चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एस.जी.पी.जी.आई. की विशिष्टता पर आंच नहीं आने दी जाएगी, गरीबों के इलाज पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री बी.एल.जोशी ने कहा कि ज्ञान अर्जन के क्रम में समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक शिक्षा के बीच संतुलन बनाकर ही जीवन की सार्थकता अनुभव की जा सकती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा प्रणाली इस तरह विकसित की जानी चाहिए, जिसमें न केवल योग्य एवं सहृदय चिकित्सक तैयार हों बल्कि जन स्वास्थ्य प्रदान करने की परम्परा और मजबूत हो सके।
श्री बी.एल.जोशी आज संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 17वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने संस्थान में डिपार्टमेन्ट आफ इमरजेंसी मेडिसिन के विस्तार तथा एडवांस्ड आॅप्थाल्मिक सेन्टर खोले जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन विभागों के लिए जितने भी धन की आवश्यकता होगी वह उपलब्ध कराया जाएगा। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में शोध के लिए भी राज्य सरकार धन की कमी नहीं होने देगी, क्योंकि इस संस्थान की इसी बल पर पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान है।
श्री यादव ने एस.जी.पी.जी.आई. प्रशासन को आश्वस्त करते हुए कहा कि इन्हीं दो विभागों के लिए ही नहीं, संस्थान के अन्य विभागों के विकास के लिए भी जितने भी धन की आवश्यकता होगी, प्रदेश सरकार उपलब्ध कराएगी। उन्होंने संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि दिन पर दिन महंगे होते जा रहे इलाज के बावजूद यह संस्थान गरीबों का इलाज कर बहुत बड़ी सेवा कर रहा है। उन्होंने कहा कि एस.जी.पी.जी.आई. नहीं होता तो तमाम गरीब इलाज से महरूम रह जाते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। अभी भी गांवों में डाक्टर नहीं हैं। जितने लोगों को चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए नहीं मिल पा रही है। उत्तर प्रदेश में और अधिक संख्या में मेडिकल काॅलेज और चिकित्सा संस्थान खोले जाने की जरूरत है। चिकित्सा विज्ञान में शोध और अनुसंधान के जितने अवसर इस संस्थान में मौजूद हैं उतने राज्य के अन्य संस्थानांे मौजूद नहीं हैं।
दीक्षांत समारोह में उच्च चिकित्सा शिक्षा की डिग्री प्राप्त करने वाले डाक्टरों सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संस्थान से निकलने वाले बहुत से डाक्टर देश और विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ विषयों को छोड़कर अभी भी चिकित्सा विज्ञान के बहुत से विषय ऐसे हैं, जिनमें हम दूसरों के मुकाबले बहुत पीछे हैं। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम वहां तक जरूर पहुंचे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इस संस्थान से निकलने वाले डाक्टर अपने परिश्रम से समाज को अपनी सेवाएं देते रहेंगे।
प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि एस.जी.पी.जी.आई. 25 वर्षों से कम समय में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रतिष्ठा हासिल कर ली है, वह प्रशंसनीय है। पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश तक से मरीज यहां इलाज कराने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयास से इस संस्थान में ‘कामधेनु अतिनिर्धन सहायता कोष’ शुरू हो गया है, ताकि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को भी उच्च कोटि की चिकित्सा निःशुल्क प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि आर्थिक संसाधनों की कमी के बावजूद प्रदेश सरकार इस संस्थान की विशिष्टता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
दीक्षान्त समारोह में संस्थान के डाक्टर, छात्र-छात्राओं के अलावा निदेशक प्रोफेसर आर.के.शर्मा तथा डीन आफ फैकेल्टी प्रोफेसर यू.के.मिश्रा भी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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