समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट की आड़ में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके कृपापात्रों को जश्न मनाने का कोई औचित्य नहीं बनता है। बयानबाजी बेमानी है। इससे सुश्री मायावती के ऊपर लगे दाग धूलनेवाले भी नहीं है। यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि बसपाराज के पांच सालों में सिर्फ लूट और वसूली का ही धंधा चला है। अपहरण, हत्या, लूट, बलात्कार में बसपा के मंत्री-विधायक फंसे हुए हैं। लोकायुक्त की जांच में भ्रष्ट साबित हुए कई मंत्री अपने पदों से हटाए जा चुके हैं। हर विभाग और हर निर्माण में घोटाला बसपा कुशासन की कहानी है।
पूर्व बसपा मंुख्यमंत्री यह दावा नहीं कर सकती हैं कि उनके खिलाफ जो आरोप हैं उससे वे पूर्णतया बरी हो गई है। जनता की अदालत का फैसला उनके विपक्ष में गया है। जनता ने उनके समय के काले कारनामों का संज्ञान लेते हुए उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया और समाजवादी पार्टी को बहुमत देकर श्री अखिलेश यादव को सत्ताशीर्ष पर बिठा दिया है। जनता ने दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ रही आय पर उनकी सफाई नहीं मानी। उसने अपना निर्णय सुना दिया है कि वह अब मुख्यमंत्री होने लायक नहीं। उनकी हायतौबा जनादेश का अपमान है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अपने मानक होगें पर आम जनता को कभी इस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री की आय जो 13 मई,2007 को चैथीबार मुख्यमंत्री बनी तब 52 करोड़ 27 लाख रूपए थी जो पांच साल में बढ़कर 1 अरब 11 करोड़ 64 लाख 24 हजार 480 रूपए हो गई। आखिर वह कौन सी जादू की छड़ी है जिससे पांच साल में करीब साठ करोड़ रूपए की एकदम से आय में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
सच तो यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से अपराधमुक्त नहीं हो सकती है। भ्रष्टाचार के सभी रिकार्ड उनके शासनकाल में टूटे हैं। उनके जन्म दिन की चन्दा वसूली में एक बसपा विधायक ने एक इंजीनियर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आज वह विधायक इसी आरोप में जेल की सजा काट रहा है। इस तरह की वसूली को कार्यकर्ताओं का दान कोई कैसे मान लेगा?
बसपा सरकार में 4,951 हत्याएं, 2042 बलात्कार, 3,148 रहजनी/लूट और 9941 जालसाजी की घटनाएं जनवरी 2011 और दिसम्बर 31,2011 तक दर्ज की गई। अपराधियों को संरक्षण मिलने से माया सरकार के अंतिम वर्ष में 15 प्रतिशत अपराध वृद्धि रिकार्ड की गई। घोटाले दर घोटालो ने प्रदेश की देशव्यापी बदनामी कराई। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन में तो करोड़ों की बंदरबांट में दो सीएमओ की हत्या हो गई, एक डिप्टी सीएमओ की जेल में हत्या हो गई और सीबीआई भी इसकी जांच में उलझी हुई है। पार्को, स्मारकों पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटा दी गई। मुख्यमंत्री ने जिन्दा रहते अपनी मूर्तियां लगवा दी। नोएडा में जमीन की खरीद फरोख्त में कमीशन का खेल चला। इतने काले कारनामो के बाद अगर बसपा की तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी वालों को “राहत“ में जष्न का एहसास है तो यह उनकी कुंठित मानसिकता का ही परिचायक है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com