देर से वारिष होने के कारण धान की फसल का नुकसान तो हुआ ही उसके साथ ही साथ मक्का, बाजरा, अरहर तथा सब्जी की खेती का भी नुकसान हुआ। पिछले जून में जहाॅ वारिष 120 मि0मि0 हुई थी वहीं इस वर्ष जून में वारिष ष्षून्य रही। पिछले साल की तुलना में अब तक वारिष का अनुपात रहा वह 320 मि0मि0 के फलस्वरूप 60 मि0मि ही वारिष रही। बारिष के देर से होने से जहाॅ धान की खेती पर असर पड़ा है वहीं अन्य फसलों के पैदावार में भी असर पड़ने की पूरी सम्भावना है। वर्षा न होने के कारण सबसे अधिक हानि तो मवेषियों के चारे का हुआ। सबसे बड़ा संकट तो आने वाले समय में पषुओं के चारे का होगा। सब्जी पर इसका भरपूर असर पड़ा है। वर्षा न होने से सब्जियाॅ भी समय से नहीं उगाई जा सकी है। अगर समय से वर्षा हो जाती तो सब्जियाॅ अब तक बाजार में आ जाती और आज जो इनके दाम आसमान में पहुॅच गये हैं । आने वाले समय में इसका असर भारी देखने को मिलेगा। उक्त बाते जिला कृषि रक्षा अधिकारी डी. आर. भाष्कर ने एक मुलाकात में समय से वर्षा न होने के कारणों पर चिंता जताते हुए बतायी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com