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प्राथमिक सहकारी समितियों के सदस्याता शुल्क में पूरे प्रदेश में एकरूपता ले आयें

Posted on 16 July 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री धनंजय कुमार सिंह एवं राष्ट्रीय प्रभारी श्री संतोष गंगवार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव प्रारम्भ हो रहे हैं। सहकारिता के पिछले चुनावों में सत्ता में बैठी बसपा ने वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा के आधार पर नाबार्ड के साथ हुये समझौते को दरकिनार कर प्रदेश भर के जिला सहकारी बैंकों, सहकारी संघों, मार्केटिंग और कन्ज्यूमर समितियों के साथ-साथ प्रदेश स्तरीय सभी सहकारी संघों पर कब्जा कर लिया था। नबार्ड के साथ हुए 2007 के समझौते में सभी सहकारी संस्थाओं में सरकार का हस्तक्षेप समाप्त करने, लोकतान्त्रिक व्यवस्था मजबूत करने के साथ उनके कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने, समितियों में कम्प्यूटर लगाने तथा कई ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु थे जिन पर यदि अमल किया गया होता तो इन सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली में सुधार होता। इस समझौते में प्रदेश सरकार को प्राथमिक सहकारी समितियों की आर्थिक दशा सुधारने के लिये भारी धनराशि का पैकेज भी मिला था।
उन्होंने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा के पहले समाजवादी पार्टी का भी इन चुनावों के प्रति यही रवैया रहा है। सरकार और बाहुबल के द्वारा मुलायम सिंह ने भी बसपा के पहले लगभग 30 वर्षो तक उत्तर प्रदेश की सहकारी संस्थाओं पर कब्जा जमाये रखा। किसानों और गरीबों की आर्थिक सहायता करके उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने वाली इन संस्थाओं पर कब्जा और उनका शोषण उत्तर प्रदेश के किसान और गरीब जनता का शोषण है, जो अभी तक चल रहा है।
श्री सिंह ने जोर देते हुए कहा कि प्रदेश का विकास रुका हुआ है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश है। यदि प्रदेश की सहकारी समितियों को सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त कर स्वतन्त्र रूप से कार्य करने का अवसर मिले तो प्रदेश की गरीबी दूर हो जायेगी और यह प्रदेश भी गुजरात और महाराष्ट्र की तरह सम्पन्न हो जायेगा। उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार से मांग किया कि संविधान के 97वें संशोधन में सहकारी समितियों का कार्यकाल पांच वर्ष करने, प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप से मुक्ति, पूर्ण लोकतन्त्रीकरण आदि की जो व्यवस्था दी गयी है इसे समाजवादी पार्टी की सरकार लागू करे और सहकारिता के चुनाव बाहुबल और अधिकारियों के भरोसे उन पर कब्जा करने के लिये न कराये। सहकारी समितियों में निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था करे जिससे प्रदेश का विकास हो सके।
प्राथमिक सहकारी समितियों के सदस्याता शुल्क में पूरे प्रदेश में एकरूपता ले आयें और उसे सरकार द्वारा प्रचारित किया जाय ताकि लोगों की जानकारी में आ जाय।
पत्रकार वार्ता में प्रमुख रूप से भावना बेन चिखलिया प्रभारी सहकारिता प्रकोष्ठ, उ0प्र0, सह संयोजक बाल्मीकि त्रिपाठी, राम कुमार शुक्ल जी उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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