आमतौर पर सभी लोगों को यही मालूम है कि उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव की पत्नी डिम्पल यादव कन्नौज की लोकसभा सीट से र्निविरोध चुनाव जीतीं हैं। किन्तु 21 जुलाई को हाई कोर्ट इलाहाबाद में दाखिल याचिका को देखने पर स्पस्ट है कि कन्नौज का उपचुनाव र्निविराध नहीं हुआ था, अपितु चुनाव लड़ने वाले प्रत्याषियों का अपहरण किया गया था। वोटर्स पार्टी इन्टरनेषनल के नाम से एक नई पार्टी ने अमेठी के एक वकील श्री प्रभात पाण्डे को अपना प्रत्यासी बनाया था। कन्नौज की कचहरी के अंदर से उनका अपहरएा कर लिये जाने के कारण वह नामांकन दाखिल नहीं कर पाये थे। श्री प्रभात पाण्डे ने अपने अपहरण की जानकारी पार्टी मुख्यालय, नई दिल्ली व चुनाव आयेग को समय रहते दे दिया था और अपने नामांकन पत्र को आयोग के कार्यालय में समय रहते फैक्स कर दिया था। पार्टी मुख्यालय ने अपहरण करके चुनाव लड़ने से रोकने के मामले की जांच करने के लिए भारत सरकार व उत्तर प्रदेष सरकार को लिखा था किन्तु कहीं से कोई कार्यवाही नहीं हुई तो कल हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करके डिम्पल यादव के चुनाव का रद्द करके कन्नौज में नये सिरे से चुनाव कराने की मांग की गई है।
वोटर्स पार्टी इन्टरनेषनल के नीति निर्देषक श्री भरत गांधी ने प्रभात पाण्डे व उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव - दोनो से अपील की है कि इस घटना को निजी लड़ाई न बनाकर राजनीतिक व प्रषासनिक सुधार की लड़ाई बनायें। उन्होंन ऐसे सुधारों पर बल दिया है जिससे कि आने वाले दिन में कोई भी सत्ताधारी पार्टी चुनावी धांधली न करने पाये।
यह दिलचस्प होगा कि अगर यह साबित हो जाता है कि वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अखिलेष यादव की पत्नी डिम्पल यादव र्निविरोध चुनाव जीतने के लिए अन्य प्रत्याषियों का अपहरण कर लिया था और नामांकन नहीं करने दिया था तो कन्नौज का चुनाव रदद हो सकता है और वहां दोबारा चुनाव कराये जा सकते है।ं इससे समाजवादी पार्टी की आपराधिक छवि एक बार फिर चर्चा का विशय बनेगी। अगर उच्च न्यायानय अपहरण करने वालों को कठोर दण्ड की सिफारिष भी करता है तो राजनीति के अपराधिकरण को रोकने के अभियान में यह घटना एक मील का पत्थर साबित होगी।
यह याचिका हाई कोर्ट के रजिस्टार के कार्यालय में 21 जुलाई, 2012 के अपराह्न 3 बजे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 के अंतर्गत प्रभात पाण्डे बनाम डिम्पल यादव के नाम से चुनाव याचिका के रूप में दर्ज की गई है। पार्टी ने पूरी याचिका को सुबूतों के साथ वेबाइट पर आॅन लाइन भी किया है, जिसे कोई भी पढ़ सकता है। वेबसाइट है www.politicalreforms.org
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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