समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि फरेब के सहारे पंाच साल शासन चलाकर बसपा सरकार ने प्रदेश को बबाZदी की कगार पर पहुंचा दिया। हर निर्माण कार्य में मोटा कमीशन मुख्यमंत्री स्तर तक बंटता रहा। राजधानी और नोएडा को पत्थरों के कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया गया और महापुरूशों के नाम पर भी वसूली में संकोच नहीं किया गया। सत्ता का दुरूपयोग कर हजारों करोड़ के घपले कर बसपा नेताओं, माफियाओं और चन्द अफसरों ने अपनी तिजोरियां भर ली। अब जब जांच की आंच उन तक पहुंच रही है तो वे बौखला उठे हैं।
बसपा सुप्रीमों और उनकी पार्टी के कमाऊ वालंटियरों को अब महापुरूशों के सम्मान की बहुत याद सता रही है। लेकिन जब डा0 अम्बेडकर से बड़ी अपनी प्रतिमाएं पूर्व मुख्यमंत्री लगवा रही थी तब उन्हें सम्मान का ख्याल नहीं आया था। उन्हें तब भी महापुरूशों के सम्मान का ख्याल नहीं आया जब वे छत्रपतिसाहू जी, नारायण गुरू, ज्योतिबाफूले के मुकाबले अपनी बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं लगवा रही थी। लेकिन उन्हें तो उनकी याद तब आई थी जब उन्हें बडे-बड़े प्लाटों पर कब्जा जमाने की सूझी। लखनऊ से नोएडा तक उन्होने हजारों एकड़ जमीन हथिया कर भूमाफियाओं को भी पीछे छोड़ दिया है।
इसी क्रम में अब बसपाई गोमतीनगर में एक नए पार्क के नाम पर धरना-प्रदशZन के साथ व्यर्थ का विवाद खड़ा कर रहे है। जिस जगह का विवाद उठ रहा है उसके लिए न तो कोई शासनादेश हुआ है और नहीं कैबिनेट का फैसला हुआ है। डा0 अम्बेडकर के नाम को भी अपमानित कर वे उनके नाम पर अपने राजनीतिक स्वार्थ की रोटी सेंक रहे हैं। स्व0 जनेश्वर मिश्र के नाम पर पार्क का प्रस्ताव तो बाकायदा विधान मण्डल में पेश बजट में किया गया है। यह सब जानते हुए भी वे गलत बयानी कर रहे हैं।
बसपा सरकार ने जो काले कारनामें किए उनके लिए जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया फिर भी बसपाई सबक सीखने को तैयार नहीं। पिछली बसपा सरकार ने प्रचलित जिलो के नाम बदल दिए। संस्थानों के नाम मनमाने तरीके से बदले गए। लोकतंत्र की हत्या कर पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी अधिनायकशाही कायम की। गरीबों की आवाज कुचल दी गई। समाज के हर वर्ग को अपमानित किया गया।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने रागद्वेश रहित शासन चलाने की जो शपथ ली थी उसका पालन करते हुए उन्होने बसपा के सभी स्मारक बने रहने दिए। वे विपक्ष के साथ सम्मान से पेश आते हैं जबकि बसपा के नेताओं को अभी सामान्य िशश्टाचार सीखने की जरूरत है। बसपा नेता ने खुद जिस तरह स्व0 जनेश्वर मिश्र जी का नाम लिया हैं वह स्वयं आपत्तिजनक है। अच्छा हो वे संयत भाशा का इस्तेमाल भी सीख लें। वे अनर्गल और निराधार बातें करके सरकार के खिलाफ दुश्प्रचार कर रहे है। वे भयभीत हैं कि उनको अपने घोटालों के लिए सजाएं मिलेगी। पांच साल प्रदेश की जनता को आतंकित रखनेवाले बसपा के माफिया किस्म के नेता अब भारी बहुमत में आई समाजवादी पार्टी सरकार के निश्पक्ष एवं लोकतांत्रिक शासन प्रशासन की जांचो से अपने बचाव में उल्टी सीधी हरकतें कर रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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