-शहर में आये दिन की चोरियों से शहरवासी परेशान
-सिविल लाइन क्षेत्र भी नही है अछूता
पुलिस अपनी जेब भरने की खातिर जब तक मुजरिमों का चालान नही होता तब तक वह उनका पीछा नही छोड़ती है। और चोरी छुपे हवालात में बन्द मुजरिम से अपनी पुलिसियां भाषा में हड़काकर उससे और उसके परिजनों से एन केन प्रकारेण से सुविधा शुल्क वसूल करना इनकी दिनचर्या बन गई है। वही उन्हे छोड़े जाने तक सौदा कर लेना आम बात हो गई है। पुलिस की वर्दी को बदनाम करने वाले ऐसे कई सिपाही कोतवाली से लेकर षहर स्थित चैकियों में तैनात जो मुजरिमों को पैसे के लालच में छोड़ देते है। इस प्रतिक्रिया से महिला थाना भी आछूता नही है। अक्सर देखा गया है कि कुछ पुलिसकर्मी अपनी वर्दी का दुरूप्रयोग करते हुये मुजरिमों से सांठ-गांठ कर पूछताछ के बहाने छोड़ देना इनकी फितरत सी बन गई है। कई बार देखा गया है कि पुलिस पैसे ऐठने के चक्कर में कहीं जुआ तो कही मारपीठ जैसे छोटे-छोटे मामलों में पास पड़ोसियों को पकड़कर हवालात में डाल देते है और पुलिस के खौफ के आगे हर कोई बेबस हो जाता है ये पुलिस उससे अपनी चिरपरिचित कार्य शैली के चलते पैसे की मांग करती है। यदि सामने वाला व्यक्ति उसकी मांग को पूरा नही कर पाता है। तो उसे पकड़े गये मुजरिम को किये गुनाहों की धारा सहित अन्य कई धारायें उस लगाकर उसे जेल का रास्ता दिखा देना इनके लिये कोई नही बात नही। ऐसे ही पुलिस वालों की वजह से सारे पुलिस विभाग को बदनामी का दाग देखना पड़ता है। वहंी कोतवाली के अन्दर बने मुंशी कक्ष में पत्रकारों को भी जाने की इजाजत लेनी पड़ती है। उसका कारण भी स्पष्ट है कि मंुशी एफआईआर और सूचना दर्ज करने के लिये भी सुविधा शुल्क ले लेते है। ऐसे में आम आदमी बेचारा अगर उसकों अपना केस दर्ज करना है तो उसकों देना पड़ता है और यदि पत्रकारों को मुंशी कक्ष में जाने की छूट दे दी जायेगी तो पुलिस को यह राज उजागर होने की शंका बनी रहती है। जिस कारण पत्रकारों को एफआईआर रजिस्ट्रर से सूचना देखने की छूट नही दी जाती है। आखिर जब पत्रकार अन्दर जायेगा नही तो राज पर पर्दा बना ही रहेगा।
गौरतलब है कि बीते 20 अगस्त को निरालापार्क के सामने से दिनदहाडे सिविल लाइन क्षेत्र जिला अधिकारीकार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर खडी मोटरसाइकिल संख्या यूपी 35 क्यू 1500 शेरपुश्त चोरो ने पार कर दी। जब कि पार्क के सामने पुलिस ड्यूटी में तैनात सिपाही डण्डा लिए खडे ही रह गये। पुलिस के आलाधिकारियो को सूचना तत्काल दी गयी मगर पीडि़त पंकज मिश्रा निवासी ग्राम माखी को अभी तक अपनी मोटरसाइकिल के बारे में कोई जानकारी नही हासिल हो सकी है। लगता है कि पुलिस ने इस मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया है। पुलिस के जिले के बडे अधिकारी छोटीमोटे अपराधों का खुलासा कर अपराधियो को मीडिया के सामने पेश करके अपनी पीठ स्वयं थपथपा लेते है मगर किसी पीडित को न्याय दिलाने में जिले की पुलिस नाकाम रहती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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