समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं विधान परिषद सदस्य श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा सरकार से विरासत में समाजवादी पार्टी की सरकार को जो ढेर सी समस्याएं मिली हैं उनमें बिजली संकट सबसे अहम है। बसपा मुख्यमंत्री ने कई कम्पनियों के साथ बिजली उत्पादन के नाम पर सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर का नाटक जरूर कराया पर किसी कम्पनी ने काम नहीं शुरू किया। भ्रष्टाचार के चलते पुरानी विद्युत इकाइयों की दशा जर्जर होती गई। उनमें क्षमता से बहुत कम उत्पादन होता रहा। पांच साल में एक मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में 12 सौ मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन की व्यवस्था हुई थी। दादरी में रिलायन्स एक बड़ा बिजली घर लगाने जा रहा था, उस परियोजना में पलीता लगा दिया गया।
श्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण के दिन से इस बिजली संकट के समाधान को प्राथमिकता सूची में रखा है। आम जनता को तकलीफ नही हों इसलिए प्रतिदिन 7 करोड़ रूपए से ज्यादा की बिजली खरीदी जा रही है। दिल्ली से बिजली 5 रूपए प्रति यूनिट की दर से खरीदी जाती है पर घाटा उठाकर राज्य सरकार उसे 3Û40 रूपए प्रति यूनिट की दर से दे रही है। प्रदेश में खराब ट्रांसफार्मर सप्लाई करनेवाली फर्मो को काली सूची में डालने के अलावा सरकार ने बिजली चोरी रोकने, लाइन हानि कम करने और रखरखाव में लापरवाही पर नियंत्रण लगाने की दिशा में भी ठोस कार्यवाही की है।
समाजवादी पार्टी की सरकार ने अपने पांच महीने के कार्यकाल में ही बिजली संकट से निबटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 के माध्यम से 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा सी परियोजना, 66 मेगावाट क्षमता की पनकी विस्तार योजना स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। अब मुख्यमंत्री जी का जोर गैर परम्परागत तरीकों से बिजली उत्पादन बढ़ाने पर भी है। राज्य में छोटे-छोटे संयंत्र लगाकर बिजली समस्या से निबटने की उनकी अभिनव योजना से प्रदेश को प्रगति की नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की नई सोच के पीछे उनकी गांव की पृष्टभूमि भी है। वे कृषक परिवार से हैं और जानते हैं कि उत्तर प्रदेश चूॅकि कृषि आधारित है इसलिए ईधन के रूप में कृषि अवशेषों के इस्तेमाल से ग्रामीणों की आय भी बढ़ेगी और गैर परम्परागत तरीके से उत्पादित बिजली से पर्यावरण की भी रक्षा होगी। बायोगैस पर आधारित संयत्रों की स्थापना के लिए स्थल सर्वेक्षण का काम जल्द ही श्ुारू होगा।
समाजवादी पार्टी की सरकार गैर परम्परागत ऊर्जा का सहारा इसलिए भी ले रही है कि ताप बिजलीघरों के निर्माण में पांच साल से ज्यादा का लम्बा समय लगता है और इस बीच बिजली की मांग भी बढ़ जाती है। प्रदेश आज प्रगति की छलांग लगाने को है तो उसे बुनियादी ढांचे की सुव्यवस्था के साथ कानून व्यवस्था और बिजली, पानी, सड़क के क्षेत्र में विकास की गति बढ़ानी है, इसके लिए वह संकल्पित भी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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