंत, वरिश्ठ संकाय-सदस्य, भारतीय प्रबंधन संस्थान - अहमदाबाद द्वारा की गई और इसमें श्री सौरभ जौहरी, आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेषन, दिल्ली, एक वैष्विक परिपेक्ष्य प्रदान करते श्री षिगेरु आॅयागी, निदेषक तथा भारत, भूटान, माल्दीव तथा श्रीलंका के लिये यूनेस्को के प्रतिनिधि, राजेष महापात्रा, उप-कार्यकारी संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, दिल्ली तथा यूनेस्को के षिक्षा विषेशज्ञ श्री वेंकटेष मालूर जैसे प्रतिश्ठित पैनल सदस्य षामिल थे। चर्चा का विशय था देष के विकास में साक्षरता का महत्व। चर्चा में इस बात पर भी प्रकाष डाला गया, कि कैसे भारत के आर्थिक विकास तथा राश्ट्रीय विकास में साक्षरता अपरिहार्य है। पैनल सदस्यों ने सरकार के एक ‘‘षिक्षित’’ राश्ट्र प्राप्त करने हेतु किये जा रहे प्रयासों को प्रभावित करने वाले घटकों का भी आलोचनात्मक विष्लेशण किया।
श्री सौरभ जौहरी, आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेषन, दिल्ली, द्वारा प्रस्तुत किये गये एक षोध-पत्र में ‘‘साक्षरता की विशमता, जिसके चलते सामाजिक अवरोध उत्पन्न होते हैं’’ का उल्लेख किया गया। इनके विष्लेशण के अनुसार ‘‘जीवन पर्यंत अध्ययन’’ इस विशमता को दूर करने का एकमात्र उपाय है। श्री षिगेरु आॅयागी, निदेषक तथा यूनेस्को प्रतिनिधि, ने कहा, ‘‘साक्षरता षिक्षा का मामला नहीं है, यह समाज के लिये एक सामाजिक मुद्दा तथा सामाजिक दायित्व है।‘‘ यूनेस्को के षिक्षा विषेशज्ञ श्री वेंकटेष मालूर ने अनुरोध किया कि निरक्षरता मिटाने हेतु तैयार किये गये सभी कार्यक्रमों को एक साक्षर समाज का सृजन करने के लिये बृहत् प्रयास करने चाहियें। राजेष महापात्रा, उप-कार्यकारी संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, दिल्ली ने जागरूकता, समर्थन तथा सक्रियता जैसे उपकरणों को प्रयोग करके सम्मिलित विकास हेतु साक्षरता के प्रसार में मीडिया की भूमिका के विशय में बात की। पहले दिन की चर्चाओं ने षिक्षा के महत्व को खासा बल प्रदान किया।
कलासंगम:
कलासंगम ;सांस्कृतिक विविधता में एकता के लिये साक्षरताद्ध के साथ महोत्सव का पहला दिन सम्पन्न हुआ। कलासंगम का उद्घाटन श्री सत्नाम सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेषक, पाॅवर फाइनेंस काॅर्पोरेषन द्वारा किया गया। इस विषिश्ट कार्यक्रम में 6 राज्यों - उत्तर प्रदेष, हरियाणा, उत्तराखण्ड, झारखण्ड तथा बिहार - ने हिस्सा लिया और अपने-अपने राज्य के गीत तथा नृत्यों का प्रदर्षन किया। इस कोरियोग्राफ़ किये गये षो का विशय एक ही था - साक्षरता और इसे कार्यक्रम के सभी स्वयंसेवकों तथा लाभग्राहियों को अभिप्रेरित करने तथा सुग्राही बनाने के उद्धेष्य से तैयार किया गया था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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