समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि केन्द्र सरकार मंहगाई रोकने में पूर्णतया विफल साबित हुई है। जनता के उपयेाग की सभी खाद्य वस्तुएं दिनो दिन मंहगी होती जा रही हैं। डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस के दाम बढ़ाकर सरकार ने पहले ही जनता को तबाही के कगार पर पहुॅचा दिया है। श्री मुलायम सिंह यादव ने संसद में डा0 राममनोहर लोहिया की दाम बाॅधो नीति को अपनाने का सुझाव दिया था, जिस पर सरकार ने उपेक्षा का रवैया अपनाया। नतीजे में आज मंहगाई की आग चारों तरफ लगी हुई है और लोग इससे बुरी तरह त्रस्त है।
दिक्कत यह है कि केन्द्र की यू0पी0ए0-2 सरकार और इसका मुख्य घटक कांगे्रस नीतिगत अनिर्णय से ग्रसित है। मूल्य नियंत्रण के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए उसका पूर्णतया अभाव नजर आता है। ढुलमुलयकीनी के चलते न तो कालाबाजारी रूक रही है न वायदा सौदोें पर रोक है और न ही जमाखोरों पर बंदिष है। सरकार के खाद्य प्रबन्धन में गडबड़ी के चलते गेहूॅ बाजार भी अव्यवस्थित हो गया है। खुले बाजार में स्टाक की कमी की वजह से गेहूॅ की कीमतें रिकार्ड स्तर पर ऊॅचाई छूने लगी है। रबी सीजन में बंपर पैदावार और भारी स्टाक के बावजूद गेहॅू की बढ़ती कीमतेें रोकने की कोई योजना सरकार के पास नहीं दिख रही हैं। सरकार खुद मंहगाई बढ़ाने में लगी है।
मंहगाई की बढ़त का आसार जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देता है। सब्जी बाजार में आग लगी हुई है। दलहन बाजार का भी बुरा हाल है। आम आदमी के इस्तेमाल की अरहर दाल के भाव आसमान छू रहे हैं। तेल भी अब आम आदमी की पहुॅच से बाहर हो रहा है। सवाल यह है कि जब सभी खाद्य वस्तुएं मंहगी हों तो आदमी कैसे जिंदा रहे।
इस मंहगाई पर एक रोचक बयान अखिल भारतीय सर्राफा संघ के उपाध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन का आया है, जिनका कहना है कि इसका गहरा असर सर्राफा कारोबार पर पड़ा हैं। मंहगाई की वजह से आम परिवारों का बजट पहले ही गड़बड़ है। ऐसे में वे अब आभूषणों और सोना चाॅदी की खरीद पर धन लगाने में हिचकते हैं। स्थिति यह है कि आर्थिक वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन सभी कुछ घट रहा है तो बाजार की बिक्री में भी गिरावट लाजिमी है। यदि केन्द्र सरकार ने समय रहते मंहगाई रोकने की कोशिश नहीं की तो आने वाले दिनों में जनता का आक्रोश फूट पड़ेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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