पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और एनएपीएम की तरफ से 20 जून को खुफिया एजंेसियों और एटीएस की साम्प्रदायिकता के खिलाफ सम्मेलन किया जाएगा। जिसमें अल्पसंख्यको के उत्पीडन के साथ ही सीमा आजाद और विश्वविजय जैसे जनता के सवालों को उठाने वाले मानवाधिकार नेताओं की गिरफतारी और उम्र कैद का सवाल भी उठेगा।
यूपी प्रेस क्लब में दिन में 12 बजे से 2 बजे तक होने वाले इस सम्मेलन की जानकारी देते हुये पीयूसीएल के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी और वरिष्ठ अधिवक्ता मो0 शोएब ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर होने वाली निर्दोष मुसलमानों की गिरफतारियों में खुफिया विभाग की साम्प्रदायिक भूमिका पर लम्बे समय से सवाल उठते रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में आतंकी बता कर पकडे गये सीतापुर के शकील और पिछले चार साल से खुफिया एजेंसियों के गैरकानूनी पूछताछ के शिकार प्रतापगढ के शौकत के मामले से तो इस एजेंसी के पूरे कार्यपद्धति और उद्धेश्य पर ही बहस खड़ी हो गयी है कि ये एजेंसियां देश की सुरक्षा के लिए बनी हैं या संघ परिवार के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को बढ़ाने के लिये। मानवाधिकार नेताओं ने कहा कि अभी हाल ही में जिस तरह इशरत जहां फर्जी मुठभेड की जांच के दायरे में खुफिया विभाग आया है और इससे पहले पुणे की यरवदा जेल में मार दिये गये कथित आतंकी कतील सिद्दीकी की हत्या में खुफिया एजेंसियों पर सवाल उठे हैं उससे भी इस एजेंसी के मुस्लिम विरोधी मानसिकता को समझा जा सकता है।
मानवाधिकार नेताओं ने कहा कि सम्मेलन में खुफिया विभाग की साम्प्रदायिकता के शिकार बहुत से पीडि़त अपनी आपबीती रखेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें उत्तर प्रदेश से बाहर से आने वालों में कुछ दिनों पहले दिल्ली से आतंकी बता कर पकडे गये वरिष्ठ पत्रकार एसएमए काजमी के परिजन और बिहार के दरभंगा से पकडे गये लोगों के परिजन शामिल हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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