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गन्ना किसानों के हितों की अनदेखी किसी भी हाल में नहीं होने दी जाएगी: मुख्यमंत्री

Posted on 26 August 2012 by admin

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष डाॅ0 सी0 रंगराजन की मुख्यमंत्री के साथ गन्ना एवं चीनी सेक्टर को विनियमन-मुक्त किए जाने के सम्बन्ध में बैठक

up-cm-akhilesh-yadav-with-c-rangrajan-1उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि गन्ना किसानों के हितों की अनदेखी किसी भी हाल में नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान गन्ने की खेती करते हैं और गन्ने से जुड़ी अन्य गतिविधियों से बहुत सारे लोगों की आजीविका चलती है। ऐसे में गन्ने से सम्बन्धित कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह बात आज अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष डाॅ0 सी0 रंगराजन के साथ आयोजित एक बैठक में कही। बैठक गन्ना क्षेत्र को विनियमन-मुक्त किए जाने के सम्बन्ध में थी।
उत्तर प्रदेश में गन्ना क्षेत्र सुरक्षण की वर्तमान व्यवस्था का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी मिलों द्वारा गन्ना क्षेत्र को सुव्यवस्थित व प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने हेतु उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम-1953, उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) नियमावली-1954 एवं उ0प्र0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद आदेश-1954 में व्यवस्था निहित है। चीनी मिलों को गन्ना क्षेत्र के सुरक्षण में जो व्यवस्थाएं प्रभावी हैं, उनके अनुसार उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) अधिनियम-1953 की धारा-14 में प्रदत्त व्यवस्था के अन्तर्गत गन्ने की सर्वेक्षण नीति जारी करके गन्ने का सर्वेक्षण कराया जाता है। उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) अधिनियम-1953 की धारा 12 के अन्तर्गत चीनी मिलों की गन्ने की आवश्यकता निर्धारित की जाती है।
श्री यादव ने कहा कि गन्ना क्षेत्र सुरक्षण के अन्तर्गत सहकारी गन्ना समितियों के प्रतिनिधियों, गन्ना किसानों एवं चीनी मिल प्रतिनिधियों की खुली बैठक करके उनके विचार प्राप्त किए जाते हैं। तदोपरान्त उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) अधिनियम-1953 की धारा 15 एवं उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) नियमावली-1954 के नियम -22 के अन्तर्गत चीनी मिलवार क्षेत्र का निर्धारण किया जाता है। उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद आदेश-1954 के प्राविधानों के अन्तर्गत चीनी मिल व गन्ना समिति के मध्य गन्ने की मात्रा तथा गन्ने की दर का फार्म-सी पर अनुबन्ध कराया जाता है।
गन्ना क्षेत्र को विनियमन मुक्त (डी-रेगुलेशन) किए जाने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा करने से चीनी मिलों द्वारा मनमानी किए जाने की संभावना है। जिसके चलते मिलें वाह्य क्षेत्र/गेट, ग्राम, क्रय केन्द्रों से गन्ना खरीद सकती हैं, जिससे क्षेत्रीय मिल के कृषकों में आक्रोश उत्पन्न हो सकता है। इस बात की भी संभावना है कि किसी एक ग्राम में कई चीनी मिलें अपने-अपने क्रय केन्द्र स्थापित कर लें तथा किसी ग्राम में क्रय केन्द्र स्थापित न भी करें।
श्री यादव ने आगे कहा कि गन्ना क्षेत्र को विनियमन मुक्त करने पर छोटे व साधारण गन्ना किसानों के शोषण की पूरी संभावना है। ऐसे में प्रभावशाली लोग छोटे व साधारण गन्ना किसानों से मनमाने ढंग एवं दर से गन्ने की खरीद कर मिलों को ऊँची दरों पर गन्ने की आपूर्ति कर मुनाफा कमाएंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से गन्ना मूल्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, जिसका अनुचित लाभ बड़ी पेराई क्षमता वाली चीनी मिलें उठाएंगी।
up-cm-akhilesh-yadav-with-c-rangrajan-meetingमुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि भारत सरकार द्वारा चीनी मिल स्थापना को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है, फिर भी लेटर आॅफ़ इण्टेण्ट में दो चीनी मिलों के बीच की न्यूनतम दूरी 15 किलोमीटर निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि गन्ना क्षेत्र आरक्षण के समय प्रत्येक चीनी मिलों पर यह प्रतिबन्ध रहता है कि वह सम्पूर्ण पेराई योग्य गन्ने की आपूर्ति करके सम्बन्धित गन्ना समिति, जिला गन्ना अधिकारी एवं क्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्तों से ‘नो केन’ प्रमाण पत्र प्राप्त करके मिलों में पेराई समापन करेंगी। उन्होंने इंगित किया कि यदि डि-रेगुलेशन करके विधिक व्यवस्थाएं समाप्त करने पर विचार किया जाएगा तो चीनी मिल चलने एवं बन्द होने पर कोई नियंत्रण न होने की स्थिति में कठिन स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश की सहकारी गन्ना समितियों का मुख्य दायित्व सदस्य गन्ना किसानों की गन्ना आपूर्ति सुनिश्चित कराने का होता है। डी-रेगुलेशन से चीनी मिलें स्वछन्द हांेगीं तथा गन्ना समितियों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। गन्ना समितियां अपने क्षेत्र गन्ना कृषक सदस्यों को उर्वरक, गन्ना बीज, कीटनाशक एवं कृषि यंत्र आदि ऋण पर वितरित करते हैं तथा गन्ना मूल्य भुगतान से उक्त ऋण को समायोजित कर लेते हैं। यही नहीं गन्ना विकास परिषदों द्वारा सड़क निर्माण/सम्पर्क मार्ग बनाए जाते हैं। इन व्यवस्थाओं का अनुपालन न होने पर परिणामतः गन्ना विकास कार्य पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो जाएंगे, क्योंकि चीनी मिलें अपने सुरक्षित क्षेत्र में गन्ना विकास कार्य में अपना सहयोग अंशदान का भुगतान करती हैं व क्षेत्र निर्धारण न होने से चीनी मिलों द्वारा विकास कार्य बन्द कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदत्त अधिनियम, नियम एवं आदेश के अन्तर्गत वर्षभर गन्ना आपूर्ति एवं गन्ना मूल्य भुगतान व्यवस्था का अनुश्रवण करके गन्ना किसानों के हितों के दृष्टिगत व्यापक कार्यवाहियां की जाती हैं। डि-रेगुलेशन से उक्त व्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ेगा, अतः डि-रेगुलेशन जनहित, कृषक हित एवं कानून व्यवस्था के दृष्टिगत उचित नहीं है।
केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित एफ0आर0पी0 तथा राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाने वाले एस0ए0पी0 के सम्बन्ध में श्री यादव ने कहा कि गन्ना कृषकों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य व उनके हितों के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1971-72 से निरंतर राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य का निर्धारण किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित सांविधिक न्यूनतम मूल्य/उचित एवं लाभकारी मूल्य के सापेक्ष गन्ना कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुए अधिक मूल्य का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय में योजित सिविल अपील संख्या-460/1997 यू0पी0 केन यूनियन फेडरेशन बनाम वेस्ट यू0पी0 शुगर मिल्स एसोसिएशन में मा0उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2004 में दिए गए निर्णय में राज्य सरकार को गन्ना मूल्य निर्धारण किए जाने के अधिकार को वैध ठहराया गया है, जिसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा गन्ना कृषकों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक पेराई सत्र से पूर्व उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम-1953 की धारा-16 के अन्तर्गत राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य निर्धारित किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि पेराई सत्र 2011-12 में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य को मा0 उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 20-04-2012 द्वारा वैध ठहराया है। इस प्रकार राज्य सरकार को गन्ना मूल्य निर्धारण का अधिकार यथावत है। तद्क्रम में गन्ना मूल्य निर्धारण की जो प्रक्रिया चल रही है, वह पूर्णतः उचित है, इसमें किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता नहीं है।
लेवी शुगर के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रकरण भारत सरकार से सम्बन्धित है। वर्तमान में चीनी मिलों से 10 प्रतिशत लेवी रेट पर चीनी ली जाती है। यदि भारत सरकार लेवी चीनी की व्यवस्था लागू रखना चाहती है तो चीनी मिलों से बाजार भाव पर चीनी क्रय करे, ताकि चीनी मिलों की गन्ना मूल्य भुगतान क्षमता बढ़ सके। खुली बिक्री के लिए नाॅन-लेवी चीनी की माहवार उपलब्धता के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था यथावत रहनी चाहिए अन्यथा चीनी मिलें विक्रय हेतु अपनी आंतरिक व्यवस्था करेंगी, जो उपभोक्ता के खिलाफ होगा।
चीनी के आयात-निर्यात के सम्बन्ध में श्री यादव ने कहा कि मांग एवं आपूर्ति सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए निर्यात की सुविधा दी जाए। बन्दरगाह के निकट होने के कारण चीनी के निर्यात का अधिकतम लाभ बन्दरगाह के निकट की चीनी मिलें उठाती हैं। उत्तरी राज्यों की चीनी मिलों को बन्दरगाह तक चीनी पहुंचाने के लिए यातायात में अनुदान दिया जाए, ताकि निर्यात की सुविधा का लाभ उत्तर भारत की चीनी मिलें भी उठा सकें।
गन्ने से बनने वाले बाई प्रोडक्ट यथा शीरे के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में शीरे से एथनाॅल बनाकर 5 प्रतिशत पेट्रोल में ब्लेण्डिंग होती है, जिसको बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाए और एथनाॅल का रेट जो 27 रुपए प्रति लीटर चीनी मिलों को दिया जा रहा है, उसमें बढ़ोत्तरी की जाए। बगास के उपयोग से को-जेनरेशन के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि वर्तमान में निजी क्षेत्र की 101 चीनी मिलें संचालित हैं, जिसमें 58 चीनी मिलों में सह-उत्पादन स्थापित है। शेष चीनी मिलों में भी को-जेनरेशन स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
बैठक में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के सदस्य, सर्वश्री नन्द कुमार, सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, श्री अशोक गुलाटी अध्यक्ष कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, श्री सुधीर कुमार सचिव खाद्य एवं रसद विभाग भारत सरकार, राज्य सरकार की ओर से प्रोटोकाॅल राज्य मंत्री श्री अभिषेक मिश्रा, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री एन0सी0 बाजपेयी, मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री राकेश गर्ग, प्रमुख सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग श्री राहुल भटनागर, गन्ना आयुक्त श्री कामरान रिज़वी, विशेष सचिव मुख्यमंत्री श्री जुहैर बिन सगीर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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