भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि सरकार पूर्ववर्ती शासन काल मे हुए घपले-घोटालांे की जाॅच कराने से कतरा रही है ? पार्टी प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री लगातार बयानबाजी कर रहे है कि बसपा शासन काल मे हुए घोटालों की जाॅच करायी जायेगी किन्तु जब घोटालों का खुलासा होता है तो पूरी सरकार जाॅच कराने के बजाय दोषियों को बचाने मे लग जाती है।
श्री पाठक ने आज पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से बात चीत करते हुए कहा कि नगर विकास मंत्री को जे.एन.एन.यू.आर.एम. मे हुए घोटाले की जाॅच सी0बी0आई0 से कराने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखना पड़ रहा है, किन्तु सरकार मौन है। आखिर अपने ही मंत्री द्वारा की गयी जाॅच की माॅग पर सरकार क्यो नही निर्णय ले पा रही है ? पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले पर हुई फिजुलखर्ची का मामला खुद सरकार के कदावर मंत्री शिवपाल यादव की आर.टी.आई. से खुलासा हुआ पर जब जाॅच कराने की बारी आयी तो सरकार ने मुह फेर लिया। ये स्थितियाॅ सरकार के वरिष्ठ मंत्रियो की है। आखिर घोटालो की जाॅच न कराने के पीछे सरकार की क्या मजबूरी है ?
उन्होंने कहा कि सपा ने अपने घोषणा पत्र मे कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार के भ्रष्टाचार की जाॅच के लिए आयोग बनेगा। लेकिन सरकार की कौन सी मजबूरी है जो आज तक घोटालों के लिए जाॅच आयोग नही गठित कर सकी। जब लोकायुक्त ने पूर्वमंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी के खिलाफ आय से अधिक मामले को सी.बी.आई. जांच की सिफारिश की तो सरकार ने मौन साध लिया। यही हाल पूर्व मंत्री अयोध्या पाल के प्रकरण का है जहाॅ सरकार सन्नाटा खिचे हुए है।
उन्होने कहा मुख्यमंत्री लगातार प्रदेश मे विधुत संकट को लेकर चिन्ता जाहिर करते है। इसी करण उन्होंने तुगलकी फरमान जारी करते हुए शाम को बाजार और माॅल बंद करने का आदेश दिया और बाद में जनदबाव में आदेश वापस लेना पड़ा। अब मुख्यमंत्री स्वयं प्रदेश मंे घटिया ट्रांसफार्मर की खरीद की बात कर रहे है। यदि मुख्यमंत्री को लगता है कि बसपा शासनकाल मंे घटिया ट्रांसफार्मर खरीदे गये है तो फिर कठोर कार्यवाही क्यों नही हो रही है ? मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर चुके है कि विगत दो तीन माह मे लखनऊ गोरखपुर मे 700 से ज्यादा ट्रांसफार्मर फूक गये है फिर भी मुख्यमंत्री इसके लिए जिम्मेदार लोगो पर कार्रवाही नही कर रहे है।
श्री पाठक ने कहा कि एन.आर.एच.एम. घोटाले के आरोपी डाक्टरों पर मुकदमे की अनुमति तक देने से आनाकानी कर रही है। चीनी मिलो की जाॅच कराने की मांग और स्वयं किए गए वादे से मुकरती हुई यह सरकार जब सदन मे घिरी तो जांच की बात तो कही। इस प्रकरण पर जब सी.ए.जी. रिपोर्ट आ चुकी है और सरकार ने उसे सदन मे भी रख दिया है तो उसे रिर्पोट के आधार पर कार्यवाही करने मे संकोच क्यो हो रहा है। आखिर इस प्रकरण पर सरकार किसे बचाना चाहती है। सपा सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनाव पूर्व अपने ही किए वादे से पलटने की क्या मजबूरी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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