ऽ चार पहिया वाहन के स्वामी को भी आबटंन
ऽ निष्पक्ष जाॅच हो तो खुल सकती है असलियत
उत्तर -प्रदेष की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती की उच्च महत्वाकांक्षी योजना में एक योजना थी मान्यवर काषीराम षहरी गरीब आवास योजना। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का इस योजना को क्रियान्यवन का मुख्य कारण था कि ष्षहरों में जो व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए छत मुहैया नहीं हैं उनके लिए भी रहने की व्यवस्था करना। इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जनपद में गरीब लोगों के लिए 1500 आवासों की व्यवस्था बनाई और एक षासनादेष 24 जुलाई 2008 को षासनादेष संख्या 4328/9-5-08-133 सा 02 जून 2008 के अन्तर्गत प्रदेष में जारी किया। सम्बन्धित जिले के डूडा अधिकारियों को कार्यरूप में परिणित करने के लिए कहा गया। ष्षासनादेष के उपरान्त जिले में आवेदन के जरिये गरीब लोगों को आवास उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी। ष्षासनादेष के उपरान्त उन लोगों की गिद्ध दृष्टि गरीब लोगों के आवसों पर पड़ गई, जो पात्र नहीं थे। वे भी येन-केन प्रकारेण फर्जी दस्तावेजों के जरिये आवास हथियाने में लग गये। उक्त ष्षासनादेष के बाद लोगों ने आवास पाने के लिए आवेदन पत्र भरे और ष्षपथ पत्र भी दिया के उनके पास कोई आवासीय मकान नहीं हैं उक्त आवास के आवटंन में खेल का पोल तब खुला जब एक संस्था ने आर0टी0आई0 के तहत सभी आबंटियों के आवेदन पत्र एवं उसके साथ संलग्न पपत्रों की मांग की। इसके प्ष्चात सच्चाई दर परत खुलनी ष्षुरू हुई। पहले तो विभागीय अधिकारियों द्वारा बहुत हीला-हवाली की गई। बाद में जब जन सूचना आयुक्त लखनऊ उ0प्र0 द्वारा आदेष हुआ, तो डूडा अधिकारी को मजबूरीवष सारी सूचना और पपत्र उपलब्ध कराने का सिलसिला षुरू हुआ। जन सूचना अधिकार के जरिये मिली जानकारी के अनुसार आवास आबंटन के पहले तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देष पर 11 सदस्यीय चयन समिति का गठन हुआ। जो तत्कालीन डूडा अधिकारी तीर्थ राज द्वारा दिनांक 30 दिसम्बर 2009 को जारी किया गया।
प्राप्त आवेदन के जरिए जो आवास आवंटन किए गये वे बाकायदा चयन समिति के जरिये किया गया तो कैसे गलत व्यक्तियों को आवास आवांटन किया गया। क्यों आवेदन प्रपत्रों का सही सत्यापन नही किया गया। प्रमाण तो यही बताते हैं। आर0टी0आई0 के द्वारा मिली सूचना के आधार पर कुछ ही चिन्हित आवेदनपत्रों में लगे प्रपत्रों में जब राषन कार्ड सत्यापन जिलापूर्ति अधिकारी द्वारा कराया कराया गया तो फर्जी वाडा़ का खुलाषा होने लगा और जब इसकी सूचना फर्जी दस्तावेजों के जरिये प्राप्त किए गये आवासों के मलिकों को हुआ तो उनके े होष उड़ने लगे। यहाॅ तक कि आर0टी0आई0 के तहत सूचना मांगने वाले को प्रलोभन देने लगे। प्रलोभन के आगे न झुकने पर जान से मारने की धमकी तक दी गई। आवास आवंटन के घोटाले की जानकारी जब जिलाधिकारी पिंकी जोवेल को मिली तो उन्होंने मौके पर जाकर कुछ आवासों का सत्यापन किया जिसमें 34 आवासों को आवंटन गलत पाया जिसको उन्होंने तत्काल प्रभाव से निरस्त कर पात्र व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराया। परन्तु गौर तलब हो कि एक वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी आज तक निरस्त किए गये आवंटियों के मालिकों ने न तो आवास छोड़ा और न ही पात्र व्यक्ति आवास पर कब्जा पा सके। मिली जानकारी के मुताबिक जो विभागीय सूची उपलब्ध कराई गई है उनमें 25प्रतिषत ऐसे आवासों का आवंटन हुआ है जो सूची में कुछ और नाम -पता है और आवंटन में कुछ और नाम है। 20 प्रतिषत ऐसे आवास आवंटन हुए हैं जिन्हें पता ही नही है कि उनके नाम पर आवास आवंटन है, जिन पर अपात्र व्यक्ति कब्जा जमाए हुए हैंे। अभी तक 10 सरकारी कर्मचारियों की जानकारी मिल पायी है जिनके नाम आवास आवंटित हैं। यदि सही सत्यापन कराया जाय तो इनकी संख्या सैकड़ों में हो सकती है। 500 ऐसे व्यक्तियों ने आवास हथिया लिया है जिनका षहर में ही पैतृक/स्वयं का आवास है जिनमें अधिकतर दो व चार पहिया वाहन के मालिक भी हैें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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