जिस परिवार, समाज में बेटियों को सम्मान मिलता है, वह प्रगति करता है — डिम्पल यादव, मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की पत्नी व लोकसभा सदस्य
‘सेव द गर्ल चाइल्ड’ विषय पर सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन’ का भव्य उद्घाटन आज मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की पत्नी व लोकसभा सदस्य श्रीमती डिम्पल यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर जहाँ एक ओर देश-विदेश के मूर्धन्य विद्वानों, पत्रकारों, मीडिया प्रमुखों व शिक्षाविदों आदि की उपस्थिति ने समारोह को गरिमा प्रदान की तो वहीं दूसरी ओर
सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने स्कूल प्रार्थना ‘आई बियर विटनेस…’ प्रस्तुत कर आध्यात्मिक आलोक का संचार किया। अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन की अध्यक्षता प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने श्रीमती डिम्पल यादव ने सी.एम.एस. के तत्वावधान में कमजोर व गरीब तबके से जुड़ी बालिकाओं की शिक्षा के लिए प्रारम्भ किए गये विशेष कार्यक्रम ‘उम्मीद’ का शुभारम्भ किया तथापि शुरुआती चरण में इस कार्यक्रम से जुड़ी
20 बालिकाओं में से प्रत्येक रु. 11,00 का नगद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि श्रीमती डिम्पल यादव ने कहा कि जिस परिवार, समाज में बेटियों को सम्मान मिलता है, वह प्रगति करता है। इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि बालिकाओं के प्रति भेदभाव की भावना को दूर करने एवं बालिकाओं का शोषण व कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों को दूर करने में ऐसे आयोजित बहुत मददगार साबित होते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों को बच्चों को सकारात्मक एवं स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में जागरूक संस्थाओं को आगे आना चाहिए। श्रीमती डिम्पल ने इस प्रकार के आयोजनों को अपना सम्पूर्ण समर्थन दिया और इस अनूठे आयोजन के माध्यम से बालिकाओं से जुड़ी ज्वलन्त समस्याओं एवं सामाजिक भ्रान्तियों के प्रति समाज का ध्यान आकर्षित करने हेतु सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी को साधुवाद दिया। इस अवसर पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने कहा कि बालिकाओं का शोषण व कन्या भ्रूण हत्या समाज की सर्वाधिक विशाक्त घृणित बुराइयों में से एक है और सच तो यह है कि 21वीं सदी के इस दौर में भी हमारा देश व दुनिया के कई अन्य देश भी इस बुराई से उबर नहीं पाये हैं जिसका एक प्रमुख कारण अशिक्षा भी है। उन्होने आहवान किया कि इस प्रकार की सामाजिक बुराई को दूर करने में मीडिया रचनात्मक भूमिका निभाये।
इस अवसर पर सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट व चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने ‘‘गेटिंग टू इक्वल’’ विषय पर प्रजेन्टेशन देते हुए बताया कि सामाजिक व्यवस्था में बालिकाओं की शिक्षा बालकों के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली साबित होती है। एक बालिका को शिक्षित करने से पूरा परिवार शिक्षित होता है और मानवीय गुणों को अपनाता है। इसलिए यदि स्कूल और मीडिया मिलकर काम करें तो हम बालिकाओं के स्तर को ऊपर उठाने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। प्रो. किंगडन ने विश्व परिदृश्य पर बालिकाओं एवं बालकों की जन्मदर पर अपना अध्ययन प्रस्तुत करते हुए असमानता को रेखांकित किया। इससे पहले सम्मेलन के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी श्री ऋषि खन्ना ने आमन्त्रित वक्ताओं व उपस्थित दर्शकों का हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन किया।
सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स की स्थानीय संपादक सुश्री सुनीता ऐरन ने कहा कि इस विषय पर समाज में सकारात्मक सोच की जरूरत है और इसमें भी कोई दो राय नहीं कि लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। कई ऐसी जगहें भी हैं जहाँ लडकियों के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं। दरअसल, भारत जैसे विशाल लोकतान्त्रिक देश में आज जरूरत इस बात की है इस प्रकार के विषयों को एक मिशन के तौर पर लिया जाए और इसके लिए सामाजिक जागरूकता अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने महिलाओं का आहवान किया कि प्रत्येक महिला को अपने महिला होने पर गर्व होना चाहिए। दिल्ली से पधारे वरिष्ठ पत्रकार श्री जावेद नकवी ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है और इसके लिए राजनैतिक मूवमेंट शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब महिलाओं को आगे आकर इस प्रकार की सामाजिक बुराइयों को दूर करने में भूमिका निभानी चाहिए। इसी प्रकार नई दिल्ली से पधारे अमेरिकन दूतावास के प्रवक्ता श्री पीटर ब्रमून ने प्रख्यात अर्थशास्त्री अर्मत्य सेन व सत्यमेव जयते जैसे धारावाहिकों का उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया और टेक्नोलाॅजी मिलकर लोगों की सोच में बदलाव ला सकते हैं। दूरदर्शन, नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, श्री मुकेश शर्मा ने मीडिया का आहवान किया कि आपकी आवाज सब तक पहुँचती है, इसलिए ऐसे मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाइये। उन्होंने कहा कि जहां तक गर्ल चाइल्ड का विषय है आप निश्चित रूप से स्टिंग आपरेशन करते रहिए, क्योंकि ये बहुत ही बड़ा इश्यू है। श्री शर्मा ने मराठी की एक उक्ति ‘मुल्ली शिखली प्रगति थाली’ अर्थात बेटी पढ़ ली तो समझो प्रगति हो गई, का उदाहरण देते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से लोगा प्रेरित होते हैं और सोचने पर मजबूर होते हैं। सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक श्री जोगिन्दर सिंह ने कहा कि इस मोशन को पार्लियामेन्ट में पास किया जाना चाहिए और कन्या भ्रूण हत्या को हत्या के बराबर माना जाना चाहिए। आई.बी.एन.-7 के प्राइम टाइम कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता श्री संदीप चैधरी ने कहा कि दरअसल ऐसा नहीं है कि माँ-बाप लडकियों से प्यार करते अपितु बालिकाओं के बारे में अभिभावक इतने संरक्षणवादी होते हैं कि जिससे उन्हें बराबरी का अवसर नहीं मिल पाता है। जरूरत इस बात की है कि बालिकाओं को भी बालकों की तरह आगे बढ़ने के व विकास के समान अवसर मिलें। वरिष्ठ पत्रकार
श्री सतीश जैकब ने कहा कि हम ऐसे देश के वासी हैं जहाँ ज्यादातर देवियों की ही पूजा की जाती है परन्तु यह विडम्बना ही है कि इसके बावजूद भी हमारे देश में हर साल करीब आधा मिलियन लड़कियों को मार दिया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो नाजियों ने जो नरसंहार जर्मनी में किया था उसे हम हर साल भारत में दोहराते हैं। नई दिल्ली से पधारे बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री साबू जार्ज ने कहा कि भारत में भ्रूण हत्या की शुरुआत करीब चालीस वर्ष पूर्व हुई थी जबसे इससे सम्बन्धित टेक्नोलाॅजी भारत में आई है। हमें यह बात समझनी होगी कि टेक्नोलाॅजी मात्र मेडिकल प्रोफेशन को सपोर्ट देने के लिए है। इससे सम्बन्धित नियम कानूनों का आदर तो हमें स्वयं ही करना होगा। इसी प्रकार सामाजिक कार्यकर्ता व मिरिन्डा हाउस की प्रोफेसर सुश्री विजयलक्ष्मी नंदा ने शिक्षिकाओं व माताओं का आहवान किया कि वे बच्चों को सही विचार व सही शिक्षा दें जिससे वे सही व गलत का अन्तर कर पायें। गल्फ न्यूज, नई दिल्ली के ब्यूरो चीफ श्री अजय झा ने कहा कि मीडिया पाॅवर नहीं अपितु दर्पण है। हम सच्चाई को दिखा सकते हैं परन्तु सजा नहीं दे सकते। इसके लिए समाज को मीडिया के सहयोग से प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए। इसी प्रकार कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अपरान्हः सत्र में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित प्रेस कान्फ्रेन्स में सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने मीडिया सम्मेलन में दिन भर चले विचार-विमर्श के निष्कर्ष से पत्रकारों को अवगत कराया। डा. गाँधी ने कहा कि देश-विदेश से पधारे मीडिया प्रमुखों, पत्रकारों व अन्य विद्वजनों की आम राय थी कि सामाजिक बुराइयों को दूर करने हेतु जागरूकता जगाने में प्रेस व मीडिया की अहम भूमिका है और इस क्रान्तिकारी मिशन में आम जनता की भागीदारी हेतु लोकतन्त्र के चैथे स्तम्भ को विद्यालय व समाज के साथ मिलकर अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी बड़ा आन्दोलन प्रेस व मीडिया के सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकता है। इसीलिए भावी पीढ़ी के हित में प्रेस व मीडिया द्वारा जनमानस को प्रेरित करने की आवश्यकता आन पड़ी है। डा. गाँधी ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पधारे देश-विदेश के मीडिया प्रमुखों व विद्वजनों ने अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत करते हुए अपील की कि कन्या भ्रूण हत्या एवं बच्चों पर होने वाले अपराध व हिंसा पर अंकुश लगाने में समाज की सभी जिम्मेदार संस्थाओं, समाज के सभी वर्गो एवं प्रत्येक नागरिक को सम्मिलित प्रयास करना होगा। डा. गाँधी ने कहा कि वक्ताओं की राय थी कि बालिका ही आगे चलकर भावी पीढ़ी को राह दिखाती है, एक बालिका को शिक्षित करने से पूरा परिवार शिक्षित होता है और मानवीय गुणों को अपनाता है। इसलिए यदि स्कूल और मीडिया मिलकर काम करें तो हम बालिकाओं के स्तर को ऊपर उठाने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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