अभी हमें सरकार में आये हुए ढाई महीने हुए है। लोकतंत्र की एक प्रक्रिया होती है, राजनीतिक दल उसमें हिस्सा लेते हैं और जनता उस पर अपने फैसले देती है। ढाई महीने से जो उधर बैठे हुए है, वह इधर बैठे हुए थे। महामहिम राज्यपाल जी ने अपने अभिभाषण में एक बात कहीं है कि राजनीति पिछले 5 सालों में अधोपतन की तरफ चली गयी है। अब मैं नहीं जानता हूॅ कि जो उधर साथी हैं वह यह समझ सकते हैं या नहीं समझ सकते हैं या इन सबके बारे में उनकी कोई जानकारी है या नहीं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूगा। इतना जरूर कहना चाहता हूॅ कि यह राजनीति मेें सबके लिए एक सबक है। राज्यपाल जी ने जो कहा है वह खतरनाक स्थिति है, राजनीति के लिये और इन लोगों के लिए भी जो इसमें हिस्सा लेते हैं या जो मतदाता है, जो जनादेश देते है, वोट डालते है। यह स्थिति पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश के अन्दर कैसे आयी है। मैं 1977 में आपातकाल के बाद विधान सभा का सदस्य चुनकर आया था और 1977 और 2012 यह दो वर्ष राजनीतिक घटनाओं में समान है।
उत्तर प्रदेश में जो पांच वर्ष की सरकार थी वह अब नहीं है। विधान मण्डल के संयुक्त अधिवेशन को राज्यपाल महोदय ने संबोधित किया और फिर विधान सभा और विधान परिषद में अलग-अलग भी उस पर चर्चा हुए, लेकिन हमारे मित्रों ने उससे कोई सबक नहीं लिया। उनकी कुर्सी छिन गयी तो मेज पर खड़े हो गये। अपने सर पर टोपी लगा ली। उस टोपी पर अपनी मनमर्जी से कुछ लिख लिया। जो लिखा वह बिना कुछ परवाह किये लिख लिया। उत्तर प्रदेश की जनता का यह अपमान है। ढाई माह पहले ही जनता ने अपना फैसला सुनाया है। बसपा ने उसके फैसले के विरूद्ध आचरण किया है। कानून तो अपना काम करेगा। 5 वर्श में जो घटनायें हुई है उस पर कानून काम करेगा। बसपा ने कानून के विरूद्ध आचरण किया है। आपके इस आचरण से उत्तर प्रदेश की जनता का अपमान हुआ है।
मैं लगभग 45 वर्ष से समाजवादी आंदोलन की राजनीति में हूॅ। समाजवादी नेता डा0 राममनोहर लोहिया ने अपने भाषणों में बारंबार कहा है कि राजनीति अल्पकालिक धर्म है और इसका पालन समाजवादी करते हैं। माननीय मुलायम सिंह यादव जी प्रायः इस बात की याद दिलाते हैं। हम लोग उन्हीं की प्रेरणा से काम करते हैं। आम जनता को लगे कि यह राजनीति का धर्म है। जनसेवक, त्यागी हो, धर्म निष्ठ हो और उनमें समर्पण की भावना हो। पिछले 5 वर्ष में यह सब राजनीति से गायब हो गया और मूल्यों का अवमूल्यन हो गया। मैं नहीं जानता इस अवमूल्यन को हमारे साथी किस रूप में लेते हैं। हमारी सरकार लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के अतंर्गत चलेगी। बसपा की कैसी मानसिकता है, हम लोग नहीं समझ पा रहे हंै। आप किस रास्ते पर चल सकते हैं, आपने किस तरह से सत्ता का दुरूपयोग किया है, इसे जनता ने देखा है। कैसे आपने जनता को धोखा दिया है, इसे जनता ने देखा है।
हमें लोकतंत्र आजादी के बाद से मिला है। लोकतंत्र व्यवस्था के लिए गांधी जी ने अगुवाई की थी। गांधी जी की प्रतिमा विधान परिषद में लगी हुई है। लोकतंत्र की व्यवस्था को गांधी जी ने स्थापित किया है। गांधी जी की वजह से लोकतंत्र को ताकत मिली है। आप पूरे सिस्टम को बदल सकते हैं, नेतृत्व को बदल सकते है। लोकतंत्र में यह ताकत है कि वह सरकार को बदल सकता है। आपने पाच वर्ष का बुरी तरह से दुरूपयोग किया है। आप ने अपनी जिन्दगी में सत्ता में रहते हुए अपनी प्रतिमा लगायी है वह भी सरकार खजाने से। जनता की गाढ़ी कमाई से जो अवैध सम्पत्ति इकठ्ठी की गयी है उसकी जांच की जायेगी। जनता को इसका जबाव चाहिए, वह जवाब मांगेगी। उत्तर प्रदेश की जनता आपको माफ नहीं करेगी। यह कालाधन जो आप इकठ्ठा कर रहे है उसका जवाब आपको जनता को देना होगा। सरकारी योजनाओं से आपने पैसा बनाया था। पत्थरों से कमीशन इकठ्ठा किया गया। जनता ने अपना हिसाब ले लिया, आपको बता दिया कि वह क्या चाहती है। पांच वर्ष तक यह उत्तर प्रदेश भययुक्त रहा और विकास से कोसों दूर रहा। नेता प्रतिपक्ष क्या ़बता सकते है पांच लोगांे के नाम, उनके पते जो बसपा मुख्यमंत्री से जनता दर्शन के समय मिलने आये हो, अपना दुख दर्द कहने के लिए आयें हो। यह एक नाम भी नहीं बता सकते है क्योंकि उस समय इस प्रदेश में लोकतंत्र था ही नहीं। आपने धरना स्थल ही समाप्त कर दिया और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी जब आये तो उन्होने लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाने के लिए, विधान सभा के सामने धरना स्थल को पुनः बनाया और कहा कि जनता हमारी किसी भी गलती के प्रतिकार स्वरूप यहां पर धरना प्रदर्शन कर सकती है।
बसपाराज में जब भूतपूर्व मुख्यमंत्री निकलती थी तो कोई व्यक्ति उस ओर मुख नहीं कर सकता था। रास्ते बंद कर दिये जाते थे। चाहे कितनी बड़ी घटना किसी के साथ घटित हो जायें किसी को कोई मतलब नहीं, चाहे कोई मर रहा हो या फिर किसी की और कोई दिक्कत हो। किसी का किसी के साथ कोई सरोकार नहीं था। उस शासनकाल में जनता की गाढ़ी कमाई को लूट लिया गया। राज्य पर 2 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा का कर्जा है। उसकी जांच की जायेगी। सब चीजें साफ हो जायेगी।
किसानों की जमीनों का अधिग्रहण गलत तरीके से किया गया। नोयडा में किसानों की हत्यायें की गयी। उनकी जमीनों का जबरन अधिग्रहण किया गया। बिल्डरों के साथ मिलकर किसानों की हत्यायें हुई। नोयडा और ग्रेटर नोयडा की जमीनों की जांच की जायेगी। 5 साल तक किसी को दवा नहीं मिली। सीएमओ की हत्या हुई। बच्चों की पढ़ाई नहीं हुई, उन्हें रोजगार नहीं मिला। गरीबों के लिए रोजगार नहीं, काम नही। 5 साल तक उत्तर प्रदेश में जिन्दगी समाप्त हो गयी थी। लोगों के साथ भद्दा मजाक किया गया। समाजवादी पार्टी की तो दो महीनें की सरकार है, थोड़ा तो राजनीतिक शिष्टाचार होना चाहिए था। उत्तर प्रदेश कंगाल हो गया है। इतना ही नहीं पूरी नौकरशाही को तार-तार कर दिया गया। जो प्रशासनिक व्यवस्था है, उसको समाप्त कर दिया है। अपराधी खुले आम घूम रहे हैं। वही अपराध कर रहे हंै और उसी के कारण यह स्थिति है।
हमारे नौजवान मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सबसे पहले कहा कि यहां पर कानून का राज होगा, अपराधियों की जगह जेल में होगी और अपराधियों के साथ वह लोग जेल में होगें, जिन्होने 5 साल तक धोखा दिया है। मैने विधान सभा चुनाव की एक बैठक में नेता विरोधी दल से कहा था कि पुलिस आपका इंतजार कर रही है, सीबीआई आपको ढूंढ रही है, आपकी भी जांच होगी। लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव ने हमें यह ताकत दी है, इसलिए मैं कहना चाहता हूॅ कि उत्तर प्रदेश में सभी लोग जो चुनकर आये हैं, विपक्ष के लोग भी आये है, यह भी उसी व्यवस्था के तहत आए हैं। 1977 में भी यह स्थिति हो गयी थी। एक तो लोकतंत्र बचाने वाले आये थे, जो बड़ी ताकत के रूप में आये। आज भी जो सत्ता में आये हंै, वह लोकतंत्र को बचाने वाले लोग हैं। यह गांधी लोहिया के बताये हुए रास्ते पर चलने वाले लोग हैं। मा0 मुलायम सिंह यादव के रास्ते पर चलने वाले लोग है। लोकतंत्र को बचाने के लिए एक बार कोशिशें नहीं हुई, कई कोशिशें हुई हैं। इतिहास की पुनरावृत्ति होती रहती है। बसपा मंत्रिमण्डल के लोग लूट खसोट मचाते रहे, इनकी नेता अपनी प्रतिमा लगवाती रही। पत्थरों पर सारा खजाना खाली कर दिया गया और इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री जी के गृह प्रवेश के अवसर पर सबसे ज्यादा उपहास की स्थिति यह रही कि उनके मंत्री डांस कर रहे थे और पूर्व मुख्यमंत्री मुस्कुरा रही थी, हालांकि डांस आता नहीं था फिर भी हिल रहे थे। उत्तर प्रदेश में ऐसे-ऐसे लोग आ गये हैं अपराधी और तमाम तरह के लोग जिनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। राजनीति में उन्होने कोई तपस्या नहीं की, किसी प्रकार का कोई आंदोलन नहीं किया। अगर जांच हो गयी और जो यह टोपी लगाये हुए हैं तो इनके मेकअप का क्या होगा? यह जेल जायेगें, आयोग बन रहा है और हमारा यह वादा है कि जो भ्रष्टाचार किया है उसकी पूरी जांच होगी और दोषियों को सजा मिलेगी, उनके खिलाफ कार्यवाही होगी। हम कानून का राज स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश में अगर कोई भी कानून को हाथ में लेगा, उसके खिलाफ कार्यवाही होगी, वह बच नहीं सकता।
संविधान ने यह अधिकार दिया है और लोकतंत्र के जरिये यह अधिकार मिला है कि कैसे कोई भ्रष्टाचार कर सकता है। कैसे कोई ताकत में आकर अपनी प्रतिमा लगवा सकता है। आगे और कोई सत्ता का दुरूपयोग ऐसा न कर सकें, इसलिए इस पर कार्यवाही करना भी जरूरी है। इस प्रदेश में ऐसा शासन रहा है जो पत्थर लगाता रहा। जिसे जनता से कोई मतलब नहीं, किसानों से कोई मतलब नही। सिर्फ लूट और लूट का एजेन्डा था। अब वही लोग टोपी लगाकर मेज पर चढ़कर कानून की बात करते हैं। मैं यह संकेत कर रहा हूॅ कि वह किसी गलतफहमी में न रहे। पांच साल तक जो राजकोष की लूट की है, बच्चियों की इज्जत के साथ जो खिलवाड़ किया है, बलात्कार हुए हैं सबकी जांचे चल रही है।
नोयडा और ग्रेटर नोयडा में एक लाख करोड़ का लखनऊ से लेकर नोयडा तक खाली पत्थर लगाया गया है। यही नहीं मान्यवर कांशीराम जी की प्रतिमा के साथ अपनी प्रतिमा लगाई और कहा कि कांशीराम जी कह गये थे। पांच साल तक उत्तर प्रदेश में जंगल राज रहा। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रही और किसी को अपनी बात कहने का, अपनी पीड़ा कहने का कोई हक नहीं था। यह कैसा लोकतंत्र जहां जनता को अपनी बात कहने का ही अधिकार नही।
फिर भी हमारे मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी ने कहा कि हम भेदभावपूर्वक काम नहीं करेगें। हम कानून का सम्मान करेगें। इन्होने तो कानून के ऊपर कुठाराघात किया था। इनके होेलसेल एजेन्ट थे जिन्होने बड़े-बड़े सौदे किये। इन्हींके दल के लोगों ने बलात्कार किये और कुछ जेल में है और बाकी की जांच की जा रही है और जल्दी ही और जेल जायेगें।
उत्तर प्रदेश की जनता को और देश की जनता को यह जानना चाहिए कि दलित की बेटी हो चाहे गैर दलित की बेटी हो, उसको संविधान से परे अधिकार नहीं मिल सकते हैं। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। दलित की बेटी है तो क्या वह संविधान को अपने तरीके से इस्तेमाल करेगी? अपने तरीके से तोड़ेगी मरोड़ेगी। जो गांव के गरीबों के इलाज का पैसा था उस पैसे को खा लिया गया। उसकी जांच हो रही है। दो सीएमओ की हत्यायें हो गयी। जेल में हत्या हो गयी और अब मंत्री जेल जा रहे है। सीबीआई की जांच हो रही है। उसमें पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल है। बिना उनकी सहमति के, बिना उनकी मंजूरी के यह हो ही नहीं सकता था।
मैंने 1968 में इंटरमीडिएट पास किया था। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी उस समय थी, समाजवादी युवजन सभा का मैं कार्यकर्ता था। जून, 1974 में आंदोलन हुआ था और उस आंदोलन में मैं गिरफ्तार हुआ। जेल में रहा। इमरजेन्सी में जब जेल गया तब हथकड़ी लगी थी। मैं उस समय वकील भी हो गया था। मुझे संविधान का भी ज्ञान है। लेकिन मैं सोचता हूॅ कि जिस दिन इन्हें हथकड़ी लगेगी, तब क्या स्थिति होगी। अब तो बड़ा हल्ला कर रहे हैं, मैं तो 44 साल पहले मेरठ जेल में बंद था। मैं समाजवादी आंदोलन से आया हूॅ। ये तो किसी आंदोलन से नहीं आये हैं। बसपाइयों का तो लूट का एजेण्डा है, हत्या करना, पैसा कमाना, बलात्कार करना, पत्थरों में कमाना, पत्थरों को कई बार बदलना। नया साम्राज्य किस लिए खड़ा करना चाहते थे? उत्तर प्रदेश की जनता आज त्राहि-त्राहि कर रही है। जब हमें सरकार मिली तो श्री अखिलेश यादव जी ने पहले दिन कहा कि खजाना खाली है लेकिन हमने जो वायदे किये है, जो हमारा घोषणा पत्र है और चुनाव के दिनों में जो कहा, हम उसे पूरा करेगें। बहुत हल्ला मचा बिजली का, 24 घंटे नहीं मिल रही है, कहा जा रहा है। लेकिन ये खुद 5 साल क्या करते रहे। कोई एक यूनिट मेगावाट बिजली पैदा कर सके? बसपा राज में पांच साल तक मुख्यमंत्री कार्यालय का पंचम तल सिर्फ लूट का शोध केन्द्र हो गया, कहां से कमीशन मिलेगा, इसके लिए पंचम तल का इस्तेमाल किया गया। कुछ अफसर भी उनसे मिले हुए थे, उनको भी हथकड़ी लगेगी, चूॅकि कानून अपना काम करता है। हम तो आंदोलन में गये थे, हथकड़़़ी लगी थी आपातकाल में। इन्हें हथकडी लगी तो इनका क्या हाल होगा, इनके मेकअप का क्या होगा? उत्तर प्रदेश की जनता सब देख रही थी और मैने चुनाव से पहले नेता विरोधी दल से कहा था, चुनाव में बचोगे नहीं। पूरी तरह से सत्ता से बाहर हो जाओगे।
डा0 लोहिया और डा0 अम्बेडकर में आपस में वैचारिक समन्वय था लेकिन चूॅकि डा0 अम्बेडकर का अचानक निधन हो गया इसलिए उनका अभियान अधिक लम्बा नहीं चल पाया। किन्तु इसी वैचारिक समानता के कारण ही जब पहली सरकार बनी तब यह विचार हमने किया कि विधान भवन के सम्मुख जो मार्ग है उसे विधान सभा मार्ग के बजाय डा0 अम्बेडकर मार्ग कहा जाय। यह काम श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में ही किया था। समाजवादी पार्टी की सरकार ने 10 हजार गांवो का विकास करने के लिए अम्बेडकर ग्राम्य विकास योजना चलाई थी। लेकिन बसपाई समझते हैं कि इस कार्य की एजेन्सी सिर्फ उनके ही पास है जिससे वह उसका आर्थिक और राजनीतिक लाभ उठा सकें। ऊपर से यह बात कि हम जब इस बात को उठाते हैं तो यह लोग खड़े हो जाते हैं कि अम्बेडकर साहब का अपमान हुआ है। यह जनता के बीच में जाकर अम्बेडकर साहब के नाम का चुनाव के लिए इस्तेमाल करते हैं। हम लोग राजनीतिक लोग हैं और राजनीतिक विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इनके षासन में तो लोगों को अपमानित करने के भी तरीके खोजे जाते थे। मुस्लिम धर्मगुरूओं को जूते-चप्पल उतार कर मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर बेइज्जत किया गया। वे धर्मगुरू थे और उनकी बेइज्जती की गई।
पिछली सरकार पापी सरकार थी। मैने शुरू में ही कहा था कि जो यह बसपा की सरकार बनी है, यह राजनैतिक दुर्घटना की पैदाइश है और यह सच हो गया। पांच साल तक लगातार अपराध होते रहे, सरकार अपराध कराती रही। चाहे मंत्री हो विधायक हो चाहे मुख्यमंत्री हो सभी उसको अंजाम देते रहे। उत्तर प्रदेश में जिस तरह का तांडव किया गया उसी तरह उत्तर प्रदेश की जनता ने भी आपको सबक सिखा दिया और इधर से उधर बैठा दिया।
अभी ढाई महीने हुए हैं हमने विकास का एजेन्डा तय कर दिया है। महामहिम राज्यपाल जी ने अपने अभिभाषण में उसका उल्लेख किया है कि हमारी विकास की दिशा क्या होगी। श्री अखिलेश यादव जी का अपना व्यक्तित्व है, वैचारिक प्रतिबद्धता है, उनमें सादगी है, उत्तर प्रदेश का विकास करने का उनका इरादा है। हमने अपने इरादों को घोषणा चुनाव घोषणा पत्र के माध्यम से चुनाव में की है। बसपा में राजनैतिक शिष्टाचार होता तो हमें 6 महीने का समय देते। लोकतंत्र एक बड़ी ताकत है। उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। पांच वर्ष तक आप यह सब करते रहे। सरेआम लूट की, अघोषित आपातकाल लगा रहा। उसके बाद विकास के नाम पर यह शून्य हो गये। किसान के बेटियों के खाद के लिए लाइन लगाते समय उनपर लाठी चार्ज हुआ, उनको खाद नहीं मिली। जो पार्क बना दिये गये उनका क्या औचित्य था? जनता के प्रति बसपाराज में न कोई संवेदना रही, नहीं कोई जिम्मेदारी थी।
“(समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता एवं सदस्य विधान परिषद श्री राजेन्द्र चैधरी द्वारा 30 मई एवं 01 जून,2012 को विधान परिषद में महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के समर्थन में दिए गये भाषण के मुख्य अंश)“
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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