भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में पहुँच चुकी है। पुलिस प्रशासन पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह गया है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री की नसीहतें और हिदायतों का नौकरशाही पर सार्थक असर नही हो पा रहा है। माल थाने में हुई घटना सरकार पर बदनुमा दाग है। पुलिस के आला अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए।
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सरकार की नाक के नीचे राजधानी में पुलिस की जो हालत है वह किसी से छिपी नहीं हैं। माल थाने में घटना होती है। खाकी शर्मशार होती है। पत्रकार पहुँचते हैं, फोटो भी हो जाती है किन्तु फिर वही पुलिस का बहाना। आरोपी थाने से भाग जाता है। आखिर जब थाने में दुराचार का प्रयास होता है। शोर मचाने पर थानेदार सहित आलाधिकारी मौके पर पहुँच जाते हैं। दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया जाता है। फिर आरोपी कैसे भाग जा रहा है? माल में हुई घटना के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनके विरूद्ध भी कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कानून व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता पर बताते है, किन्तु अनुभव यह बताता है कि कानून व्यवस्था के मोर्चे पर कोई व्यापक सुधार नहीं हुआ है। घटनाओं पर नजर डालें तो स्थिति यह है कि सपा शासन के बाद दर्जनों घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनसे खाकी शर्मशार हुई। 26 मई को बदायूं जनपद में पुलिस चैकी मे तिजारत करने आयी युवती के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा रेप की घटना होती है। 17 मई को राजधानी लखनऊ में नशे में धुत दरोगा चैकी में महिला को बंधक बनाकर पिटाई करता है।। 6 मई को ही प्रतापगढ़ जनपद में फरियाद करने गई विधवा की थाने में ही आबरू लूट ली जाती है। 7 जून के फिरोजाबाद जनपद में पुलिसकर्मी और उसके होमगार्ड साथी मिलकर महिला के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम देते हैं। लखनऊ में ही 4 जून की रात पुलिस चैकी में ही डाॅक्टर की संदिग्ध अवस्था में मौत पुलिस हो जाती है।
उन्होनें कहा कि राजधानी में लूट और पिटाई की अनगिनत घटनायें हैं जिन्हें पुलिसकर्मियों ने अंजाम दिया। अभी पिछली 2 जुलाई को मोहनलागंज क्षेत्र में सिपाही ने लोडर मालिक को लूटा। 14 जून को निगोहां थाने के सिपाहियों ने घर में घुसकर उत्पात मचाया। 27 जून को लखनऊ की तेजतर्रार पुलिस ने मानसिक रूप से बीमार युवक की बेरहमी से पिटाई की। 2 जुलाई को बाराबंकी की सदर कोतवाली क्षेत्र में तैनात सिपाही ने डाॅक्टर को बेरहमी से पीटा। 7 जुलाई को बांदा में पुलिसकर्मियों ने एक युवक को पहले बंधक बनाया फिर उसकी जमकर जानवरों की तरह पिटाई की।
श्री पाठक ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुये कहा कि कानून व्यवस्था को शर्मसार करने वाली इन घटनाओं को संज्ञान में लें। स्थिति यह हो गयी है कि जो काम सरकार को करना चाहिये उसके लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय को हाल ही में कहना पड़ा कि पुलिस कानून -व्यवस्था की स्थिति को दुरूस्त करने के लिये सख्त कदम उठाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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