दवा कंपनियों द्वारा वसूले गये मुनाफे की चर्चा कोई नई बात नहीं है। लागत के दस गुने मूल्य में भारत जैसे देश में दवा मरीजों के हाथ पहुँचती है। समाजवादी व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने भारत सरकार के रसायन व स्वास्थ्य दोनों मंत्रालयों से दवाओं की अनियन्त्रित कीमतों पर अंकुश लगाने की मांग की है।
गोपाल अग्रवाल के अनुसार कुछ दवा निर्माता तो इतने बेखौफ हो गये हैं कि नियन्त्रित दवाओं पर भी मुनाफा वसूली में समभाव को पीछे छोड़ गये हैं। उदाहरण देकर गोपाल अग्रवाल ने बताया कि 5 प्रतिशत सान्द्रता वाली ग्लूकोज की 500 मिलीलीटर की बोतल बाजार में 24 से 25 रूपये के बीच मिल जाती है परन्तु बेस्टर कंपनी इसे 69 रूपये में बेच रही है। नार्मल सेलाइन की 100 मिली लीटर की बोतल का सामान्य मूल्य 14 रूपये है तो बेस्टर कंपनी इसे 69 रूपये में बेच रही है। कीटाणु रोधक सिप्रोफ्लॉक्सासिन कीकी 100 मिली लीटर की बेातल 17 रूपये से कम पर मिल रही है परन्तु सिप्ला की इसी बोतल का मूल्य 55 रूपये है। एक अन्य कीटाणु रोधक नॉरफ्लॉक्सासिन की 400 मिलीग्राम की 10 गोली का पैक 10 रूपये तक है परन्तु सिप्ला इसे 48 रूपये में बेच रही है।
सपा नेता ने कहा कि साठ के दशक में डॉ० राममनोहर लोहिया ने दवाओं पर भारी मुनाफा वसूली का संसद में विरोध करते हुए कहा था कि लागत व बिक्री का अनुपात तय किया जाये। डॉ० लोहिया ने बिक्री मूल्य को लागत का डयोढ़ा करने की मांग की थी अर्थात एक रूपये की लागत वाली दवा मरीज को एक रूपया पचास पैसे में मिल जानी चाहिए। आज इसे दो गुना तक माना जा सकता है अर्थात एक रूपये की दवा मरीज के हाथ में दो रूपये से अधिक न हो परन्तु अभी यह अन्तर दस गुना चल रहा है जिसे केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान में लेना चाहिए। व्यापार सभा प्रदेश अध्यक्ष ने दवा कंपनियों द्वारा अश्लील विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करते हुए केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री को लिखा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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