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विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघों के चुनाव लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार कराना सुनिश्चित किया जाए

Posted on 24 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघों के चुनाव लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार कराना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी छात्रसंघों के चुनाव की तारीख भी घोषित नहीं हुई है और पोस्टर, बैनर लगे वाहन दौड़ते दिखने लगे हैं। यही नहीं जगह-जगह होर्डिंग्स लग गईं हैं। इस प्रकार की गतिविधियों को तत्काल सख्ती से रोके जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि छात्रसंघ चुनाव के नाम पर इस प्रकार की गतिविधियां आगे न बढ़ने पाएं।
श्री यादव ने कहा कि छात्र राजनीति में ऐसे युवकों को सामने आना चाहिए जो पूरे छात्र समुदाय के साथ-साथ समाज में रोल माॅडल के रूप में देखे जाते हों। इस परिप्रेक्ष्य में सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे लिंगदोह समिति की संस्तुतियों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएं।
गौरतलब है कि वर्तमान सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के कुछ ही समय बाद राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघों को पुनर्जीवित करने का फैसला किया था। इस क्रम में 21 मार्च, 2012 को लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार छात्रसंघ चुनाव कराए जाने सम्बन्धी एक शासनादेश भी जारी कर दिया गया था।
लिंगदोह समिति ने छात्रसंघ चुनावों के लिए मुख्य रूप से जो संस्तुतियां की हैं उनके अनुसार किसी भी प्रत्याशी को मुद्रित पोस्टर, पैम्फलेट अथवा अन्य कोई मुद्रित सामग्री अपने प्रचार के लिए प्रयोग करने की अनुमति नहीं होगी। वह केवल हस्तनिर्मित पोस्टरों का ही प्रयोग कर सकेगा। प्रत्याशी द्वारा चुनाव के लिए अधिकतम 05 हजार रुपए व्यय किए जाने का प्रावधान है। प्रचार के लिए लाउडस्पीकर, वाहनों एवं जानवरों का प्रयोग प्रतिबन्धित होगा। किसी प्रत्याशी द्वारा ऐसी कोई गतिविधि अथवा प्रचार नहीं किया जाएगा, जिससे विभिन्न जातियों, समुदायों एवं धार्मिक समूह के मध्य तनाव उत्पन्न हो।
इस समिति द्वारा यह संस्तुति भी की गई है कि वे छात्र ही चुनाव लड़ने के लिए अनुमन्य होंगे, जिनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होगा। प्रत्याशी के विरुद्ध किसी न्यायालय में आपराधिक मुकदमा न चला हो अथवा उसे किसी आपराधिक मामले में सजा न सुनाई गई हो। विश्वविद्यालय द्वारा उसके विरुद्ध कोई अनुशासनिक कार्रवाई न की गई हो। लिंगदोह समिति की संस्तुतियों में यह भी उल्लिखित है कि यदि किसी प्रत्याशी द्वारा किसी भी शर्त अथवा व्यय की अधिकतम सीमा का उल्लंघन किया जाता है, तो उसका चुनाव निरस्त किया जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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