डॉ नूतन ठाकुर ने कल 17 अगस्त 2012 को लखनऊ में हुए उपद्रव के बारे में प्रमुख सचिव गृह, उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिख कर तीन बिंदुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की बात कही है. इनमे एक समाचार पुलिस द्वारा उपद्रवियों को कैपिटल सिनेमा के पास रोक लेने के बाद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को किसी का फोन आने और उसके बाद बैरिकेडिंग हटा कर रोके हुए उपद्रवियों को खुली छूट देने से सम्बंधित है, जिसके बाद ही उपद्रवी धरना स्थल पर घुसे और जम कर उपद्रव किया. दूसरी बात मीडिया के लोगों को मुकदमा दर्ज कराने के घंटों लगने और इसके बाद भी वादी द्वारा घटना के लिए जिम्मेदार दो लोगों के नाम लिख कर तहरीर देने पर पुलिस द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बारे में है. तीसरी बात लखनऊ के एसएसपी द्वारा पूर्णतया निष्क्रिय रहने और मौके से अपने मातहतों के साथ गायब हो जाने से सम्बंधित है. मैंने पत्र में यह अनुरोध किया है कि आयुक्त, लखनऊ मंडल द्वारा की जा रही जांच में इन तीनों बिंदुओं पर भी विशेषकर जांच कराई जाए और दोषी पाए गए पुलिस अफसरों पर सख्त प्रशासनिक कार्यवाही की जाए.
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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