उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने राज्य के भूजल स्रोत एवं लघु सिंचाई विभाग से राज्य के धरती के भीतर पानी की अत्यन्त कमी वाले 108 विकास खण्डों में पुनः जल की प्रचुरता लाने के लिए वैज्ञानिकों-इंजीनियरों को एक साथ बैठाकर तीन माह में राज्य के लिए कार्य योजना बनाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग बैठकर सरफेस वाटर (भूमि पर उपलब्ध जल) के लिए बैठकर परियोजनाएं बनाने वाले इंजीनियर और सतह के नीचे धरती की गहराई में उपस्थित जल के बारे में ठोस जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों को एक साथ बैठकर कार्य करने की जरूरत है तभी राज्य को पानी की अत्यन्त कमी के आसन्न खतरे से बचाया जा सकेगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह बात आज यहाॅ भूजल सप्ताह के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के प्रेक्षागृह में आयोजित ’’108 अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकास खण्डों में भूजल संवर्धन हेतु कार्यशाला’’ में मुख्य अतिथि के रूप में कहीे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने जिस तरह से 2020 में उत्तर भारत खास कर उत्तर प्रदेश के संदर्भ में अतिदोहन के कारण भूजल स्तर के अत्यन्त गिरने की चेतावनी दे रखी है, उसे देखते हुए भूमिगत जल संरक्षण और उसके संवर्धन के लिए वर्षा जल संचयन तथा भूमि जल संवर्धन की योजनाओं पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन आयुक्त के रूप में उत्तर प्रदेश पर मंडरा रहे इस खतरे के बारे में केन्द्र सरकार को भी सचेत किया है और योजना विभाग की बैठक में इस मुद्दे को उठाया है जिसके परिणाम स्वरूप योजना विभाग इस विषय पर कार्यक्रम और नीति निर्देश तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि वाटरशेड़ योजना, स्वायल कन्जर्वेशन स्कीम और सिंचाई की ट्रिपल आर स्कीमों में तालमेल कर अभी से इसके लिए धन की व्यवस्था करते हुए परियोजनाओं को मूर्तरूप दिया जा सकता है।
श्री आलोक रंजन ने भूगर्भ जल विभाग को निर्देश दिया है कि वह इस विषय में एक अच्छी शुरूआत करते हुए वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन करें जिसमें इंजीनियर और विशेषज्ञ वैज्ञानिक शामिल हों जो चिन्हित जिलों में भ्रमण कर जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों से तालमेल बनाकर भूगर्भ जल संवर्धन और संरक्षण के लिए राज्य को उत्प्रेरित कर सके।
इसके पूर्व राजस्थान के जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश को सबसे पहले अपने जियोहाईड्रोलाॅजी वैज्ञानिक और सिंचाई अभियन्ताओं को इस कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए तथा कुछ इस तरह की नीति बनाई जानी चाहिए कि सतह पर जितने भी स्ट्रक्चर निर्मित हों उन्हें सतह के अन्दर मौजूद एक्वाफर (जलीय शिराओं) के क्षैतिज अथवा ऊध्र्वाधार अवस्थिति का ध्यान में रखते हुए बनाये जांय। उन्होंने कहा कि भूमि सतह पर मौजूद धाराओं से जुड़ी भूमिगत जलीय शिराओं का पूरा मैप होना चाहिए। श्री सिंह ने जोर दे कर कहा कि सरकार के भूमि जल संवर्धन के प्रयास तभी सफल होंगे जब पंचायतों और स्कूलों को इनसे जुड़े कार्यक्रमों के साथ जोड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि पंचायत से पंचायत और स्कूल से स्कूल के बीच शिक्षण/चेतना रैलियों का आयोजन जिलाधिकारियों को सुनिश्चित करना चाहिए जिससे जनता में खास कर किसानों और भूमि जल का दोहन करने वालों में भूमि जल की कमी और उसके महत्व की जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सबसे पहले एक नदी नीति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भाग्यशाली है कि जन संख्या की बहुलता के साथ यहाॅ जल स्रोतों की भी बहुलता है। उन्होंने कार्यशाला में एक पे्रजेन्टेशन देकर जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों, इंजीनियरों को राजस्थान में सूखे जल स्रोतों और सात सूखी नदियों के फिर से हरे भरे होने तथा जल प्रवाहित होने, बंजर जमीन के उपजाऊ बन जाने के प्रयासों की जानकारी दी।
इसके पूर्व सी0जी0डब्ल्यू0बी0 के पूर्व चेयरमैन डा0 डी0के0चड्ढा ने ’’नीड फाॅर ए पर्सपेक्टिव प्लान आॅफ ग्राउन्ड वाटर कन्जर्वेशन इन यू0पी0’’ विषय पर बोलते हुए सुझाव दिया कि भारत में वर्षा जल की मार्केटिंग का प्रबन्ध होना चाहिए। जिन राज्यों में वर्षा जल ज्यादा है उन्हें इसका संचयन कर कम वर्षा वाले राज्यों को बिक्री करने की तरफ सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों में इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम हो रहे है। इसके पूर्व आई0आई0टी0 कानपुर के प्रो0 राजीव सिन्हा ने ’’अक्वाफर मैपिंग फाॅर अन्डरस्टैण्डिंग स्ट्रक्चर एण्ड डायनामिक्स आॅफ ग्राउन्ड वाटर सिस्टमः ए प्री-रिक्वीजिट फाॅर सस्टेनेबुल ग्राउन्ड वाटर मैनेजमेन्ट’’ विषय पर अपने विचार रखे।
बैठक में प्रमुख सचिव लघु सिंचाई श्री संजीव दुबे सहित 36 जनपदों के जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी और जल स्रोतों से सम्बन्धित अभियन्ता और प्रशासक उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने आज सुबह 11ः00 बजे कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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