सोशल साइट्स के बढ़ते चलन और कामकाज में आॅनलाइन होने की आवश्यकता के चलते इन्टरनेट की साइट्स पर पर्सनल डेटा फीड कर देने से साइबर क्राइम में तेजी आ रही है। कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन में दूसरे ढंग से व्यवहार करता है जबकि सोशल साइट्स पर उसकी गतिविधियां एकदम अलग दिखाई पड़ती हैं। इस तरह के दोहरे मानदंड भी साइबर क्राइम की प्रेरणा बनने में सहायक सिद्ध होते हैं।
साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ श्री रक्षित टंडन ने ये विचार आज सचिवालय एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में व्यक्त किए। वे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रारम्भ की गई विचार गोष्ठी श्रृंखला ‘मंथन’ के तत्वावधान में ‘साइबर सिक्योरिटी और आपकी सुरक्षा’ विषय पर आयोजित पहली विचार गोष्ठी में बोल रहे थे।
श्री टन्डन ने कहा कि इन्टरनेट का इस्तेमाल अब दैनिक जीवन की सबसे जरूरी आवश्यकता होती जा रही है। ऐसे में विभिन्न प्रकार की साइट्स पर अपनी व्यक्तिगत जानकारियां शेयर करने से पहले चाहे ई-मेल हो या कोई अन्य साइट, उसके सिक्योरिटी सिस्टम को समझना और उसी के अनुरूप पासवर्ड डेटा आदि को सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया कि फेसबुक, ट्विटर, आर्कुट जैसी सोशल साइट्स पर पारिवारिक व्यक्तिगत जानकारियां देने से बचना चाहिए। इन साइट्स पर मौजूद सुरक्षा उपायों को अच्छी तरह से पढ़कर उन्हें अवश्य अपनाना चाहिए। अपना पासवर्ड या पिन कभी किसी को नहीं बताना चाहिए।
श्री टन्डन ने कहा कि इण्टरनेट और सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने वालों में बहुत बड़ी संख्या युवाओं और स्कूली बच्चों की है। सुरक्षा उपायों की जानकारी के अभाव में यह वर्ग साइबर अपराधियों के चंगुल में अक्सर फंस जाता है। ऐसे में अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों की आॅनलाइन गतिविधियों पर निगाह रखें और उन्हें साइबर सुरक्षा उपायों के बारे में सचेत करें।
उन्होंने कहा कि पहले चोरी, डकैती जैसी घटनाओं के लिए लोग रेकी किया करते थे। लेकिन अब सोशल साइट्स के जरिए अपराधी तमाम जानकारियां आसानी से जुटा लेते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लोग साइट्स पर टाइम लाइन में लिख देते हैं कि वे किस देश में सैर कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में वे यह बता देते हैं कि घर पर उनकी पत्नी-बच्चे अकेले हैं। उन्होंने आॅनलाइन बैंकिंग में बढ़ते अपराध पर कहा कि जो पासवर्ड बैंक जारी करता है। आमतौर पर उसी पासवर्ड से लोग लेन-देन करते रहते हैं। जबकि इसके लगातार बदलते रहना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि एटीएम से पैसे निकालते समय निकलने वाली पर्ची फेंक दी जाती है, जबकि उसमें बैंक एकाउन्ट नम्बर, बैलेन्स तथा कार्ड नम्बर लिखा होता है। कोई भी एक्सपर्ट साइबर अपराधी इन तीनों जानकारियों का गलत इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने कहा कि पुराने एटीएम कार्ड को काट कर नष्ट जरूर कर देना चाहिए। इसे बच्चों को खेलने के लिए नहीं देना चाहिए।
उन्होंने ये भी बताया कि पैन कार्ड तथा इसी प्रकार के अन्य कार्ड की फोटो कापी किसी भी वित्तीय संस्था या बैंक को जब भी दें तो उस पर दिनांक अवश्य डालें, ये भी लिखें कि किस संस्था को किस उद्देश्य से दिया जा रहा है। क्राॅस चेक की तरह फोटो कापी को ऊपर से नीचे क्राॅस करने के बाद ही उस पर हस्ताक्षर करें। उन्होंने मोबाइल फोन पर इन्टरनेट के बढ़ते हुए इस्तेमाल पर कहा कि मोबाइल को जब तब फारमेट कराते रहना चाहिए और अनाधिकृत मोबाइल रिपेयर शाॅप से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपना मोबाइल फोन किसी को भी नहीं देना चाहिए और पुराना हो जाने पर बेचना नहीं चाहिए।
इस अवसर पर सचिव सूचना श्री अमृत अभिजात ने बताया कि मंथन के तहत प्रत्येक बुधवार को इसी प्रकार की गोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें विभिन्न विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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