प्ली बारगेंनिंग पर नये अध्यक्ष 21 ए पर भी चर्चा।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चन्द्र प्रकाश तिवारी ने बताया हैं कि जिला कारागार आगरा में प्ली बारगेंनिंग विषय पर विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का संचालन जिला कारागार के डिप्टीजेलर पी0एस0 शुक्ला ने किया। बंदियों को विधिक सहायता से संबंधित प्रचार पत्रों का वितरण किया गया।
शिविर में मीडियेटर लक्ष्मीचंद बंसल ने उपस्थित विचाराधीन बंदियों को बताया कि शिविर आयोजन का उद्देश्य बंदियों को प्ली बारगेंनिंग विषय पर विधिक प्राविधानों की जानकारी देना है। उन्होंने बंदियों को विधिक सहायता प्रदान किये जाने, मध्यस्थता के व्दारा विवादों के निस्तारण के बारे में बतायां।
शिविर में मीडियेटर सूरजपाल सिंह ने बंदियों को बतया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 में दण्डित विधि (संशोधन) अधिनियम 2005 के व्दारा प्ली बारगेंनिंग पर एक नये अध्याय 21 (ए) को शामिल करके यह प्राविधान लागू किया गया है। जो कि जुलाई 2006 से प्रभावी हुआ है। जिला विधिक प्राविधान समझौते का एक तरीका हैं, जिसके अन्तर्गत अभियुक्त कम सजा के बदले में अपने व्दारा किये गये अपराध को स्वीकार करें, और पीडित व्यक्ति को हुये नुकसान और मुकदमें के दौरान हुए खर्चे का क्षतिपूर्ति कर के कठोर सजा से बचा सकता है।
रिटेनर पाल सिंह राठौर ने बंदियों को प्ली बारगेंनिंग के बारे में बताते हुए कहा कि प्ली बारगंेनिंग केवल उन अपराधों पर लागू होता है, जिनके लिए कानून में 7 वर्ष से अधिक की कैद की सजा का प्राविधान नहीं है। उन्होंने बताया कि अभियुक्त प्ली बारगेंनिंग के लिए आवेदन उसी
न्यायालय में दाखिल कर सकता है, जिसमें उसके व्दारा किये गये अपराध से संबंधित मुकदमा विचाराधीन है।
अंत में जिला कारागार के डिप्टी जेलर पी0एस0 शुक्ला के व्दारा उपस्थित समस्त को धन्यवाद ज्ञापित कर शिविर का समापन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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