उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने विधायकों को विधायक निधि से बीस लाख रूपए तक के वाहन खरीदने की अनुमति देकर एक ऐसी गलत परम्परा प्रारंभ की है जो न केवल जनता और जनतंत्र की भावनाओं के विरोध में है बल्कि विधिक दृष्टि से भी अनुचित है। विधायक निधि का धन केवल जनोपयोगी कार्यों पर खर्च करना ही विधि सम्मत है। इसलिए भाजपा का मत है कि विधायक निधि का उपयोग केवल जनता से जुड़े विकास कार्यों पर ही खर्च किया जाना चाहिए। निजी उपयोग के लिए विधायक निधि से वाहन खरीदने की छूट भारतीय संविधान की मूल भावना के ही खिलाफ है। आज प्रदेश की आर्थिक स्थिति कितनी खस्ताहाल है यह बात किसी से छिपी नहीं है। दो लाख करोड़ रूपए से भी अधिक कर्ज के बोझ तले दबे उत्तर प्रदेश का सरकारी खजाना जनकल्याणकारी योजनाओं एवं प्रदेश के विकास के लिए कम पड़ रहा है। ऐसे में विधायक निधि के दुरूपयोग को प्रोत्साहन देकर प्रदेश सरकार ने यह जता दिया है कि चुनाव जीतने के बाद समाजवादी पार्टी की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को अपनी सरकार के इस निर्णय को तत्काल वापिस लेना चाहिए ताकि निजी कार्यों के लिए सरकारी धन का दुरूपयोग न हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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