मुख्यमंत्री ने किया अनीस अन्सारी के पांचवें काव्य संग्रह ‘अधूरी हिकायत’ का विमोचन
‘‘जरा देखो कहीं मेरी तरह चोटें न आई हों, कोई रह-रह के रोता है, गिरी दीवार के पीछे’’
जैसे ही यह शेर श्री अनीस अन्सारी ने पढ़ा, पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौका था, अवकाश प्राप्त आई0ए0एस0 अधिकारी श्री अनीस अन्सारी के पांचवें काव्य संग्रह ‘अधूरी हिकायत’ के विमोचन का। यह विमोचन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने पर्यटन भवन, गोमती नगर, लखनऊ के आॅडिटोरियम में उत्तराखण्ड के गवर्नर श्री अजीज कुरैशी और छत्तीसगढ़ के गवर्नर श्री शेखर दत्त की मौजूदगी में किया।
काव्य संग्रह के विमोचन के उपरान्त मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री ने इस काव्य संग्रह के लिए श्री अनीस अन्सारी को धन्यवाद व बधाई देते हुए कहा कि पूर्व आई0ए0एस0 और वर्तमान में कुलपति के अलावा अब लोग उन्हें मशहूर शायर के रूप में भी जानने लगे हैं। श्री यादव ने कहा कि शायरी लोगों के दिलों की उदासी को दूर करती है। यह इंसानियत और मोहब्बत के जज्बे का बयान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ और उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्धशाली रहे हैं तथा आजादी की लड़ाई से लेकर देश की खुशहाली व तरक्की में उर्दू और उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा योगदान है। श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से बनाकर लोगों ने जो भरोसा जताया है, उस पर हमें खरा उतरना है। उन्होेंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक जनता के इतने बड़े समर्थन से कोई सरकार नहीं बनी। इस अवसर पर उन्होंने उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय के वर्तमान नाम को बदले जाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राय-मशविरा करने के बाद इसका नाम उर्दू, अरबी, फारसी से जुड़ी किसी शख्सियत के नाम पर रखा जाएगा।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखण्ड के गवर्नर श्री अजीज कुरैशी ने कहा कि श्री अनीस अन्सारी ने अधूरी हिकायत काव्य संग्रह अपने खूने-जिगर से लिखा है। उन्होंने कहा कि शायर की कलम से समाज के दर्द का बयान होता है और उसकी यह जिम्मेदारी है कि वह अपनी कलम को नश्तर बनाकर समाज में फैले जहर को एक कामयाब सर्जन की तरह बाहर निकाले। उन्होंने कहा कि आज हमें तंग सियासी नजरिये से ऊपर उठकर जनता के हक व हुकूक तथा उससे जुड़े मुद्दों के लिए अपनी आवाज बुलन्द करनी होगी, तभी हमारा मुस्तकबिल महफूज रहेगा।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने लखनऊ तथा उत्तर प्रदेश की सराहना करते हुए कहा कि यह सरजमीं उदारता, सर्वधर्म समभाव व कौमी एकता की मिसाल रही है। उन्होंने कहा कि अवध में उर्दू पनपी और आगे बढ़ी। हिन्दी और उर्दू भाषाएं बहनों जैसी हैं। ये भाषाएं देश और समाज को जोड़ती हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू ने लोगों को प्रेरणा और विचार दिए तथा उनमें जोश भरा।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो0 अतीकुल्लाह ने कहा कि श्री अनीस अन्सारी की शायरी सच्ची, भावुक और खुली आंख की शायरी है। उनकी शायरी खूबसूरत इन्सान और सच्ची इंसानियत का हसीन तसव्वुर है। प्रो0 शारिब रुदौलवी ने कहा कि श्री अंसारी की शायरी व नज़्में जिन्दगी के बेहद करीब हैं और उन्हें पढ़कर यूं महसूस होता है कि जैसे इस वाकये से हम गुजर चुके हैं। प्रो0 अबुल हसनात हक्की ने श्री अंसारी की शायरी के शीर्षक और उस्लूब (शैली) की खूबियों पर रोशनी डाली।
मशहूर गजल गायिका श्रीमती स्वाती रिज़वी ने इस मौके पर डाॅ0 अनीस अंसारी की दो गजलें (शाम है और समन्दर से गुजरना है हमें तथा जाने किसने कुछ ऐसे छुआ है कि बस) पेश कीं। आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए फैशन डिजाइनर श्रीमती असमा हुसैन ने कहा कि श्री अंसारी की शायरी संवेदनशीलता, इंसानियत और सच्चाई का बयान है।
प्रोग्राम का संचालन श्री अनवर जलालपुरी ने किया। डा0 अनीस अंसारी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर काबीना मंत्री मो0 आजम खाँ, श्री अहमद हसन, श्री अम्बिका चैधरी, मौलाना डाॅ0 सैय्यद कल्बे सादिक, मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली के अलावा सियासी, समाजी, शासकीय और अदब की नामवर हस्तियां बड़ी संख्या में मौजूद थीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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