उत्तर प्रदेश सरकार एवं राज्य विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम-1987 की धारा-22 ’क’ के अनुसार उपयोगिता सेवा को मुकदमा पूर्व सुलह और समझौता के अनुसार लोक अदालतों में निस्तारण करने की व्यवस्था की गयी है। उपयोगिता सेवा में वायु, सड़क, रेल या जल मार्ग द्वारा यात्रियों या माल वाहन के लिये यातायात सेवा, डाक-तार या टेलीफोन सेवा, जनता को विद्युत प्रकाश या जल उपलब्ध कराने वाले विभागों की सेवा, लोक-सफाई या स्वच्छता प्रणाली सेवा, अस्पताल या औषधालय सेवा तथा बैंक या बीमा सेवा को सम्मिलित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी जनपदों में तथा न्यायालयों में विधिक सेवा प्राधिकरण सक्रिय हैं। उपरोक्त सेवाओं से संबंधित समस्याओं को जनपदों के जिला जज की अध्यक्षता में गठित विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रकरण को लाया जा सकता है। लोक अदालतों की सभी कार्यवाही को भारतीय दण्ड संहिता-1860 की धारा-193, 210 एवं धारा-228 के अनुसार न्यायिक कार्यदायी समझी जायेगी। प्रत्येक लोक अदालत, दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-195 एवं अध्याय-26 के अनुसार सिविल न्यायालय का अधिकार है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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