बात को बेबात करके गलत ढंग से प्रस्तुत करने के शगल के चलते एक बार फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया विवादों की तह में आया है। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चैधरी द्वारा अपने समय में विद्याार्थियों को शिक्षा के समय दंड देने की प्रथा के अब बदल जाने की बात करने पर उनकी बात को अधूरे ढंग से प्रस्तुत करके बेवजह का बवाल बनाने की कोशिश का राजधानी के अनेक समाजिक संगठनों तथा पत्रकार संगठनों ने विरोध किया है। बेसिक शिक्षा मंत्री की बेदाग छवि और शिक्षा के क्षेत्र में विकास की नीति के चलते कुछ लोगों को उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करने के लिये कोशिश की लेकिन अच्छी छवि के श्री चैधरी ने बेवाकी के साथ षडंयत्र की कलई खोल कर रखी दी है। श्री चैधरी बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में लगातार पिछड़ रहे प्रदेश को आगे बड़ाने तथा सरकारी स्कूलों की गिरती छवि को बचाने के प्रयास में लगातार कोशिश कर रहे है। उन्होंने जिलों में रहने वाले अधिकारियों और विधायकों तथा राजनैतिक व्यक्तियों का आवाहान किया है कि सरकारी स्कूल में ही अपने बच्चों को पढ़ाकर समाज को सरकारी स्कूलों के प्रति प्रेरित करे। प्रत्येक विधायक या चुने हुये प्रतिनिधि की जुम्मेदारी है कि अपने-अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूल की गुणवत्ता और शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो तभी सच्चा समाजवाद आयेगा। समाजवादी विचारों के चलते पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रशेखर के साथ कदम-कदम से मिलाने वाले राम गोविन्द चैधरी ने इस संवाददाता से बातचीत करते हुये कहा कि हमे लोकतंत्र में मंत्री को चैकीदार की भूमिका अदा करनी है। जिस प्रकार चैकीदार घर की सुरक्षा करता है उसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना है। अपने कथन को गलत ढंग से पेश करने के मामले में उन्होंने स्पष्ट किया कि मैने शिक्षकों से और अभिभावकों से कहा था कि स्थितिया हमारे जमाने की नही है। आज हमें बदली हुई परिस्थतियों में शिक्षा को नये ढंग से देना है। गौर तलब है कि गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल में परिषदीय बेसिक शिक्षकों के प्रतिनिधि सम्मेलन में बेसिक शिक्षा मंत्री ने पूर्व शिक्षण व्यवस्था जिसमें छात्र उपस्थिति शत-प्रतिशत होती थी तथा छात्र अपने पठन-पाठन के प्रति एकाग्र होता था, मात्र उदाहरण दिया। वर्तमान में शिक्षा छात्र केन्द्रित है तथा शिक्षण विधि का आधार छात्र की रूचि व मनोविज्ञानिक है। वास्तव में वर्तमान शिक्षण विधि पर मंत्री द्वारा कोई प्रश्नचिन्ह नही उठाया गया, बल्कि पूर्व शिक्षण व्यवस्था का उदाहरण ही दिया गया है।
वास्तव में नवीन शिक्षा व्यवस्था के अनुसार अभी तक ग्रामीण अंचलों में न तो व्यवस्था की गयी और न ही जन-जागरण किया गया जिसका प्रतिफल है कि ग्रामीण विद्यालयों में छात्र उपस्थिति 40 से 50 प्रतिशत ही है वह भी क्रमशः। वर्तमान बेसिक शिक्षा मंत्री ग्रामीण अंचलों में बेसिक शिक्षा कैसे सुदृढ़ हो, प्रतिदिन चिन्तन करते रहते है। संघ के पदाधिकारियों से जब भी भेंट होती है, बेसिक शिक्षा के सुधार हेतु तथा छात्रों की शत्-प्रतिशत उपस्थिति व समय से विद्यालय संचालन के लिये नित्य प्रति प्रेरित करते रहते है। जब से वर्तमान बेसिक शिक्षामंत्री ने बेसिक शिक्षा का दायित्व संभाला है तब से बेसिक शिक्षा में सुधार का प्रदेश में एक माहौल बना है क्योंकि मंत्री निरन्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा के गुणवत्तपूर्ण सुधार तथा छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति हेतु अभिभावकों, छात्रों एवं शिक्षकों में सामजस्य उपस्थित करने को प्रयासरत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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