जिले में मनरेगा का काम देख रहे सैकड़ों संविदा अधिकारी और कर्मचारी एक-एक पैसे के मोहताज हो गये हैं। किसी को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके पीछे जिले में मनरेगा के प्रति मजदूरों की बनती जा रही दूरी बताया जा रहा है। संविदा सेवा शर्तों के आधार पर अधिकतम मानव दिवस के आधार पर संविदा कर्मियों का वेतन बनता है, लेकिन जिले मंें मानव दिवस की संख्या बहुत कम होने का कारण पांच महीने से किसी को वेतन नहीं नसीब हुआ है। मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों तमें 13 अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी हैं। जबकि 60 तकनीकी सहायक हैं। इसके अलावा नौ एकाउन्ट असिस्टेंट और 10 कम्प्यूटर आॅपरेटर हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात 50 से अधिक कर्मचारी हैं। लक्ष्य यह है कि मनरेगा से जुड़े समस्त कर्मचारी और अधिकारी जिले में कम से कम एक से डेढ़ लाख मानव दिवस सृजित करवायंे। अधिकतम 25 हजार मजदूर ही काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इसे संविदा कर्मियों की लापरवाही माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक ग्राम पंचायत स्तर पर जबरदस्त लापरवाही चल रही है। पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है तो शासन से संविदा प्राप्त कर्मियों का वेतन नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में एक ही चारा है कि ग्राम पंचायत स्तर पर ज्यादा से ज्यादा मानव दिवस सृजित करवाने पर ही वेतन का भुगतान हो सकता है। ग्राम पंचायत स्तर पर मजदूरी नहीं करा पाने के कारण संविदा से जुड़े अधिकारी और तकनीकी सहायकों को भी वेतन मिलना बंद हो गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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