ऽ थोड़ी सी समझदारी से हो सकता है समस्या का समाधान
ऽ यातायात नियमों के पालन से दुर्घटना एवं जाम की समस्या से मिलेगी
निजात
षहर के विभिन्न चैराहों पर जाम की समस्या आम बात हो गई है। जाम में फंसे लोगों को काफी मुष्किलों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी जाम में फंसे लोगों को एक-एक घंटे के इंतजार के बाद ही उन्हें आगे का रास्ता मिल पाता है। जाम शहर की एक प्रमुख समस्या बन गई है। और इससे निजात पाने के लिए प्रषासन द्वारा कोई विषेष कदम नहीं उठाया जा रहा है। जाम का मजा तो वही जानता है जो जाम में फंसता है। जब किसी जरूरी काम से निकले और कहीं एक घंटा बीच में फंसे रहे तो बात खुद ही समझ में आ जाएगी कि क्या होता है जाम।
आइए बात करते हैं दरियापुर रेलवे क्रासिंग की जहां पर जाम लगना आम बात हो गई है। रेलवे क्रसिंग तो सिग्नल होने के बाद तो बंद हो जाती है। लेकिन वहां पर रूके सभी लोगों को बस जल्दी ही जल्दी रहती है। कितनी जल्दी का्रसिंग को पार कर जांय लोगों की मानसिकता में शुमार हो गया है। ट्रेन की आवाज पाकर भी लोग आनन-फानन में जल्दी-जल्दी क्रासिंग पार करते देखे जा सकते हैं। चाहे साइकिल वाले हो चाहे मोटरसाइकिल वाले या फिर रिक्सा वाले सभी को बस जल्दी ही रहती है कि कब इस क्रासिंग को पार करके उस पार चले जांय। यहां तक ट्रेन लगभग 100 मीटर की दूरी पर रहती है कि लागों का आना जाना बंद नहीं होता है। ऐसे में लोग अपनी जिन्दगी से खिलवाड़ कर आगे निकलने के लिए बेताब रहते हैं क्योंकि वे सभी लोग समझते हैं कि कहीं जाम में न फंस जांय और फिर घंटों का इंतजार करना पड़े। इससे बेहतर है कि जल्दी-जल्दी निकलते रहो। जाम का प्रमुख कारण बाइक सवार लोग और बिना लाइन के वाहनों का प्रवेष होता है। जो आगे निकलने की होड़ में जाम की समस्या को अंजाम दे देते हैं और खुद तो फंसते ही हैं दूसरों को भी फंसा देते हैं।
बात यही तक नहीं है सिर्फ दरियापुर क्रसिंग पर ही नहीं बल्कि शहर की लगभग सभी क्रसिंगों पर यही हाल रहता है। जहां पर लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है। उधर दरियापुर ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य होने की वजह से जाम की समस्या और भी बढ़ गई है। कभी-कभी तो जाम इस कदर लग जाता है कि आने वाले लोगों को टैम्पों छोड़कर पैदल ही आना पड़ता है। क्योंकि लोग समझते हैं कि कब रास्ता खुले इसका कुछ पता नहीं है। शहर के चैक, बाधमंडी चैराहा, डाकखाना चैराहा, तथा बस स्टेशन पर जाम की समस्या से जूझते लोगों को आसानी देखा जा सकता है। प्रशासन की थोड़ी सी सहायता और लोगों की थोड़ी सी समझदारी जाम की समस्या सेे निजात दिला सकती है। शहर के विभिन्न चैराहों जहां जाम लगना आम बात हो गई है तथा रेलवे का्रसिंगों पर यदि दो-दो सिपाहियों की ड्यूटी लगा दी जाय तो शायद इस समस्या से निजात पाया जा सकता है लेकिन इसमे लोगों की सहभागिता अगर हो तो बात ही कुछ और है।
जाम लगने से मार्ग कुछ समय लिए अवरूद्ध तो होता ही है साथ ही साथ आॅफिस या फिर जहां पर समय से पहुंचना होता है वहां पर समय से पहुंचने में विलम्ब हो जाता है जिससे आम व खास सभी पर इसका प्रभाव पड़ता है। शहर के कुछ स्थानों पर भीड़ व आवागमन इतना रहता है कि वृद्ध व्यक्ति को अगर सड़क पार करनी होती है तो उसे किसी का सहारा या फिर 15-20 मिनट का इंतजार करना पड़ता है तो कहीं वह जाकर सड़क पार कर पाता है। ऐसे में अगर हम थोड़ी सी समझदारी दिखाएं तो शायद यह नौबत न आए कि लोगों का आवागमन अवरूद्ध और उन्हें परेशानी हो। यह किसी एक को नहीं है बल्कि समाज के हर वर्ग हर व्यक्ति को समझने की आवश्यकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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