Categorized | विचार

तनाव भरा चुनाव

Posted on 24 July 2012 by admin

सब सुख रहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक प्रभु काहॅू का डरना - संकटमोचन नाम तुम्हारा श्री हनुमान चालीसा की यह प्रसिद्ध चैपाई देश-विदेश में रह रहे सभी हिन्दू भली-भांती जानते है भाव से गाते है और सुख पाते है। लगभग 8 वर्ष से यूपीए सरकार का हर मंत्री सांसद जानता रहा कि जैसे अध्यात्मिक जगत में श्री हनुमान जी संकटमोचन कहलाते है। वैसे ही यहां यूपीए-2 की दिनों दिन अपनी प्रतिष्ठा गवांती संयुक्त प्रगतीहिन गठबंधन की सरकार पर आया हर संकट प्रणव दादा ही  निपटाते रहे ऐसा ही होता भी रहा है अभी तक परन्तु अब उनकी भूमिका बदली है वह तो 5 वर्ष तक महामहिम राष्ट्रपति कहलायेंगे परन्तु  उनके बिना 5 दिन भी कांग्रेस संकटो से नही बच पाई।
राजनीति के माहिर खिलाड़ी राकांप के प्रमुख शरदपवार ने महामहिम राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस की जीत का मजा किरकिरा कर दिया । चुनाव के अंतिम समय ऐसी गेंदबाजी की कि दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक में कांग्रेस हाथ ऊपर उठाए रक्षात्मक मुद्रा में नजर आ रही है। नवनिर्वाचित महामहिम राष्ट्रपति प्रणव दादा का 25 जुलाई को शपथ ग्रहण समारोह होना है। व्यक्तिगत रूप से प्रणव दादा उनका पूरा परिवार खुशी मना रहा है मनानी भी चाहिए। परन्तु कांग्रेस के लिए यह खुशी मनाने के साथ-साथ सावधानी बरतने जैसा साबित हो रहा है। सभी जानते है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन श्रीमती सोनिया गांधी के विदेश मूल के मुद्दे पर ही हुआ था। मशहूर कहावत है राजनीती के बारे में यहां कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नही हुआ करता। वही हुआ भी भाजपा-शिवसेना गठजोड़ का मुकाबला करने मे कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दोनो ही असहाय पड़ रही थी तभी दोनो साथ-साथ आये और परिणाम स्वरूप महाराष्ट्र मे सत्तारूढ दल बने। शरद पवार का कहना है वो पावरफूल है उनके तथा उनके साथियों के साथ बराबर का व्यवहार नही किया जा रहा है। शरद पवार ने भी ठान लिया है कि वे साबित कर देंगे कि वे कोई सर्कस के शेर नही है। उधर राष्ट्रपति चुनाव के लिए देशभर मे मतदान चल रहा था इधर  श्रीमती सोनिया गाॅधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पवार साहब से बात कर रहे थे। उनसे मिलने का समय तय  किया जा रहा था। सोनिया-पवार मुलाकात हुई परन्तु बेनतीजा सी रही। इसी क्रम मे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को दिल्ली आने का अपना कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ा। यानि तनाव -तनाव-तनाव- आनन-फानन भरा रहा कांग्रेस के लिए यह समय। अब राजनीती के उठा-पठक में दरअसल शरद पवार और उनका दल अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को हाशिये पर धकेले जाने का कोई पूर्वानुमान नही लगा पाया। मुलायम सिंह के कारण ममता बनर्जी को तथाकथित कोने में धकेले जाने के बाद कांग्रेस अब अन्य के भी होश ठिकाने लगाने में लग गई । यह स्वाभाविक भी था उठा-पठक की माहीर कांगे्रस समय-समय पर उठक-बैठक करती भी है और आय से अधिक की सम्पत्ति रखने वाले नेताओं को कराती भी है। करती तब है जब कोई बड़ा चुनाव जीतवाना होता है। बताते चले आज से लगभग पाॅच साल पहले जब ठीक ऐसा ही माहौल था राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तब श्रीमती सोनिया गांॅधी ने उत्तर प्रदेश की अब तत्कालिन मुख्यमंत्री मायावती से स्वयं उनके आवास पर भेंट की और अपनी प्रत्याशी वर्तमान महामहिम प्रतिभा देवी पाटिल के लिए समर्थन मांगा। तब मायावती जी जो मोल भाव की माहिर है ने श्रीमती गाॅधी से पहले ताज कॅारिडोर की जाॅच जो महामहिम टी0 वी0 राजेश्वर की अनुमति के लिए पड़ी थी उसको समाप्त कराने का सौदा किया साथ ही साथ आय से अधिक की सम्पत्ति की जाॅच की आॅच को भी ठण्डे बस्ते में डालने का भरोसा लिया। पहले सौदा मंजूर होगा तब समर्थन का ऐलान होगा। वैसा ही हुआ तत्कालिन महामहिम ने मायावती जी के खिलाफ लम्बित जाॅच जिसकी सस्तुंति उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जी ने स्वयं की थी को अपर्याप्त मानते हुए खारिज कर दिया। ठीक अगले दिन वादे के अनुसार मायावती जी ने राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा पाटिल के समर्थन का ऐलान किया। उसके बाद तो मानो भ्रष्टाचार के सारे रिर्काड़ मायावती जी तोड़ते चली गई । पूरे पाॅच सालों तक लाखों-करोड़ांे रूपयो के भ्रष्टाचार के आरोंपो का सामना मायावती जी को करना पड़ा। देश का कभी उत्तम प्रदेश कहे जाने वाला उत्तर प्रदेश तबाही के कागार पर पहुॅच गया। इस बार भी कांग्रेस ने आय से अधिक की सम्पत्ति की जाॅच जो मा0 सर्वोच्चय न्यायलय मे लम्बित थी को लचर पैरवी के कारण खारिज करने की स्थिति तक पहुॅचाया और बदले में बहन जी का समर्थन पाया। देश के सामने जीत के लिए भ्रष्टाचार को फलने-फूलने देने की बैठके जारी है। अब महाराष्ट्र मंे दो घोटालों के उद्देश्य परक खुलासे से शरद पवार के मन में कोने में धकेले जाने का ख्याल क्यों आया है ? क्या कांग्रेस को खुद को कोने में धकेले जाने का अहसास हुआ है? क्या उसका चेहरा शर्म से लाल हुआ है कि उसने एक हथियारों के सौदागर को रक्षा सौदे की फाइलें दिखा दी ? इन विचित्र घटनाओं का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकार ने लोकतंत्र व सभ्य शासन की घुरी यानी शर्म हया से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। सी0 बी0 आई0  के सम्पूर्ण क्षय पर सरकार को जरा भी शर्म नही आती। यह इस बात से सिद्ध हो जाता है कि पवार के विद्रोह की खबर आने के बाद ट्विटर पर अनेक टिप्पणीयाॅ आई जिसमें सम्भावना जाताई गई है कि अब राकांपा नेता  के दरवाजे पर सी0 बी0 आई0 दस्तक देने ही वाली है। राष्ट्रपति चुनाव की शपथ तो 25 जुलाई को होनी है लेकिन एफ0डी0आई0 का विरोध करने की शपथ मुलायम सिंह ने पहले ही खा ली। मुलायम सिंह के इस निर्णय से आर्थिक सुधारो की गति तेज करने की केन्द्र सरकार की तैयारियों को करारा झटका लगा है। सप्रंग सरकार समाज वादी पार्टी के समर्थन से कुछ आर्थिक उड़ान भरने की सोच ही रही थी उसमें सपा ने विरोध कर उसकी हवा निकाल दी। वह एफ0डी0आई0 के विरोध में उतर आयी है। जब राहुल गाॅधी की नई भूमिका को लेकर कांग्रेसी उत्साहित दिख रहे थे ऐन वक्त पर मुलायम सिंह ने विरोध का दाॅव चल दिया। सपा प्रमुख के इस बयान को शरद पवार, ममता व मुलायम के बीच बन रहे गठजोड़ से जोड़कर भी देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री को लिखे उनके पत्र की टाईमिंग भी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन की कीमत केन्द्र की थैली खुलवाकर वसूल चुके  सपा प्रमुख ने फिर पैतरा बदल दिया है। उल्लेखनीय है कि मुलायम सिंह जी ने वाम मोर्चे और जद एस के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें रिटेल में एफ0डी0आई0 को मंजूरी न देने का आग्रह किया गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसके खिलाफ है । वह पहले ही इसके विरोध मे अपनी आवाज बुलंद कर चुकी है। सपा ने समर्थन के ऐवज में खुब हाथ साफ किया जैसे 60 हजार करोड़ का विशेष पैकेज प्रदेश के इतिहास में केन्द्र से मिलने वाला सबसे बड़ा पैकेज। वर्षो से लम्बित सरयू नहर परियोजना के लिए अलग से धन राशी। सरयू घाघरा नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराना बुंदेलखण्ड के लिए लगभग 2 हजार करोड़ का अलग से पैकेज देने का वादा जो जल्द ही मंजूर हो जाएगा। चैकाने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र योजना आयोग को 51 हजार करोड़ का प्रस्ताव दिया था बाद मे इसे बढ़ाकर 56 हजार करोड़ किया गया मिला 1 हजार करोड़ और बढ़ा कर यानि 57 हजार करोड़। प्रणव दादा के खिलाफ चुनाव लड़े पी0ए0 संगमा ने अपनी हार को स्वीकारते हुए प्रणव मुखर्जी को बधाई दी। संगमा का आरोप है कि चुनाव प्रक्रिया अत्यंत भेदभाव पूर्ण थी और गैर सप्रंग राज्यों से समर्थन जुटाने के लिए पैकेज , प्रलोभनों और धमकियों का इस्तेमाल किया गया। नतीजे आने के बाद सवांददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आचार संहिता तैयान करने की मांग की है। गैर सप्रंग राज्यों को आर्थिक पैकेज के जरिए लुभाने के मसले को भी उन्होंने जोर-जोर से उठाया। जहाॅ हर संकट को हल करने में माहिर प्रणव मुखर्जी के विकल्प की तालाश कांग्रेस के लिए आसान नही होगी कही लोकप्रियता के मामले में डा0 राजेन्द्र प्रसाद, एस0 राधाकृष्णन और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रपतियों की राह पर आगे बढ़ने की चुनौती प्रणव दादा के सामने भी होगी।

नरेन्द्र सिंह राणा
मो0-09415013300
लेखक उ0 प्र0 भाजपा के मीडिया प्रभारी है।
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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