जनपद में बहुतायत संख्या में खुले यह निजी अस्पतालों का धन्धा काफी फल फूल रहा है इनकी तरफ रोंक का कोई कारगर तरीका प्रशासन नहीं अख्तायर कर पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इनके आगे लाचार सा लग रहा है क्या लूट में सबका बराबर का हिस्सा तो नहीं है केवल हरदोई शहर में 2दर्जन निजी नर्सिंग होम संचालित हैं सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाने में सभी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगा रखी है। नर्सिंग होमों के पास इन्हीं के द्वारा संचालित एक मेडिकल सेन्टर एवं लैब सेन्टर मरीज अस्पतालों के पास रखा जाता है जो मरीजों व तीमारदारों से भरपूर लूट कर रहे हैं इसी से सम्बन्धित हरदोई मेडिकल सेन्टर के नाम से पुलिस लाइन के सामने पिहानी के पण्डरवाकला निवासी रामसहाय ने बताया उनकी पत्नी को प्रसूव हेतु जब परिजनों ने वहाँ पर भर्ती करवाया जो जांच के बाद डाक्टरों ने ब्लड चढ़ाने की बात कही सोमवार को जब ब्लड आया तो वह दूसरे ग्रुप का ब्लड दोगुना दामों पर उसे लाकर दिया गया। इस पर परिजनों ने आपत्ति की तो अस्पताल प्रशासन ने मरीज को डिस्चार्ज करने की धमकी दे डाली ऐन वक्त पर इस धमकी से परिजन हंगामा करने लगे मीडियाकर्मी तभी आ गये उनके आने पर वही चिकित्सक अपने कमरों में जाकर बैठ गये अस्पताल का कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आया यह एक बानगी भर है सारा का बगैर ब्लड के सम्पन्न हो गया जनता जिन्हें भगवान मानती है उनका यह वीभत्स रूप उसी समय सामने आ गया। यह निजी अस्पताल गांव के झोला छाप डाक्टरों एवं दलालों के माध्यम से दिन दूनी रात चैगुनी करने मे लगे हैं। ऐसे अस्पतालों में कुछ नघेटा रोड, धर्मशाला रोड व शहर के अन्य भागों में स्थित है।
5. लापरवाही सफाईकर्मियों की फैलने लगी बीमारियां-हरदोई। जनपद के गांव में सफाईकर्मियों की नियुक्ति शासन द्वारा यह सोंच कर की गयी थी कि यह सफाई स्वच्छता एवं निर्मल भारत बनाने में सरकार का सहयोग करेंगे परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। बारिश के मौसम में गांव में सफाई न होने पर बीमारियां अपने पैर पसार रही हैं जिले में 1101 ग्राम पंचायतों में 2200सफाईकर्मी तैनात किये गये लेकिन इन पंचायतों में कभी भी कहीं पर भी नियमित सफाईकर्मी नहीं जाते अगर कहीं जाते हैं तो केवल ग्राम प्रधान के दरवाजे पर अपनी डियूटी को इतिश्री मानकर पूरा कर लेते हैं ज्यादातर सफाईकर्मी अपनी जगह पर दूसरो को लगा रखा है। एक सफाईकर्मी को शासन से पहले 6हजार मासिक मिलता था अब वह 10हजार का वेतन भोगी हो गया है अपनी जगह पर दूसरा सफाईकर्मी 3000रूपये में ही मासिक पर उसे मिल जाता है मुनाफा मिलीभगत से चला करता है प्रधान कहते हैं हमारा तो काम करता है बांकी सब अधिकारी जाने। सफाईकर्मी कहता है अधिकारी क्या करेगा ज्यादा से ज्यादा एक दिन का वेतन ही तो काटेगा जिससे कोई फर्क नहीं पड़ता शासन प्रशासन इनकी हड़ताल रूपी दैत्य से डरता है और चलती का नाम गाड़ी यही कहा जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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