सरकार नाम की सत्ता ने जनांदोलनो के खिलाफ एक अभियान चला रखा है, साथियों को माओवादी बता कर जेलों में डाल दिया जाता है , माओवादी का ठप्पा लगते ही तमाम लोग डर कर भाग जाते हैं और जम कर विरोध नहीं कर पाते. ऐसे मामलों में जैसा विरोध होना चाहिए वैसा नहीं हो पाता जबकि हमें विरोध के स्वकार को तेज़ करना चाहिए जिससे साथियों के परिवारों में हताशा न आये. ढाई साल तक मावोवादी होने के आरोप में अपने पति के साथ जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ती सीमा आजाद ने ये बातें अपने संबोधन में कही . सीमा और उनके पति विश्वविजय आज लखनऊ प्रेस क्लब में ” काले क़ानून के विरोध में आयोजित संगोष्ठी में मुख्या वक्ता थे. संगोष्ठी का आयोजन लोक स्वतंत्र संगठन ( पी यु सी एल ) ने किया था.
पी यु सी एल के प्रदेश अद्ध्यक्ष चितरंजन सिंह ने अपने संबोधन में कहा की देश में मानवाधिकारों की स्थिति बहुत ख़राब है उन्होंने उड़ीसा, छत्तीस गढ़, मणिपुर आदि राज्यों का हवाला देते हुए कहा की सरकारें पूंजीपतियों और कर्पोराते घरानों के एजेंट के रूप में कार्य कर रही हैं और देश में दस हज़ार से ज्यादा मुकदमें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ चल रहे हैं. जन अधिकारों की पैरवी करने वालों को माओवादी कह कर जेलों में डाला जा रहा है. साहित्यकार वीरेंदर यादव ने कहा की धरा १२४ ए का प्रयोग अंग्रेजों ने लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी जैसे लोगों के खिलाफ किया था जो हमारी आजादी की लडाई के नायक थे तब से लेकर आज तक सरकारें इस कानों का इतेमाल देश के मजलूमों की हक की लडाई लड़ने वालों के खिलाफ कर रही है. हमें इसके खिलाफ जनमत बनाने की जरूरत है. जनवादी लेखक संघ के कौशल किशोर ने कहा की आज जिन्हें जेलों में होना चाहिए वो सत्ता में हैं और जिन्हें सत्ता में होना चाहिए सरकारे उन्हें जेल में डाल रही है . फर्जी मुकदमे लगा कर जनता का दमन किया जा रहा है. जन संस्कृति मंच के के.के शुक्ल ने कहा की सीमा और विश्वविजय ने खनन माफिया और गंगा एक्सप्रेस वे की नीलामी और ठेकेदारी पर सवाल उठाये थे जिसकी सजा इन्हें भुगतनी पड़ रही है. वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने कहा की अंग्रेजो के बनाये काले कानूनों को बदलने की बजाये हमारी सरकारें दमन के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.सुप्रीम कोर्ट बार बार कह रहा है की साहित्य रखना जुर्म नहीं है.
चिन्तक अनिल चौधरी ने अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से इस बात को रेखांकित किया की आज अमीर गरीब की लडाई आर पार की हो चुकी है. आज के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने १९१ में ही कह दिया था गरीबो का बोझ लाद कर इक्कीसवी सदी में नहीं जाया जा सकता . और आज उनके नेतृत्व में गैर बराबरी और आपसी वैमनस्यता लगातार बढ़ रही है. . संगोष्ठी की अद्ध्यक्षता कर रहे प्रोफ. रमेश दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा की आज की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है की सीमा आज़ाद और विश्वविजय के बहाने हम लोगों को एकजूट होने का मौका मिला . राज्य नाम की संस्था तानाशाह हो चुकी है . जब पुलिस कर्मी या सेना का जवान मारा जाता है और यही पुलिस वाले या सेना के जवान जब जनांदोलन के लोगों को मरती है तो आतंकवादी या माओवादी कह देती है. उन्होंने आह्वान किया की काले कानूनों के खिलाफ बृहद स्तर पर अभियान चलने की जरुरत है.
लगभग सौ से ज्यादा प्रतिभागियों वाली इस संगोष्ठी को ताहिरा हसन , राकेश, प्रेमनाथ राय , शकील सिद्दीकी आदि ने भी संबोधित किया.
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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