केन्द्र सरकार या राज्य सरकार लाख किसी योजना का संचालन करे उस योजना का सही लाभ जनता या लाभार्थी को तभी मिलेगा जब उस विभाग के कर्मचारी व अधिकारी सही व ईमानदार होंगें। ज्ञात हो कि ऐसी ही एक योजना समेकित बाल विकास पुष्टाहार योजना है। जिसमें गर्भवती धात्री एवं तीन वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य का जिम्मा इस विभाग के पास है। इस योजना के संचालन में इतनी खामियाॅ व घूसखोरी है कि आये दिन समाचारों में इनकी कृत्यों की खबर छपती रहती हैं । लगातार समाचार के माध्यम से जिला परियोजना अधिकारी का ध्यानाकर्षण करने की कोषिष की जाती रही है परन्तु विभागीय लापरवाही के चलते जिले के 80 प्रतिषत समेकित बाल विकास पुष्टाहार योजना केन्द्र बन्द हैं। गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे एक से 6 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य एवं विकास का जिम्मा लेने वाले आॅगन वाड़ी केन्द्रों का बुरा हाल है। ज्ञात हो कि बाल-विकास पुष्टाहार योजना द्वारा संचालित पुष्टाहार व हाट कुक येजना के तहत मिलने वाले भोजन से बच्चे वंचित हो रहे हैंे। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती धात्री एवं तीन वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य का जिम्मा इस विभाग के पास है। प्रभारी परियोजनाधिकारी,बाल विकास परियोजनाधिकारी एवं सुपरवाइजर भी बन्द हुए केन्द्रों के निरीक्षण के बजाय कार्यालय मंे बैठकर कागजी कोरम पूरा करने में लगे हुए हैं। जिला परियोजनाधिकारी, बाल विकास परियोजनाधिकारी व सुपरवाइजर की मिली भगत से केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराये गये धन का आधा हिस्सा इनके बीज आ जाता है। मजबूरी वस आगन वाड़ी कार्यकत्री व सहायिका क्या करे। कई कार्यत्रियों ने बताया कि हाटकुक एवं वाल पुसटाहार की बोरियाॅ मजबूरी में बेचनी पड़ती हैं क्याकिे हर माह दो हजार हाटकुक का व एक हजार बाल पुष्टाहार का देना पड़ता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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