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मेडिकल कालेज मे बढने लगे जेई-एईएस के मरीज

Posted on 24 August 2012 by admin

जेई और एईएस के मरीजों की संख्या मेडिकल कालेज मे फिर बढने लगी है। सिर्फ बुधवार को ही यहाॅ 14 मरीज पहुंच गये। और संख्या 100 के पार पहुंच गयी। उधर , पहले से भर्ती तीन मरीजों की मौत भी हो गयी। इन मौतों के साथ ही इस साल अब तक जेई-एईएस से मरने वालों की संख्या 183 पहुंच गयी है।
गौरतलब है कि मेडिकल कालेज के जेई वार्ड में 14 नये मरीज भर्ती हुए। मंगलवार तक 91 मरीजों का इलाज चल रहा था। इसमें से एक की मौत देर रात हो गयी। 14 नए मरीजों को जोड़कर यहां मरीजों की संख्या 104 हो गयी। उधर,बुधवार को भी तीन मरीजों की मौत हो गयी। और इस समय मेडिकल कालेज मे 101 मरीजों का इलाज चल रहा है। पिछले चार दिनों मे भर्ती अधिकतर मरीजों मे सबसे अधिक मरीज गोरखपुर जिलें के है जैसे -जैसे बारिश कीरफ्तार बढ रही है मरीजों की संख्या बढती जा रही है। इस साल जून , जुलाई और अगस्त मे मरीजों की संख्या काफी कम हो रही है विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ इन महीनों मे बारिश कम हुई। अगस्त मे जब बरसात तेज हुई तो मरीजों की संख्या भी बढने लगी। विशेषज्ञ इसके लिए गांवों मे जागरूकता की कमी को भी जिम्मेदार मान रहे है। हालांकि वे खुलकर कुछ बोलने से तो कतरा रहे है लेकिन दबी जुबान यह स्वीकार भी कर रहे है कि गांवों में जागरूकता की कमी सरकारी उदासीनता के कारण है। सरकार बीमारी से बचाव के लिए कई योजनाएं बनायी। लेकिन अधिकारियों के ध्यान न देने के कारण ये योजनाएं परवान नही चढ सकीं। बुधवार को भर्ती 14 मरीजों मे गोरखपुर के पांच , संतकबीर नगर के तीन , देवरिया के दो , बस्ती का एक , कुशीनगर का एक , आजमगढ एक व नेपाल का एक मरीज शामिल है। मरने वालों मे खुशी तीन साल की गोरखपुर , प्रिया नौ साल गोरखपुर व विजेन्द्र नौ साल संतकबीर नगर जिले से है। इस साल मेडिकल कालेज मे अब तक 792 आ चुके है।
पूर्वांचल पिछले तीस सालों से जेई का दंशझेल रहा है। काफी दिनों तक तो सरकार इसे महामारी मानने  को तैयार नही हुई और काफी लंबी लड़ाई के बाद वर्ष 2010 मे इसके लिए टीकाकरण की बात की गयी। उसमे भी लापरवाही के कारण ये टीके यहां आकर लंबे समय से और ऐसे समय मे बच्चों का टीकाकरण किया गया जब बीमारी का प्रकोप काफी कम हो जाता है। यही कारण है कि उस साल मरीजों की संख्या मे कोई अंतर नही आया। अभी टीकाकरण चल ही रहा था कि यहां जेई को लेकर अभियान चला रहे एक चिकित्सक ने दावा कर दिया कि इसका कोई लाभ नही मिलेगा क्योकि टीको पर साफ लिखा है कि इनकी डोज तब पूरी होगी जब सभी बच्चों को लगातार तीन साल तक टीके के तीन डोज लगाये जायें। हालांकि सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया और अब तक दूसरी डोज को लेकर केंद्र या प्रदेश सरकार मे कोई सुगबुगाहट नही है।
जेई-एईएस को लेकर कमिश्नर के.रविन्द्र नायक गोरखपुर आने के साथ ही काफी सक्रिय हो गये थे। उन्हें जब पता चला कि इसके लिए पूर्वांचल मे पानी भी एक जरिया है तो उन्होने जांच करायी। और बाद मे रिपोर्ट के आधार पर मंडल के सभी प्रभावित इलाकों मे छोटे हैंडपंपों का पानी पीने पर रोक लगा दी। जब इसके बाद भी पब्लिक ने उनके पानी से तौबा नही की तोकमिश्नर ने अभियान चलवाकर छोटे हैंडपंप उखड़वा दिये। उनकी जगह इंडिया मार्का हैंडपंप लगायें गयें। और जनता से सिर्फ इन्ही का पानी पीने को कहा गया। हालांकि कमिश्नर की ये पहल भी बहुत कारगर नही रही क्योकि इंडिया मार्का हैंडपंप काफी कम संख्या मे लग पायें । अब ग्रामीण इलाकों मे हाल ये है कि काफी दूर-दूर से पानी लाने से बचने के लिए लोग फिर छोटे हैंडपंपों की तरफ मुड़ गये हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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